वायरक्रेट लगाकर होगी गिरिजा मंदिर के टीले की सुरक्षा, आइआइटी रुड़की के इंजीनियरों ने किया निरीक्षण
सिंचाई विभाग के अधिकारियों व मंदिर के पुजारी मोहन चंद्र पांडे ने आगामी बरसात से मंदिर को बचाने के लिए वैकल्पिक तौर पर टीले में वायरक्रेट लगाने व मंदिर के चारों ओर राउंड सीढिय़ां बनाने का सुझाव दिया।
जागरण संवाददाता, रामनगर : गिरिजा मंदिर के टीले की सुरक्षा फिलहाल इस बरसात में वायरक्रेट लगाकर होगी। दीर्घकालीन सुरक्षा के लिहाज से आइआइटी रुड़की के इंजीनियर रिपोर्ट तैयार कर सिंचाई विभाग को सौंपेंगे। गिरिजा मंदिर के मिट्टी के टीले को वर्ष 2010 में कोसी नदी में आई बाढ़ से खतरा पैदा हो गया था।
पूर्व में दैनिक जागरण ने भी 'मां मांगे सुरक्षा का वरदान' व 'मंदिर के टीले की सुरक्षा को खतरा' शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। फरवरी में जिला प्रशासन ने आइआइटी रूड़की को पत्र लिखा था और हाल में मंदिर आए सीएम तीरथ सिंह रावत ने भी मंदिर की सुरक्षा के बावत निर्देश दिए थे। इसी क्रम में शुक्रवार को आइआइटी रुड़की के सिविल इंजीनियर विभाग के प्रोफेसर सत्येंद्र मित्तल, इंजीनियर दिनेश कुमार व निहारिका ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ गिरिजा मंदिर क्षेत्र का निरीक्षण किया।
टीम ने मंदिर के टीले की मिट्टी का परीक्षण किया टीले पर स्थित मंदिर की पुरानी फोटो भी देखी। सिंचाई विभाग के अधिकारियों व मंदिर के पुजारी मोहन चंद्र पांडे ने आगामी बरसात से मंदिर को बचाने के लिए वैकल्पिक तौर पर टीले में वायरक्रेट लगाने व मंदिर के चारों ओर राउंड सीढिय़ां बनाने का सुझाव दिया। विधायक दीवान सिंह बिष्ट ने भी मंदिर पहुंच इंजीनियरों से मंदिर को लेकर सुरक्षा उपायों पर वार्ता की।
इस दौरान सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता संजय शुक्ल, ईई केसी उनियाल, एई मयंक मित्तल, राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी के प्रतिनिधि आशीष ठाकुर मौजूद रहे। एई सिंचाई विभाग मयंक मित्तल ने बताया कि आइआइटी के इंजीनियरों की टीम ने निरीक्षण कर लिया है। मंदिर की सुरक्षा के लिए टीम अपनी विस्तृत रिपोर्ट सिंचाई विभाग को सौंपेंगी। इसके बाद प्रस्ताव बनाकर शासन से बजट की मांग की जाएगी।
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