नए साल की पहली उल्कावृष्टि की आतिशबाजी से जगमगाया आसमान
साल की पहली उल्कावृष्टि की आतिशबाजी से आसमान जगमगा उठा। शुक्रवार तड़के तीन बजे से पांच बजे के बीच यह खगोलीय घटना चरम पर रही।
नैनीताल, जेएनएन : साल की पहली उल्कावृष्टि की आतिशबाजी से आसमान जगमगा उठा। शुक्रवार तड़के तीन बजे से पांच बजे के बीच यह खगोलीय घटना चरम पर रही। इस क्वाड्रैंटिड मेटियोर शॉवर के रोमांचक नजारे को छायाकारों ने कैमरे में कैद किया।
उल्काओं की बारिश आसमान में होने वाली रोचक घटनाओं में एक है। जिसे सामान्य रूप से टूटता तारा भी कहा जाता है, जो भ्रम मात्र हैं। असल में अंतरिक्ष में छोटे कणों से लेकर कई फिट आकार की ठोस पिंड विचरते रहते हैं और जब भी यह पृथ्वी के मार्ग पर आते हैं तो धरती के वातावरण से स्पर्श करते ही जल उठते हैं। तब आतिशी जैसा नजारा देखने को मिलता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे मेटियोर शॉवर कहते हैं। यह सामान्य खगोलीय घटना है, जो वर्ष में कई बार देखने को मिलती है। आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे के अनुसार क्वाड्रैंटिड मेटियोर शॉवर की घटना चार दिसंबर तड़के चरम पर होनी थी, जिसमें एक घंटे के दौरान लगभग सौ उल्कावृष्टिï होने का अनुमान था। यहां यह घटना क्षीतिज से 45 डिग्री के मध्य दिखाई देनी थी। इसका समय रात करीब एक बजे से सुबह के बीच था। हालाकि अगले कुछ दिन तक उल्कावृष्टिï नजर आएगी, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम रह जाएगी। एस्ट्रोफोटोग्राफर हिमांशु जोशी ने इस नजारे की कई तस्वीरें कैमरे में कैद की। उन्होंने बताया कि वह रात एक बजे हनुमानगढ़ी के समीप पहुंच गए थे।
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