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पुलिस के जवान शरद जोशी ने पैर गंवाया अपना हौसला नहीं, पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी बने मिसाल

जज्बे से भरी यह कहानी रुद्रपुर स्थित 31वीं पीएसी के जवान शरद चंद्र जोशी की है। फरवरी में दुबई में आयोजित पैरा बैडमिंटन प्रतियोगिता में शरद ने दो कांस्य पदक अपने नाम किए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 11:50 AM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 07:32 PM (IST)
पुलिस के जवान शरद जोशी ने पैर गंवाया अपना हौसला नहीं, पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी बने मिसाल
पुलिस के जवान शरद जोशी ने पैर गंवाया अपना हौसला नहीं, पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी बने मिसाल

हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट : 'बचपन से खिलाड़ी रहा। फिर पुलिस का जवान बन गया। उस हादसे में एक पैर खोकर लंबे समय तक तनाव भी झेला। उस घटना के बाद बतौर खिलाड़ी खुद को फिर से तैयार करना काफी मुश्किल था। परिवार के अलावा औरों का साथ मिला तो फिर से खेल के मैदान में पहुंच गया। अब बस खेल को बदला है। पहले जिम्नास्टिक प्लेयर था अब बैडमिंटन रैकेट पकड़ पसीना बहाता हूं।'

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जोश व कुछ कर गुजरने के जज्बे से भरी यह कहानी रुद्रपुर स्थित 31वीं पीएसी के जवान शरद चंद्र जोशी की है। फरवरी में दुबई में आयोजित इंटरनेशनल पैरा बैडमिंटन प्रतियोगिता में शरद ने दो कांस्य पदक अपने नाम किए हैं। साल 2005 में पुलिस में भर्ती होने वाले शरद (32) ने मई 2015 में हुए एक हादसे में अपना एक पांव खो दिया था। करीब आठ माह तक उन्हें बिस्तर पर रहना पड़ा। बचपन से जिम्नास्टिक प्लेयर रहे शरद पुलिस टीम की तरफ से भी प्रतिभाग करते थे, लेकिन अब यह खेल उनसे दूर हो चुका था।

खुद को संभालने के बाद उन्होंने आठ लाख का कृत्रिम पैर बनाकर सिटिंग वॉलीबाल व एथलेटिक्स में हाथ आजमाया। फिर रुझान बैडमिंटन की तरफ बढ़ा तो कोर्ट में दिन-रात पसीना बहाकर शरद ने खुद को एक खिलाड़ी के तौर पर फिर तैयार कर लिया। दुबई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन प्रतियोगिता में भाग लेने वाले वह प्रदेश के इकलौते खिलाड़ी भी बने। जहां बेहतर प्रदर्शन की वजह से उन्होंने दो कांस्य पदक अपने नाम किए। एकल व युगल मैच में उन्होंने यह मेडल जीते।

मूल रूप से अल्मोड़ा निवासी है परिवार

शरद का परिवार मूल रूप से ग्राम बले सोमेश्वर, जिला अल्मोड़ा का रहने वाला है। पिता रमेश चंद्र जोशी स्वास्थ्य विभाग से रिटायर हैं। जबकि मां उमा गृहिणी है। पत्नी ममता और पांच साल का बेटा तेजस समेत पूरा परिवार रुद्रपुर में रहता है।

मुझे बनाने में इनका योगदान

बातचीत में शरद ने बताया कि परिवार के अलावा डीजी लॉ एंड आर्डर व पुलिस स्पोट्र्स कंट्रोल बोर्ड के सचिव अशोक कुमार, शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का सहयोग उनके लिए काफी महत्वपूर्ण है। इनकी मदद के बगैर मैदान में दोबारा लौटना संभव नहीं था।

स्टेट चैंपियनशिप में दस पदक जीते

इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में खुद को तैयार करने से पहले शरद ने राज्य स्तरीय टूर्नामेंटों में खूब पसीना बहाना बहाया। करीब दस मेडल उन्होंने स्टेट चैपिंयनशिप में भी अपने नाम किए।

अर्जुन अवार्डी से लिया प्रशिक्षण

पैरा खेलों से जुडऩे के बाद शरद का संपर्क डिसेबल्ड सपोर्टिंग सोसाइटी के सचिव हरीश चौधरी से हुआ। इसके बाद उन्होंने रुद्रपुर निवासी पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी व अर्जुन अवार्डी मनोज सरकार से भी खेल के गुर सीखे।

खाकी व खेल मेरी पहचान

हादसे के बाद दोबारा नौकरी ज्वाइन करने पर शरद को 40 वीं वाहिनी हरिद्वार में तैनाती मिली। बाद में परिजनों की मौजूदगी में देखभाल बेहतर होने की वजह से विभाग ने उनका ट्रांसफर रुद्रपुर कर दिया। शरद ने बताया कि पुलिस का जवान व खेल ही उनकी पहचान है।

डीजीपी ने किया सम्मानित

इंटरनेशनल प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद लौटे शरद को पुलिस मुख्यालय में डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी ने भी सम्मानित किया। पुलिस के आलाधिकारियों ने उनके हौंसले व खेल को सराहा।

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