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प्यास बुझाने के साथ रोजगार दे रहा धारा, पानी की तासीर पर पड़ा गरमपानी बाजार का नाम

नदी घाटी के तट बसासत के लिए हमेशा उपयुक्त रहे हैं। तमाम सभ्यताएं इसके गवाह हैं पर गरमपानी कस्बे में सर्दियों में गरम व गर्मीयों में ठंडा भूमिगत धारे को ही क्षेत्र के नाम का श्रेय मिला। इसके इर्द-गिर्द ना केवल आबादी बसी बल्कि अक्सर लोग इससे प्यास बुझाते हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 02:50 PM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 02:50 PM (IST)
प्यास बुझाने के साथ रोजगार दे रहा धारा, पानी की तासीर पर पड़ा गरमपानी बाजार का नाम
गरमपानी का धारा पहचान के साथ रोजगार भी दे रहा है।

गरमपानी, जेएनएन : नदी घाटी के तट बसासत के लिए हमेशा उपयुक्त रहे हैं। तमाम सभ्यताएं इसके गवाह हैं पर गरमपानी कस्बे में सर्दियों में गरम व गर्मीयों में ठंडा भूमिगत धारे को ही क्षेत्र के नाम का श्रेय मिला। इसके इर्द-गिर्द ना केवल आबादी बसी बल्कि अक्सर लोग इससे प्यास बुझाते हैं।

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सदियों पुराने गरमपानी मुख्य बाजार में स्थित धारा दो जिलों का संगम ही नहीं बल्कि किसी दौर में आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र भी रहा। एक जमाने में चार धाम यात्रा को पैदल जाने वाले श्रद्धालुओं का यह अहम पड़ाव था तो कत्यूरी वंशज चित्रशिला (रानीबाग) जाते समय स्नान तथा ध्यान लगाते थे। यह सिलसिला अब भी जारी है। कत्यूर, चंद्रवंश, ब्रितानी हुकूमत से लेकर उत्तराखंड गठन तक के अहम उतार-चढ़ाव का अहम गवाह रहा गरमपानी का यह धारा। बियाबान जंगल से लेकर मैदान को कुमाऊं के चार जिलों को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग तथा कोसी घाटी के अहम बाजार तक के सफर में बहुत कुछ देखा। खास बात यह है कि सर्दियों में इस शेर नुमा मुख से निकलने वाला पानी गरम तथा गर्मियों में इसकी तासीर ठंडी हो जाती है। ब्रिटिश अफसरों ने इस धारे को शेर की मुखाकृति दी। इसके जबड़ों से आज भी निकलता पानी बेहद सुकून दे रहा है।

पहाड़ी सब्जी व दाल की बिक्री रहती है जोरों पर

अल्मोडा़ हल्द्वानी हाईवे पर स्थित गरमपानी मुख्य बाजार स्थित शेर का धारा पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र के साथ ही रोजगार का जरिया भी बन चुका है। आवाजाही करने वाले लोग अक्सर यहां रुकते हैं। उतरते तो पानी पीने के लिए पर पहाड़ की सब्जी व पहाड़ की दाल जरुर खरीदते हैं। धारे के आसपास स्थित दुकानों में गहत, मास, भट्ट समेत अन्य दालें उपलब्ध रहती हैं साथ ही पहाड़ी सब्जियां भी।

रायता पकौड़ी भी है पहचान

शेर की आकृतिनुमा जबड़े से निकलने वाले पानी पीकर प्यास बुझाने वाले गरमपानी मुख्य बाजार में आलू, पकौड़ी,रायते का स्वाद लेना भी नहीं भूलते। पहाड़ के घुमावदार रास्ते में यात्रा करने वाले यात्री राई मिश्रित रायता का स्वाद ले अपनी थकान उतारते है। धारे के आसपास स्थित प्रत्येक दुकान में स्वादिष्ट आलू, रायता, पकौड़ी उपलब्ध रहता है।


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