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श्वेता वर्मा ने प्राथमिक शिक्षा पूरी करते ही थाम लिया बल्ला, दो साल पूर्व पिता के निधन के बाद भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मां ने दिया संबल

थल की 24 वर्षीय महिला क्रिकेटर श्वेता वर्मा ने ऐसा ही करके दिखाया है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम में चयनित होने से सामान्य परिवार की श्वेता ने अपनी सफलता से विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले पहाड़ की अन्य बालिकाओं को भी राह दिखाई है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sun, 28 Feb 2021 10:32 AM (IST)Updated: Sun, 28 Feb 2021 10:32 AM (IST)
श्वेता वर्मा ने प्राथमिक शिक्षा पूरी करते ही थाम लिया बल्ला, दो साल पूर्व पिता के निधन के बाद भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मां ने दिया संबल
परिवार के सदस्यों को टीवी पर क्रिकेट मैच देखते हुए उनमें क्रिकेट के प्रति जुनून पैदा हुआ।

अर्जुन सिंह रावत, थल (पिथौरागढ़)। प्रतिभा संसाधनों और सुविधाओं की मोहताज नहीं होती। लगन और जुनून की बदौलत वह मंजिल हासिल कर खुद को साबित कर ही लेती है। थल की 24 वर्षीय महिला क्रिकेटर श्वेता वर्मा ने ऐसा ही करके दिखाया है। भारतीय महिला क्रिकेट टीम में चयनित होने से सामान्य परिवार की श्वेता ने अपनी सफलता से विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले पहाड़ की अन्य बालिकाओं को भी राह दिखाई है।

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थल कस्बे की श्वेता ने प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर से ग्रहण की। परिवार के सदस्यों को टीवी पर क्रिकेट मैच देखते हुए उनमें क्रिकेट के प्रति जुनून पैदा हुआ। प्रारंभिक शिक्षा पूरी होते ही श्वेता ने बल्ला थाम लिया। हमउम्र लड़कियों को क्रिकेट में कोई रुचि नहीं थी तो उन्होंने लड़कों के साथ क्रिकेट खेला। गांव में होने वाली क्रिकेट प्रतियोगिताओं में वह हिस्सा लेने लगीं। इंटर की पढ़ाई के बाद तो उनमें क्रिकेट को लेकर मानो जुनून ही सवार हो गया। उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए वह अल्मोड़ा पहुंची। वहां महाविद्यालय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखानी शुरू  की। वहां क्रिकेट कोच लियाकत अली ने उनके नैसर्गिक खेल को देखा तो उनमें छिपी प्रतिभा को पहचान लिया। उन्होंने श्वेता को चार वर्ष तक क्रिकेट की बारीकियां सिखाई। इस दौरान तमाम प्रतियोगिताओं में शिरकत करने के साथ ही वह उत्तर प्रदेश की टीम से क्रिकेट खेलने लगी। इसके बाद श्वेता ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

हाइलैंडर्स क्रिकेट एकेडमी काशीपुर में प्रशिक्षण लेते हुए वह इंडिया ए टीम में सलेक्ट हुई तो भारतीय क्रिकेट टीम में चयन को अपना लक्ष्य बना लिया। आखिरकार शनिवार को श्वेता ने मुकाम हासिल कर लिया। श्वेता सात मार्च से लखनऊ में दक्षिण अफ्रीका की टीम के साथ पांच मैचों की वनडे सीरीज खेलेंगी।

मां ने दिया बेटी को संबल

श्वेता के पिता मोहन लाल वर्मा का दो वर्ष पूर्व निधन हो गया था। पिता के बाद बेटी के जुनून को मंजिल दिलाने में मां कमला वर्मा भी डटी रही। माता कमला वर्मा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं और बेटी का पूरा खर्च वह अपनी मेहनत से जुटा रही हैं। बेटी के सपनों को पूरा करने में कभी भी आर्थिक संसाधनों कमी आड़े नहीं आने दी।

खेलों में आगे आएं राज्य की बालिकाएं : श्वेता

श्वेता कहती हैं कि उत्तराखंड की बालिकाओं में खासी प्रतिभा और क्षमता है। उन्हें खेलों का सही प्रशिक्षण दिए जाने की आवश्यकता है। दूरदराज के क्षेत्रों में खेल सुविधाओं का विस्तार हो तो कई प्रतिभाएं सामने आ सकती हैंं। पिथौरागढ़ जिले की महिला पर्वतारोहियों से उन्हें खासी प्रेरणा मिलती रही है।

मिठाई बांट कर मनाया जश्न

श्वेता वर्मा के भारतीय टीम में चयनित होने की जानकारी मिलते ही थल कस्बे में खुशी की लहर दौड़ गई। लोगों ने मिष्ठान वितरित कर कहा कि श्वेता ने अपनी प्रतिभा से थल क्षेत्र को राष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है। सामाजिक कार्यकर्ता दिनेश पाठक, प्रवीण जंगपांगी, मोहित वर्मा, वंदना वर्मा, दीया वर्मा, सुरेंद्र पांगती, सलीम अहमद, गंगा मेहता, कृष्णा गोस्वामी, नीरज जोशी, भूपेंद्र पांगती ने कहा है कि श्वेता की सफलता पहाड़ की अन्य बालिकाओं को भी प्रेरणा मिलेगी। 

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