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क्वारंटाइन सेंटर व अस्पतालों को लेकर निगरानी कमेटियों के रिपोर्टोंं को देखकर कोर्ट में पेश करें

हाईकोर्ट ने कोविड अस्पतालों व क्वारंटाइन सेंटरों की बदहाल व्यवस्था को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की। मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि सभी जिलों की निगरानी कमेटियों के रिपोर्टो का अवलोकन कर 31 अकटूबर तक पेश करने के निर्देश दिए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 21 Oct 2020 09:28 PM (IST)Updated: Wed, 21 Oct 2020 09:28 PM (IST)
क्वारंटाइन सेंटर व अस्पतालों को लेकर निगरानी कमेटियों के रिपोर्टोंं को देखकर कोर्ट में पेश करें
क्वारंटाइन सेंटर व अस्पतालों को लेकर निगरानी कमेटियों के रिपोर्टोंं को देखकर कोर्ट में पेश करें

नैनीताल, जेएनएन : हाईकोर्ट ने कोविड अस्पतालों में सुविधाओं की कमी व क्वारंटाइन सेंटरों की बदहाल व्यवस्था को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की। मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि सभी जिलों की निगरानी कमेटियों के रिपोर्टो का अवलोकन कर उनकी अलग-अलग रिपोर्ट कोर्ट में 31 अकटूबर तक पेश करने के निर्देश दिए हैं। बुधवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि निगरानी कमेटियों ने जब अस्पतालों की निगरानी की तो एम्स के डायरेक्टर व एसटीएच हल्द्वानी ने कमेटी से डॉक्टर्स, स्टाफ व नर्सों की कमी की बात कही। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर की तिथि नियत की है।

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कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की खण्डपीठ में अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली, देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सरकार की ओर से शपथ पेश कर कहा कि राज्य में लॉकडाउन सम्भव नहीं है। सरकार ने नैनीताल में रोजाना 500 से अधिक पर्यटकों की आमद पर पाबंदी के सुझाव को ठुकरा दिया गया। कहा कि यह सम्भव नहीं है।

दरअसल क्वारन्टीन सेंटरों व कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर हाईकोर्ट में अलग अलग जनहित याचिकायें दायर की थी। पूर्व में बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर माना था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं। सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है। जिसका संज्ञान लेकर कोर्ट ने अस्पतालों की नियमित मॉनिटरिंग के लिये जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी कमेटीया गठित करने के आदेश दिए थे। कमेटियों से सुझाव मांगे गए थे।


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