Move to Jagran APP

श्रीश्री ने बताए सहज जीवन जीने के पांच मंत्र

श्रीश्री रविशंकर ने सहज जीवन जीने के पांच मंत्र बताए। इन मंत्रों के जरिये व्यक्ति का जीवन आनंददायक हो जाता है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 09 Mar 2019 12:08 PM (IST)Updated: Sat, 09 Mar 2019 08:04 PM (IST)
श्रीश्री ने बताए सहज जीवन जीने के पांच मंत्र
श्रीश्री ने बताए सहज जीवन जीने के पांच मंत्र

हल्द्वानी, जेएनएन : श्रीश्री रविशंकर ने सहज जीवन जीने के पांच मंत्र बताए। इन मंत्रों के जरिये उन्होंने आह्वान किया कि व्यक्ति को इस तरह के जीवन जीना कठिन लग सकता है, लेकिन जब छोटी-छोटी बातों और ध्यान से नियमित अभ्यास करता रहे, तो जीवन स्वत: ही सुखमय और सहज होने लगता है। 

loksabha election banner

गुरुदेव ने बताए सहज जीवन के पांच मंत्र

पहला- चाहे-अनचाहे जीवन में कभी खुशी कभी गम आता है, लेकिन किसी भी परिस्थिति में मन का संतुलन बनाए रखना जरूरी होता है।

दूसरा - वस्तु, व्यक्ति, परिस्थिति जैसी भी हो, स्वीकार करना सीखो। सहजता से स्वीकार करने में ही जीवन का आनंद है। खुशी इसी में है।

तीसरा- कौन क्या कहता है इससे विचलित न हों। लोग कहते रहते हैं। क्यों आप उन लोगों की बातों का फुटबॉल बनते हो। अपने मन को बचाओ।

 चौथा - अपनी गलती को माफ करना और दूसरों की गलतियों पर पहाड़ उठा लेने की प्रवृत्ति से बचें। अपने व दूसरों को एक ही तराजू पर तोलो।

पांचवां- क्यों पुरानी बातों पर बेवजह माथापच्ची करते हैं। वर्तमान में जीते हुए जीवन को सहज व सरल बनाएं। इस तरह के जीवन के लिए ध्यान करें।

जब ईश्वर सभी में है तो अनुभूति क्यों नहीं होती

गुरु व ज्ञान के महत्व को हंसाते हुए समझाया 

श्री श्री रविशंकर मंच पर पहुंचे तो उन्होंने कुछ असहज महसूस किया। उन्हें लगा कि वह सामने प्रांगण में बैठे लोगों को नजर नहीं आ रहे हैं। इसके बाद उन्होंने कहा कि वह खड़े हो जाते हैं और मंच के सामने बने रैंप पर चले गए। इसके बाद उन्होंने अपना संबोधन शुरू किया। करीब 15 मिनट बोलने के बाद उन्होंने लोगों से पूछा कहां है आप...तो लोग मुस्करा उठे। रवि शंकर ने कहा कि अगर कोई दस मिनट तक लगातार बोले तो सुनने वाले का मन भी इधर-उधर चला जाता है। फिर लोगों से सवाल किया कि कितने लोग मानते हैं कि ईश्वर की प्राप्ति मुश्किल काम है? जब कुछ लोगों ने हाथ खड़े किए तो रविशंकर ने कहा कि ईश्वर मुझ में, तुझ में सब में है, फिर अनुभूति क्यों नहीं होती? यह ज्ञान और ध्यान के प्रकाश से संभव है। मैं सत्संग में आकर यही करता हूं। रविशंकर ने लोगों को यह कहते हुए हंसाया कि हमारा तो काम ही है आग लगा देना, जहां ठंडा पड़ा है वह आग लगा देता हूं, जहां आग जल रही है वह जल डाल कर ठंडा कर देते हैं। उनका मतलब मन के भीतर क्रोध और ज्ञान की अग्नि से था। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हवा हमें महसूस नहीं होती, लेकिन जब हम किसी पंखे के नीचे जाते हैं तो हवा महसूस होती है, इसी तरह जब ज्ञान मिलता है तो सत्य महसूस होता है। हर घड़ी आनंद में बीतता है। 40 मिनट धारा प्रवाह बोलने के बाद श्री श्री मंच पर बनाए गए आसन पर बैठे और भजनों के दौरान रैंप पर चलकर लोगों के ऊपर फूल बरसाते रहे।

सत्संग में भी सास-बहू के झगड़ों पर चर्चा

श्री श्री ने कहा भारत में सास-बहू के झगड़े आम है, जबकि विदेशों में यह सुनने को नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि जब मां हमें डांटती है तो हम सहन कर लेते हैं, लेकिन मां की अपेक्षा सास 10 प्रतिशत भी कुछ कह दे तो हम बुरा मान जाते हैं। जिस तरह से मां की डांट स्वीकार करते है ऐसे ही मां समझकर सास की डांट क्यों स्वीकार नहीं होती, यह सोचने की जरूरत है। बहुओं को समझाया मां की डांट सुन सकते हैं तो सास की बर्दाश्त क्यों नहीं करते?

सिलगड़ी का पाला चला..गीत पर हुए मोहित

नुपुर कला केंद्र के कलाकारों ने श्री श्री के स्वागत में परंपरागत कुमाऊंनी पहनावे के साथ लोकनृत्य प्रस्तुत किया। स्वर्गीय पप्पू कार्की के गाए इस गीत में कुमाऊं की संस्कृति की झलक देखने को मिली। जैसे ही गीत आरंभ हुआ और कलाकारों ने नृत्य शुरू किया। इस दौरान रविशंकर ने गीत में खोए नजर आए। उन्होंने नृत्य की समाप्ति पर तालियां बजाकर कलाकारों का हौसला बढ़ाया। आयोजन स्थल पर प्रवेश के समय छोलिया नृत्य के साथ श्री श्री को मंच तक लाया गया।

बच्चों ने बंद आंखों से किताब पढ़ी, रंग भरे

आर्ट ऑफ लिविंग के प्रज्ञा योग का अभ्यास करने वाले बच्चों ने महात्संग के दौरान अपनी प्रस्तुति दी। आंखों पर पट्टी बांध कर बच्चों ने पुस्तक पढ़ी और चित्र बनाकर उसमें रंग भरे। यह नजारा देखकर दर्शक हैरान हो गए। श्री श्री ने बताया कि प्रज्ञा योग बहुत लंबी साधना नहीं है। उनकी संस्था के माध्यम से साठ हजार बच्चे प्रज्ञा योग कर चुके हैं। देश के कई दृष्टि बाधित बच्चों के स्कूलों में इस योग को कराया गया तो इसके बेहतर परिणाम मिले। बच्चों के मन में राग, द्वेष नहीं होता। वह मासूम होते हैं। भारत ऐसी विद्याओं का देश है, जिनसे हम अपनी बुद्धि की शक्ति को प्रगाढ़ कर सकते हैं। इसमें योग व आयुर्वेद शामिल है।

कुमाऊं के हर गांव में होंगे आर्ट ऑफ लिविंग के प्रतिनिधि

व्यक्तिगत रूप में हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा होनी चाहिए। परिवार में होगी तो समाज में जाएगी और समाज में होगी तो पूरे देश में जाएगी। रविशंकर ने लोगों को सकारात्मक बातें फैलाने के लिए प्रेरित किया। देश की सवा सौ करोड़ लोगों की सकारात्मक ऊर्जा को जगाना है। कुमाऊं में आर्ट ऑफ लिविंग के प्रतिनिधि हर गांव में होंगे। गांव में सकारात्मक विचार फैलाना इन प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी होगी। जो भी युवा यह करना चाहते हैं वह संस्था में अपना नाम लिखवा सकते हैं।

कमर व गर्दन दर्द का इलाज बता गए गुरुजी

आधुनिक जीवन शैली ने सबसे ज्यादा बुरा असर इंसान की कमर, कंधा और गर्दन पर डाला है। श्री श्री रविशंकर ने मौके की नजाकत को देखते हुए महासत्संग में इसका इलाज बताया। उन लोगों से हाथ खड़ा करने को कहा जिनको कमर, गर्दन और कंधे में दर्द रहता है, तो प्रांगण में बैठे आधे से ज्यादा पुरुष व महिलाओं ने अपने हाथ उठा दिए। दर्द वालों की ज्यादा संख्या देख श्री श्री भी चौंक गए। इसके बाद उन्होंने एक छोटा से योगासन बताया जिससे दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है।

उपाध्याय ने चार पन्नों की स्क्रिप्ट तैयार की

महासत्संग में मंच संचालन की जिम्मेदारी डॉ. प्रदीप उपाध्याय ने निभाई। एक घंटे तक मंच संचालन करने के लिए उन्होंने दो दिन अभ्यास किया। गुरुजी के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर चार पन्नों की स्क्रिप्ट तैयार की। डॉ. उपाध्याय राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महरागांव में शिक्षक हैं।

यह भी पढ़ें : जहां सबसे अधिक लोग खुश हों ऐसा नगर बने हल्द्वानी : श्री श्री


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.