रिलकोट में फसें सात पोर्टर्स 12 घंटे तक बर्फ पर पैदल चलकर खोल्ता पहुंचे nainital news
14 दिनों से रिलकोट चौकी में फंसे सात पोर्टर्स अपने रिस्क पर निकल कर चल दिए। यह लोग 24 किमी. बर्फ पर चलकर खोल्ता गांव पहुंचे हैं।
पिथौरागढ़, जेएनएन : जिन रास्तों पर अप्रैल में ट्रैक करना मुश्किल भरा होता है वहां 14 दिनों से मुनस्यारी के उच्च हिमालय चौकी रिलकोट में फंसे सात पोर्टर्स अपने रिस्क पर निकलकर चल दिए हैं। यह लोग 24 किमी. बर्फ पर चलकर खोल्ता गांव पहुंचे हैं। रिलकोट में आठ आइटीबीपी जवान अब भी फंसे हुए हैं, जिन्हें हेलीकॉप्टर से लाया जाएगा। सेना के मुताबिक वायु सेना के हेलीकॉप्टर की मांग की गई है। उच्च हिमालय पर मौसम साफ होते ही जवानों को लिफ्ट किया जाएगा।
आज मुनस्यारी पहुंच जाएंगे पोर्टर्स
सेनानी 14वीं वाहिनी आइटीबीपी जाजरदेवल अशोक कुमार ने बताया कि गुरुवार को रिलकोट में फंसे सात पोर्टर्स आज अपने रिस्क पर रिलकोट से 24 किमी बर्फ पर चलकर शाम छह से सात बजे के बीच लीलम् के निकट खोल्ता पहुंच चुके हैं। सभी पोर्टर्स सुरक्षित और सकुशल हैं। शुक्रवार को पोर्टर्स मुनस्यारी पहुंच जाएंगे। उन्होंने बताया कि मार्ग पर कई फीट बर्फ है इसके बाद भी पोर्टर्स अपने रिस्क पर आए हैं।
हथियार और सामान होने के कारण पैदल नहीं आ सकते जवान
सेनानी आइटीबीपी ने बताया कि जवानों को दो-तीन दिन में हेलीकॉप्टर से मुनस्यारी या पिथौरागढ़ लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि रिलकोट में फंसे जवानों के पास हथियार और सामान हैं। हथियार और सामान होने से जवान पैदल नहीं आ सकते हैं। 12 और 13 दिसंबर को उच्च हिमालय में भारी हिमपात के चलते चौकी शिफ्ट होने के दौरान आठ जवान और सात पोर्टर्स रिलकोट और 19 आइटीबीपी जवान छह पोर्टर्स बगडिय़ार चौकियों में ही फस गए थे। बुगडिय़ार में फंसे जवान बीते सप्ताह वाहिनी मुख्यालय पहुंच गए थे।
जान जोखिम में डालकर पोर्टर्स ने किया सफर
रिलकोट में फंसे पोर्टरों ने जान जोखिम में डालकर सफर किया। वहां से निकलना उनके लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा। उच्च हिमालयी इलाकों के आईटीबीपी चेक पोस्ट पर फंसे जवानों और पोर्टरों को वायुसेना के हेलीकॉप्टर से लिफ्ट करने योजना सेना कई दिनों से बना रही है। लेकिन मौसम अनुकूल न होने के कारण अभी तक यह संभव नहीं हो सका है। पोर्टर्स ने काफी दिनों की प्रतीक्षा के बाद भी जब देखा की मौसम साफ नहीं हो रहा है, ऐसे में हेलीकॉप्टर का यहां पहुंचना संभव नहीं है तो उन्होंने अपने ही रिस्क पर पैदल सफर करने की ठानी। पांच फीट से अधिक जमी बर्फ में पैदल 12 घंटे तक 24 किलोमीटर का सफर उन्होंने तय किया। लेकिन पैदल चलना जवानों के लिए इसलिए संभव न हो सका क्योंकि उनके पास हथियार और अन्य सामान है। वहीं उच्च हिमालयी इलाकों के पर्वतारोहण के एक्सपर्ट गंगा राम का कहना है कि इन रास्तों पर अप्रैल में ही ट्रैक कर पाना काफी कठिन है। बर्फवारी के समय रास्ता बनाना अपने में किसी खतरे से कम नहीं है।
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