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रमिटेज भवन में स्थापित कुमाऊं विवि की स्वामी विवेकानंद पीठ युवा संसद अस्तित्व में आई

कुमाऊं विवि की स्वामी विवेकानंद पीठ युवा संसद अस्तित्व में आ गई है। पीठ हरमिटेज भवन में स्थापित की गई है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 06 Aug 2019 09:42 AM (IST)Updated: Tue, 06 Aug 2019 09:42 AM (IST)
रमिटेज भवन में स्थापित कुमाऊं विवि की स्वामी विवेकानंद पीठ युवा संसद अस्तित्व में आई
रमिटेज भवन में स्थापित कुमाऊं विवि की स्वामी विवेकानंद पीठ युवा संसद अस्तित्व में आई

नैनीताल, जेएनएन : कुमाऊं विवि की स्वामी विवेकानंद पीठ युवा संसद अस्तित्व में आ गई है। पीठ हरमिटेज भवन में स्थापित की गई है। युवा संसद में पिछले शताब्दी के महान चिंतक पंडित दीनदयाल उपाध्याय, डॉ. बीआर आंबेडकर, डॉ. राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण के समाजवादी विचारों का अध्ययन कराया जाएगा। इसके अलावा रवींद्र नाथ टैगोर, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा आदि साहित्यकार-कवियों के विचार दर्शन, साहित्य, कृतियों पर आधारित शोध कार्य को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा।

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गुरु गोरखनाथ, महेंद्रनाथ, आदि गुरु शंकराचार्य, महर्षि महेश योगी, नारायण स्वामी, हैड़ाखान बाबा, नीम करौली महाराज जैसे महान तपस्वियों के दर्शन का भी अध्ययन होगा। भारतीय दर्शन, वेदांत दर्शन, योग दर्शन एवं आध्यात्म में अध्ययन के पाठ्यक्रम में सर्टिफिकेट कोर्स, पीजी डिप्लोमा व मास्टर डिग्री कोर्स चलाया जाएगा। युवक-युवतियों को स्वावलंबी बनाने के लिए लोक कला, लघु उद्योग व हस्तशिल्प का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। सोमवार को हरमिटेज भवन के महिला अध्ययन केंद्र सभागार में कुलपति प्रो. केएस राणा, पीठ के सदस्य सचिव प्रो. अतुल जोशी, महिला अध्ययन केंद्र प्रभारी डॉ. दिव्या यू. जोशी ने प्रेस कांफ्रेंस की। इस अवसर पर एचआरडीसी निदेशक प्रो बीएल साह, डॉ केके पाण्डे, विधान चौधरी आदि मौजूद थे। 

एक माह का सर्टिफिकेट और दो माह का डिप्लोमा कोर्स

कुलपति ने बताया कि पीठ में लघुकालीन पाठ्यक्रम का एक माह का सर्टिफिकेट व दो माह का डिप्लोमा कोर्स संचालित होगा। एक माह के सर्टिफिकेट कोर्स में भारतीय दर्शन एवं आध्यात्मिक परंपराएं, भारतीय राजनीतिक दर्शन का सिंहावलोकन आदि दो यूनिटें होंगी। यूनिट एक में वैदिक दर्शन के प्रमुख तत्व, श्रीमद्भगवत गीता एवं उपनिषद व अन्य, यूनिट दो में गांधीवाद के प्रणेता पं. मालवीय, सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह, डॉ. आंबेडकर दर्शन, अटलजी का संवेदनशील मानववाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मूलमंत्र आदि पाठ्यक्रम में शामिल किए गए हैं। इसके अलावा दलीय व्यवस्था एवं क्षेत्रीय दलों का बदलता स्वरूप, नेहरू से लेकर मनमोहन की विदेश नीति, वाजपेयी से लेकर मोदी की कार्यशैली व विदेश नीति के मूल तत्व शामिल हैं। प्रो. जोशी ने बताया कि सर्टिफिकेट कोर्स और डिप्लोमा कोर्स दोनों का शुल्क पांच-पांच हजार तय किया गया है। 

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