पर्वतीय क्षेत्रों में नेटवर्किंग की समस्या और शिक्षकों कमी से दम तोड़ रही उच्च शिक्षा
राज्य में अब तक हालातों को तो देखकर लगता है कि उच्च शिक्षा केवल कागजों में ही ऑनलाइन चल रही है। धरातल पर सारी व्यवस्थाएं ऑफलाइन नजर आ रही हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : राज्य में अब तक हालातों को तो देखकर लगता है कि उच्च शिक्षा केवल कागजों में ही ऑनलाइन चल रही है। धरातल पर सारी व्यवस्थाएं ऑफलाइन नजर आ रही हैं। पर्वतीय क्षेत्रों के डिग्री कॉलेज एक तो पहले से ही नेटवर्किंग की समस्या से जूझ रहे हैं वहीं, रही सही कसर भी अतिथि शिक्षकों की नौकरी खत्म होते ही दम तोड़ गई है। आलम ये है कि कई कॉलेजों में अतिथि शिक्षकों के न होने से अर्थशास्त्र, इतिहास, भूगोल, गृह विज्ञान, जूलॉजी, संगीत पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं। जबकि अधिकांश डिग्री कॉलेजों में अतिथि शिक्षकों की भी जिम्मेदारी स्थाई शिक्षकों के ऊपर आ गई है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो राज्य के 105 शासकीय डिग्री कॉलेजों में सवा तीन सौ के आसपास अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्त हो चुकी है।
संस्कृत पढ़ाने वाला कोई नहीं
पिथौरागढ़ जिले के दूरस्थ क्षेत्र बलुवाकोट के डिग्री कॉलेज में नितांत अस्थाई व्यवस्था के तहत तीन अतिथि शिक्षक थे। जिनकी सेवा अब समाप्त हो चुकी है। ऐसे में यहां संस्कृत, समाजशास्त्र, इतिहास की कक्षा ऑनलाइन पढ़ाने में दिक्कतें आ रही हैं।
दोहरी जिम्मेदारी
पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय के डिग्री कॉलेज के 1& अतिथि शिक्षक अब नौकरी से बाहर हैं। यहां संगीत, गृह विज्ञान, अर्थशास्त्र, संस्कृत, ङ्क्षहदी, अंग्रेजी, सांख्यिकी, जूलॉजी, रसायन की ऑनलाइन पढ़ाई का जिम्मा स्थाई शिक्षकों पर आ गया है।
रानीखेत में संगीत पढ़ाने वाला कोई नहीं
अल्मोड़ा जिले के रानीखेत डिग्री कॉलेज में पांच संविदा शिक्षकों की सेवा समाप्त हो चुकी है। ऐसे में यहां जूलॉजी, राजनीतिक विज्ञान, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र की पढ़ाई का जिम्मा स्थाई शिक्षकों पर है। जबकि संगीत पढ़ाने को कोई शिक्षक नहीं है।
यहां आर्ट्स की ऑनलाइन पढ़ाई बेपटरी
बागेश्वर डिग्री कॉलेज में 1& संविदा शिक्षकों की नौकरी समाप्त हो चुकी है। जिनपर अर्थशास्त्र, इतिहास, भूगोल, गृह विज्ञान पढ़ाने का जिम्मा था। लेकिन फिलहाल इन विषयों को पढ़ाने के लिए कोई नहीं है। डॉ. एएस उनियाल, उप निदेशक, उच्च शिक्षा ने बताया कि अतिथि शिक्षकों का अनुबंध बढ़ाने को लेकर शासन स्तर पर कार्रवाई गतिमान है। ऑनलाइन पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए कई कॉलेजों में स्थाई फैकेल्टी नियुक्त है। समय-समय पर मॉनीटरिंग भी की जा रही है।
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