सुशीला तिवारी अस्पताल में लापरवाही दर लापरवाही, जांचें होती गई; नतीजा निकला न व्यवस्था सुधरी
कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल (एसटीएच) में लापरवाही के तीन बड़े मामले सुर्खियों में आने के बाद यह सवाल आमजन के मनो-मस्तिष्क में कौंधने लगे हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : बहुत हो गई हैं जांचें। जब इनका कोई रिजल्ट ही नहीं निकलता है। महज जांच के नाम पर रस्मअदायगी क्यों? एक बार फिर कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल (एसटीएच) में लापरवाही के तीन बड़े मामले सुर्खियों में आने के बाद यह सवाल आमजन के मनो-मस्तिष्क में कौंधने लगे हैं। इसके लिए डीएम सविन बंसल ने जांच समितियां तो बनाई हैं, लेकिन बड़ा सवाल उठता है कि एसटीएच में लापरवाही के इलाज के लिए बड़े ऑपरेशन की जरूरत पड़ चुकी है, जिससे कि लगातार लापरवाही का दाग लगाने वाले अस्पताल के 'ताकतवर' लोगों पर प्रशासन के सख्त नियमों का कैंची-चाकू चल सके। ताकि जिंदगी की भीख मांगने को अस्पताल पहुंचने वाले बेबस मरीजों की उम्मीदें जिंदा रह सकें। हालांकि, अब इन मामले में डीएम सविन बंसल का कहना है कि एक बार सख्त कार्रवाई कर दी जाएगी तो बार-बार लापरवाही सामने नहीं आएगी।
इस तरह चली जांच दर जांच
जांच एक : 20 जुलाई की सुबह एसटीएच में शीशमहल निवासी गर्भवती करीब चार घंटे अस्पताल में रही। लेबर रूम में भी गई, लेकिन एक डॉक्टर की वजह से डिलीवरी नहीं हो सकी। अब मामले की जांच आइएएस रोहित मीणा कर रहे हैं। मीणा एसटीएच कोविड अस्पताल के नोडल प्रभारी भी हैं।
जांच दो : 30 जुलाई की रात का मामला है। भीमताल चिकित्सालय से कोरोना संक्रमित एक गर्भवती को एसटीएच रेफर कर दिया गया था। महिला इमरजेंसी में पहुंची थी, लेकिन रात भर भर्ती होने के इंतजार में बार ही बैठी रही। अब इस मामले की भी जांच भी डीएम ने आइएएस रोहित मीणा को ही सौंपी है।
जांच तीन : पांच अगस्त को रामनगर का एक कोरोना संक्रमित मरीज एसटीएच से गायब हो गया। हल्द्वानी से रामनगर तक उसकी खोज हुई, लेकिन वह छह अगस्त को अस्पताल के ही बाथरूम में मृत मिला। अब इस लापरवाही की मजिस्ट्रेटी जांच सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपी गई है।
जांच चार : कोरोना के मरीज मार्च से ही आने शुरू हो गए थे। आरोप लगा कि इस बीच हाई इंटेंसिव केयर यूनिट नहीं खोला गया। मामला सुर्खियों में आने के बाद यह यूनिट खुल गई। अब डीएम ने सीएमओ को इस प्रकरण की जांच सौंपी है।
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