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छात्रसंघ चुनाव : वोट डालने के मामले में एमबी फिसड्डी, महिला कॉलेज आगे

एमबीपीजी में छात्रसंघ चुनाव अब शायद छात्र-छात्राओं को रास नहीं आ रहा है। इसकी बानगी साल दर साल घटते मत प्रतिशत से देखी जा सकती है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 09:16 AM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 09:16 AM (IST)
छात्रसंघ चुनाव : वोट डालने के मामले में एमबी फिसड्डी, महिला कॉलेज आगे
छात्रसंघ चुनाव : वोट डालने के मामले में एमबी फिसड्डी, महिला कॉलेज आगे

हल्द्वानी, जेएनएन : एमबीपीजी में छात्रसंघ चुनाव अब शायद छात्र-छात्राओं को रास नहीं आ रहा है। इसकी बानगी साल दर साल घटते मत प्रतिशत से देखी जा सकती है। दस हजार से अधिक छात्रसंख्या वाले इस कॉलेज में बीते कई सालों से 40 फीसद मतदान भी नहीं हो सका है। इस बार भी यह आंकड़ा 35 फीसद में ही सिमट कर रह गया।

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वर्ष 2017 के छात्रसंघ चुनाव की बात करें तो उस समय एमबीपीजी कॉलेज के केवल 34 फीसद छात्र-छात्राओं ने ही मतदान किया था। वर्ष 2018 के छात्रसंघ चुनाव में इसमें मामूली बढ़त हुई। 38 फीसद मतदान हुआ। इस बार के चुनाव ने तो छात्र राजनीति की असलियत सामने ही ला दी। करीब नौ हजार छात्र-छात्राओं में से महज 3,194 (35 फीसद) छात्र-छात्राओं ने ही मतदान किया। एक जमाने से विधायकों, नेताओं, मंत्रियों की सफलता की नींव छात्र राजनीति ही रखती आई है, मगर जहां बदलते दौर में छात्र राजनीति को और मजबूत होना चाहिए था वहीं, लगातार मत प्रतिशत गिरना छात्र राजनीति के पतन का कारण बन सकता है। क्योंकि लोकसभा, विधानसभा, निकाय व पंचायत चुनावों की तरह कभी छात्रसंघ चुनाव के लिए युवाओं को जागरूक नहीं किया जाता है। न तो इसके लिए कभी सरकारें काम करती हैं न उच्च शिक्षा विभाग और न वे छात्रनेता जो छात्रसंघ चुनाव जीतते हैं।

महिला कॉलेज में आठ फीसद बढ़ा मत प्रतिशत

एमबीपीजी के मुकाबले महज 20 फीसद छात्रसंख्या वाले महिला डिग्री कॉलेज में छात्राएं अपने वोट को लेकर सजग जरूर हैं। यहां इस बार 43 फीसद मतदान हुआ है जो कि पिछले साल की तुलना में आठ फीसद अधिक है।

वोट देने के बहाने प्रचार में लगी छात्राएं

एमबीपीजी कॉलेज में सोमवार को छात्रसंघ चुनाव की मतदान प्रक्रिया के दौरान कुछ छात्राएं वोट देने के बहाने परिसर में दाखिल हो गई। जिसके बाद वे कई घंटों तक अपने प्रत्याशी का प्रचार करती रही। बाद में कॉलेज प्रशासन ने इन्हें बाहर कर दिया। कई छात्रनेता भी कॉलेज प्रशासन के लिए सिरदर्द बने रहे।

कई छात्र-छात्राएं नहीं डाल सके वोट

एमबीपीजी कॉलेज में सोमवार को दर्जनों छात्र-छात्राएं वोट नहीं डाल पाए। कॉलेज प्रशासन ने बताया कि चार सितंबर तक फीस जमा करने वाले छात्र-छात्राएं ही वोट कर सकेंगे। इसके बाद वालों के आइकार्ड न बन पाने के कारण उन्हें वोट देने का कोई अधिकार नहीं है।

50 से अधिक परिचय पत्र फर्जी

हर साल की तरह इस बार भी एमबीपीजी कॉलेज में मतदान प्रक्रिया के दौरान परिचय पत्र फर्जी मिलने के मामले सामने आए। 50 से अधिक परिचय पत्रों में ओवराइटिंग, गलत नाम, डुप्लीकेट हस्ताक्षर, फर्जी मुहर लगी मिली। प्रवेश द्वारों पर चेकिंग के दौरान इन परिचय पत्रों को फर्जी मानते हुए संबंधित छात्र-छात्राओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।

प्रवेश द्वार पर भिड़ गए दो शिक्षक

इधर, एमबीपीजी कॉलेज के दूसरे प्रवेश द्वार पर कॉलेज के दो शिक्षक आपस में ही उलझ गए। कॉलेज परिसर में एक छात्र की जेब में मोबाइल मिलने पर दोनों शिक्षकों में बहस शुरू हो गई। एक दूसरे पर गैरजिम्मेदारी का आरोप मढ़ते हुए दोनों शिक्षक काफी देर तक बहस करते रहे।

बेटे के लिए मां ने मांगे वोट

एमबीपीजी में कोषाध्यक्ष पद पर दावेदारी कर रहे एक प्रत्याशी की मां ने भी बेटे के पक्ष में वोट मांगे। कॉलेज परिसर के अंदर दाखिले में परिचय पत्र की बाध्यता के बाद प्रत्याशी की मां नैनीताल-हल्द्वानी हाईवे पर बेटे के पक्ष में मतदान की अपील करती नजर आई।

वोटर लिस्ट में नहीं मिला नाम

वोटर लिस्ट में नाम न होने के कारण सैकड़ों छात्र-छात्राएं दिनभर परेशान रहे। इनका कहना था कि उनके पास परिचय पत्र होने के बावजूद वोटर लिस्ट में उनका नाम नहीं है। हालांकि, ऐसे छात्रों की सहायता के लिए भौतिक विज्ञान विभाग व मुख्य कार्यालय में काउंटर लगाए गए थे।

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