तापमान में वृद्धि, मॉडर्न टेक्नोलॉजी और मोबाइल रेडिएशन से विलुप्त हो रहीं गौरैया
आंगन में उछल-कूद करने वाली गौरैया विलुप्त होने लगी है। तापमान में वृद्धि मॉडर्न टेक्नोलॉजी व मोबाइल रेडिएशन चिडिय़ों के लिए बहुत हानिकारक है जिसका असर पक्षियों पर पड़ रहा है।
हल्द्वानी, जेएनएन : कहां गई गौरैया..., क्यों नहीं दिखती गौरैया...। यह सवाल सबके मन में है। बचपन में सुबह उनकी चहचहाहट से हमारी नींद खुलती थी। सारा दिन आंगन में उछल-कूद करती थी, पर जैसे-जैसे हम बड़े हुए, यह विलुप्त होने लगी। तापमान में वृद्धि, मॉडर्न टेक्नोलॉजी व मोबाइल रेडिएशन चिडिय़ों के लिए बहुत हानिकारक है, जिसके चलते गौरैया विलुप्त होने लगी है।
गुलाब सिंह आठ वर्षों से कर रहे संरक्षण
शहर के गुलाब सिंह आठ वर्षों से गौरैया संरक्षण की मुहिम चला रहे हैं। वह बताते हैं कि शुरुआत उन्होंने अपने घर से की। घर में कृत्रिम घोसले लगाए, जिसमें कुछ दिनों के बाद चिडिय़ों ने आना शुरू कर दिया। गौरैया के आने से उनका हौसला बढ़ा, जिसके बाद उन्होंने करीब एक दर्जन घोसले और लगाए। देखते-देखते उनमें भी चिडिय़ा आ गई। घरों में दिनभर चिडिय़ों की आवाज ने आसपास रहने वाले लोगों को भी घर आने पर मजबूर कर दिया। इस समय उनके पड़ोस में सभी के घरों में कृत्रिम घोसले लगे हैं और उनमें गौरैया रह रही है।
गोविंद किरौला के घर में 70 से 80 गौरैया
शहर के गोविंद किरौला भी काफी समय से गौरैया को बचाने की मुहिम चला रहे हैं। उनके घर में इस समय 70 से 80 गौरैया रह रही हैं। वह लोगों के बर्थ डे, एनिवर्सरी में गिफ्ट के रुप में बर्ड हाउस गिफ्ट करते हैं। अभी तक वे चार हजार बर्ड हाउस लोगों को दे चुके हैं। उनका कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति को गौरैया को बचाने का प्रयास करना चाहिए।
गौरैया की संख्या घटने के जिम्मेदार
1- सीलिंग फैन से नुकसान
घरों में लगे सीलिंग फैन गौरैया के लिए जानलेवा साबित हुए हैं। घरों में घूमने वाली यह चिडिय़ा सीलिंग फैन से टकरा के मर जाती है, जिससे इनकी संख्या में कमी हुई।
2- मोबाइल फोन के टॉवर भी जिम्मेदार
जैसे-जैसे मोबाइल फोन के टॉवर बढ़े हैं। वैसे-वैसे गौरैया कम हो रही है। इन टॉवरों से निकलने वाली तरंगे गौरैया की प्रजनन क्षमता कम कर रही है।
3- बदलता वातावरण
बदलते वातावरण से गौरैया के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है। जलवायु के गर्म होने पर ये बच नहीं पा रही हैं।
इस तरह करें बचाव
1- गर्मी में अपने घर की छत पर बर्तन में पानी भरकर रखें।
2-छतों और पार्कों में उनके खाने के लिए कुछ अनाज डालें।
3-कीटनाशक का प्रयोग कम करें।
4- वाहन को प्रदूषण मुक्त रखें।
5- हरियाली बढ़ाएं व छतों पर घोसला बनाने के लिए कुछ जगह छोड़ें।
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