उत्तराखंड के मुद्दों को लेकर खुलकर करती थीं चर्चा, हल्द्वानी में दो बार जनसभा को किया था संबोधित
प्रखर वक्ता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन से हर कोई गमगीन है। अब कुमाऊं क्षेत्र के लोग भी उनसे जुड़ी यादें शेयर कर रहे हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : प्रखर वक्ता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन से हर कोई गमगीन है। अब कुमाऊं क्षेत्र के लोग भी उनसे जुड़ी यादें शेयर कर रहे हैं। चर्चा कर रहे हैं कि सुषमा दीदी का उत्तराखंड से बेहद लगाव था। जब भी वह यहां चुनाव प्रचार को पहुंचती थीं, बड़ी गंभीरता से राज्य के मुद्दों को उठाती थीं।
राज्य बनने के बाद पहली बार 2002 में विधानसभा चुनाव हुए। तब भी वह पूरे जोश के साथ चुनाव प्रचार में उतरी थीं। महिला मोर्चा की तत्कालीन अध्यक्ष रही ममता पलडिय़ा भी उनके साथ प्रचार में रहीं। काशीपुर, खटीमा व ब्यूरोंखाल (पौड़ी) तक उनके साथ यात्रा की। उन्हें याद कर ममता भावुक हो जाती हैं और कहती हैं, 'इस दौरान सुषमा ने कई अहम मुद्दों पर चर्चा की थी। तब नया राज्य बना था। इस राज्य में विकास की नई संभावनाओं को लेकर उन्होंने खुलकर चर्चा की थी। अपने भाषणों में भी राज्य को समृद्ध बनाने, पर्यटन के क्षेत्र में कार्य करने से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे मूलभूत विषयों को भी छुआ था। कुमाऊं मीडिया प्रभारी तरुण बंसल कहते हैं, बेहद मिलनसार प्रकृति की राजनेता का जाना हर किसी को आहत कर गया। वह खुद दिल्ली स्थित आवास पर उनसे मिले थे। तब भी वह राज्य के विकास के मुद्दों पर चर्चा करने लगती थी।
दो बार भगत के चुनाव प्रचार में पहुंची थी हल्द्वानी
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज दो बार विधानसभा चुनाव में प्रचार को यहां पहुंची थीं। दोनों बार बंशीधर भगत चुनाव लड़ रहे थे। एक बार हल्द्वानी रामलीला मैदान और दूसरी बार कालाढूंगी में जनसभा को संबोधित किया। पूर्व विदेश मंत्री को याद कर भगत कहते हैं, वह केंद्रीय मंत्रियों में एकमात्र ऐसी मंत्री थीं, जिनसे मिलना सबसे आसान था। बेहद मिलनसार प्रवृत्ति की थीं। उनकी विद्वता और योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
सुषमा को खूब पंसद थे कुमाऊं की रंग्याली-पिछौड़े
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सीमांत जिले पिथौरागढ़ में तीन बार आई। यहां चुनावी जनसभाओं को पहुंचीं सुषमा को प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही कुमाऊं के मांगलिक परिधान रंग्याली-पिछौड़े खूब भाते थे। 2002 विधान सभा चुनाव में विधायक प्रत्याशी किशन चंद्र पुनेठा के पक्ष में सुषमा वोट मांगने के लिए लोहाघाट आई थी। वहीं सुषमा ने 2007 में अस्कोट में भाजपा प्रत्याशी शांति भंडारी के समर्थन में जनसभा की थी। जनसभा में उन्होंने पहाड़ की महिलाओं की कर्मठता की प्रशंसा करते हुए कहा था कि महिलाएं घर के कामकाज के साथ ही खेत खलिहान भी संभाल रही हैं। अब महिलाओं को राजनीति में भी आगे आना होगा। भारतीय सेना में पिथौरागढ़ जिले के प्रतिनिधित्व पर उन्होंने कहा था कि यह वीरों की भूमि है और यहां के लोगों को इस गौरव को बनाए रखना होगा। उन्होंने पिथौरागढ़ के रामलीला मैदान और गंगोलीहाट के अलावा चम्पावत के लोहाघाट में भी जनसभाएं की थी। बेहद आस्थावान सुषमा ने अपनी सभाओं में कहा था कि उत्तराखंड देवभूमि और देश का मुकुट है। कार्यक्रमों में उनके साथ रहने वाली उमा पांडेय ने बताया कि जनसभाओं के बाद वे पहाड़ के रीति-रिवाज, पहनावे व पहाड़ी व्यंजन को लेकर भी चर्चाएं करती थी। भाजपा महिला मोर्चा की ओर से उन्हें रंग्याली-पिछौड़े भेंट किए जाते थे। जिन्हें उन्होंने खूब सराहा था। सुषमा स्वराज के नजदीकी रहे भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सुरेश जोशी ने ने कहा कि विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने दुनिया भर में अपनी खास पहचान बनाई थी।
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