तीन उन्नतशील प्रजातियां बढ़ाएंगी गन्ने की मिठास, काशीपुर अनुसंधान केंद्र ने शोध के लिए भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान को भेजा
अनुसंधान केंद्र काशीपुर ने तीन नवीनतम प्रजातियों पर शोध करने के बाद उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर शोध के लिए भेज दिया है। इनकी खासियत यह है कि इनकी पैदावार वर्तमान में प्रचलित गन्ने से ज्यादा है और इनमें बीमारियों का खतरा भी कम रहता है।
काशीपुर, श्याम मिश्रा। वर्तमान में प्रचलित गन्ने की प्रजातियों के अलावा तीन अन्य उन्नतशील प्रजातियां जल्द ही तराई के गन्ने की मिठास बढ़ाएंगी। अनुसंधान केंद्र काशीपुर ने तीन नवीनतम प्रजातियों पर शोध करने के बाद उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर शोध के लिए भेज दिया है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले सालों में तराई के किसानों को तीन और उन्नत प्रजातियां मिल जाएंगी। इनकी खासियत यह है कि इनकी पैदावार वर्तमान में प्रचलित गन्ने से ज्यादा है और इनमें बीमारियों का खतरा भी कम रहता है।
गन्ने की मिठास बढ़ाने और किसानों की आए दोगुनी करने के प्रयास में गन्ना अनुसंधान केंद्र काशीपुर के कृषि वैज्ञानिक लगातार लगे रहते हैं। नई-नई प्रजातियों पर लगातार सतत शोध होता रहता है। इस शोध का उद्देश्य वर्तमान में प्रचलित गन्ने की प्रजातियां से और बेहतर व कम बीमारी लगने वाली प्रजातियों को विकसित करना होता है। इसी उद्देश्य को देखते हुए अनुसंधान केंद्र काशीपुर के वैज्ञानिकों ने 3 नई प्रजातियां खोज निकाली हैं। यह प्रजातियां इन दिनों प्रचलित गन्ने की अपेक्षा ज्यादा उन्नतशील, मिठास वाली और बीमारियों से लड़ने में सक्षम मानी जा रही हैं। गन्ना अनुसंधान केंद्र काशीपुर के प्रभारी अधिकारी डा. एएस जीना ने बताया कि को पंत-17221, 17223 और 17224 तीन नई प्रजातियों का नामकरण किया गया है। तीनों को राष्ट्रीय स्तर पर शोध करने के लिए अखिल भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान को भेज दिया गया है। अब अखिल भारतीय स्तर पर तीनों प्रजातियों पर 3 साल का शोध होगा। अभी यह प्रजातियां पहले साल के शोध में हैं। अगर 3 साल के शोध में यह प्रजातियां खरी उतरती हैं तो इनको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतार दिया जाएगा।