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नासा व बेल्जियम के वैज्ञानिकों ने खोज निकाला सात ग्रहों को

नासा व बेल्जियम के वैज्ञानिकों ने ट्रेपिस्ट-1 नामक ड्वार्फ तारे के चक्कर लगा रहे सात ग्रहों का खोज निकाला है। यह वैज्ञानिकों को उत्साहित करने वाली खोज है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 24 Feb 2017 09:42 AM (IST)Updated: Sat, 25 Feb 2017 06:50 AM (IST)
नासा व बेल्जियम के वैज्ञानिकों ने खोज निकाला सात ग्रहों को
नासा व बेल्जियम के वैज्ञानिकों ने खोज निकाला सात ग्रहों को

 नैनीताल, [रमेश चंद्रा]: खगोल विज्ञान में एक साथ सात ग्रहों का मिलना वैज्ञानिकों को उत्साहित करने वाली खोज है। नासा व बेल्जियम के वैज्ञानिकों ने ट्रेपिस्ट-1 नामक ड्वार्फ तारे के चक्कर लगा रहे सात ग्रहों का खोज निकाला है। इस संदर्भ में आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वैज्ञानिकों का कहना है कि अंतरिक्ष में मानव को बसाने के लिए पृथ्वी जैसे ग्रह की तलाश बेहद जरूरी है।

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 एरीज के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि अंतरिक्ष में धरती समान जीवन योग्य ग्रह की खोज पिछले करीब 25 सालों से  जारी है। अभी तक हमारे सोलर सिस्टम  से बाहर तीन हजार से अधिक ग्रहों को खोजा चुका है। जिनमें कुछ ही ऐसे ग्रह हैं, जिनमें होने की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है। परंतु वास्तविकता का पता गहन अध्ययन के बाद ही चल सकता है और इसमें काफी समय लगेगा। ग्रहों की खोज की दिशा में नासा का कैप्लर मिशन काफी उपयोगी साबित हो रहा है। 
अब नासा व बेल्जियम के वैज्ञानिकों ने ट्रपिस्ट-1 तारे की खोज कर इतिहास रचा दिया है। यह बौना तारा है। अपने तारे से जितनी दूरी पर यह सातों ग्रह तारे के चक्कर लगा रहे है, उसे अर्थ हेविटेविल जोन कहा जाता है।
यह तारा सूर्य से दो सौ गुना कम चमकीला है। जितनी दूरी पर बुध ग्रह सूर्य का चक्कर लगा रहा है, उतनी दूरी पर यह ग्रह भी अपने तारे का भ्रमण कर रहे हैं। यह वास्तव में महत्वपूर्ण खोज है। अब इन ग्रहों का आगे का अध्ययन किया जाएगा।  
जिससे जीवन योग्य ग्रहों की खोज की दिशा में नए आयाम सामने आएंगे। डॉ. पांडे का कहना है कि  धरती पर तेजी से बढ़ती जनसंख्या और कम होते प्राकृतिक संसाधनों के चलते पृथ्वी जैसी एक और धरती की सख्त आवश्यकता है।
जिसे लेकर दुनिया की कई स्पेस एजेंसियां काम कर रही हैं। इसके लिए अंतरिक्ष में दूरबीनें तैनात की गई हैं। साथ ही धरती से भी इनकी खोज की प्रक्रिया जारी है। संभव है कि भविष्य में यह खोज पूरी हो सकेगी। 

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