विवि व उच्च शिक्षण संस्थानों में बनेंगे सोशल मीडिया चैंपियन, जानें क्या है योजना NAINITAL NEWS
देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में अब उपलब्धियों शोध समेत अभिनव प्रयोगों को सोशल मीडिया में पोस्ट करना होगा। इसके लिए संस्थानों में सोशल मीडिया चैंपियन (एसएमसी) का चयन करना होगा।
नैनीताल, किशोर जोशी : देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में अब उपलब्धियों, शोध समेत अभिनव प्रयोगों को सोशल मीडिया में पोस्ट करना होगा। इसके लिए संस्थानों में सोशल मीडिया चैंपियन (एसएमसी) का चयन करना होगा। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसके लिए 31 जुलाई तक पोर्टल बनाने की मियाद तय की है। कुमाऊं विवि ने एसएमसी चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के सचिव आर सुब्रमण्यम ने तीन जुलाई को देश के समस्त हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट के हेड को संबंधित पत्र भेजा है। पत्र में कहा गया है कि सोशल मीडिया चैंपियन या एसएमसी द्वारा तमाम उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ ही एमएचआरडी के बेहतरीन कार्यों को सोशल मीडिया के माध्यम से समय-समय पर छात्रों तक पहुंचानी होगी। इसके अंतर्गत उच्च शिक्षण संस्थानों के ट्विटर, फेसबुक व इंस्टाग्राम एकाउंट बनाना होगा, जिससे एमएचआरडी के साथ ही अन्य संस्थानों से कनेक्ट करना होगा। इसके अलावा समस्त छात्रों के सोशल मीडिया अकाउंट से कनेक्ट किए जाएंगे। प्रत्येक सप्ताह विवि या संस्थान की उपलब्धि, रचनात्मक क्रियाकलाप या प्रमुख कार्यक्रम पर आधारित स्टोरी सोशल मीडिया अकाउंट में पोस्ट करनी होगी। इसके अलावा सकारात्मक स्टोरीज को री-ट्वीट कर संस्थान के छात्रों, प्राध्यापकों तक पहुंचाना होगा। उन्होंने 31 जुलाई तक सोशल मीडिया चैंपियन का पूरा ब्यौरा ई-मेल पता, ट्विटर अकाउंट, मोबाइल नंबर व्हाट्सएप नंबर के साथ भेजना है।
आसान नहीं है चयन
कुमाऊं विवि में सोशल मीडिया चैंपियन का चयन आसान नहीं है। विवि के डीएसबी, भीमताल परिसर, अल्मोड़ा परिसर के साथ ही विवि प्रशासनिक भवन में अधिकांश प्राध्यापक-कर्मचारियों के सोशल मीडिया अकाउंट अब तक नहीं हैं। यहां तक कि कई प्राध्यापक एंड्राइड फोन का उपयोग तक नहीं करते।
जल्द की जाएगी चयन प्रकिया
प्रो. केएस राणा, कुलपति कुमाऊं विवि ने बताया कि कुमाऊं विवि में जल्द ही सोशल मीडिया चैंपियन का चयन कर लिया जाएगा। इस संबंध में अधीनस्थों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इससे विवि के उत्कृष्ट शोध समेत अन्य क्रियाकलाप आम छात्रों के साथ ही राट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर तक साझा होंगे तो इसका लाभ प्रतिभाओं को मिलेगा। एमएचआरडी की यह पहल स्वागतयोग्य है।