बच्ची की मौत पर सुशीला तिवारी अस्पताल में हंगामा, गार्डों से हुई झड़प
डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में बच्ची की मौत पर परिजनों ने हंगामा काटा। गार्डों से झड़प भी हुई। परिजन किसी अन्य मरीज की फाइल लेकर भाग गए।
हल्द्वानी, जेएनएन : डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में बच्ची की मौत पर परिजनों ने हंगामा काटा। गार्डों से झड़प भी हुई। परिजन किसी अन्य मरीज की फाइल लेकर भाग गए। इसे लेकर स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस के मौके पर पहुंचने पर मामला जैसे-तैसे शांत हुआ। काठगोदाम कॉलटैक्स निवासी 22 वर्षीय गजाला पत्नी रफीक को तीन फरवरी की सुबह 8:30 बजे एसटीएच में भर्ती कराया गया था। गजाला की डिलीवरी होने वाली थी। ढाई घंटे बाद 11 बजे उसकी नार्मल डिलीवरी हो गई। उसने चौथी बच्ची को जन्म दिया। इससे पहले गजाला के दो बेटे और एक बेटी है। रफीक का आरोप है कि बच्ची स्वस्थ थी। दूध भी पी रही थी। मंगलवार को जब वह दूध नहीं पी रही थी तो स्टाफ के कर्मचारी उसे चौथी मंजिल स्थित बाल रोग विभाग में ले गए। इसके बाद बच्ची ठीक हो गई। एक बार फिर बुधवार की सुबह चार बजे बच्ची ने दूध पीना बंद कर दिया। उसे फिर बाल रोग विभाग में ले गए। तीमारदार मो. जावेद का आरोप है कि वहां पर डॉक्टर ने अपशब्द बोला, कहा कि इस समय क्यों आ जाते हो? हालांकि, इसके बाद नर्स ने दवा मंगवाई। कुछ देर बाद डॉक्टरों ने परिजनों को बाहर कर दिया। एनआइसीयू में ले गए और मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजनों की स्टाफ से झड़प हो गई। गार्डों से भी तीखी नोकझोंक भी हुई।
निष्पक्ष जांच की मांग : हंगामे के बीच परिजन दूसरे मरीज की फाइल लेकर भाग गए। इससे अफरा-तफरी मच गई। पुलिस के पहुंचने पर परिजन फाइल को वापस ले आए। मो. जावेद ने चिकित्सा अधीक्षक से इस मामले की निष्पक्ष जांच कर सभी काउंटरों में वाई-फाई कमैरे लगाने की मांग की है।
मामले की कराई जाएंगी जांच-एमएस : चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अरुण जोशी ने कहा कि गजाला को महिला अस्पताल से रेफर किया गया था। उसकी हालत ठीक नहीं थी। यह चौथा बच्चा था। प्राथमिक जांच में पता चला है कि बच्ची की अंदरूनी ग्रोथ नहीं हुई थी। कुछ अन्य दिक्कतें भी थी। फिर भी मामले की जांच की जाएगी। दोनों पक्षों के बयान लिए जाएंगे।
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