पहले से कहीं ताकतवर और सफेद मंडुवा बढ़ाएगा जायका, विज्ञानियों ने विकसित की दो अनाजों की नई प्रजाति
वैश्विक महासंकट कोरोना से जंग के साथ विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (वीपीकेएएस) के विज्ञानियों ने कृषि क्षेत्र में एक नई उपलब्धि हासिल की है।
अल्मोड़ा, जेएनएन : वैश्विक महासंकट कोरोना से जंग के साथ विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (वीपीकेएएस) के विज्ञानियों ने कृषि क्षेत्र में एक नई उपलब्धि हासिल की है। 12 वर्षों के लगातार शोध व अध्ययन के बाद विज्ञानियों ने हिमालयी क्षेत्र के मोटे अनाज मंडुवा की विशेष प्रजाति तैयार की है। खास बात कि इसमें सामान्य की तुलना में ज्यादा पोषक तत्व हैं। अनाज का रंग गहरे भूरे के बजाय दूधिया सफेद है। वहीं मक्के की नई प्रजाति में अमीनो अम्ल की मात्रा पहले से कहीं ज्यादा पाई गई है।
वीपीकेएस के विज्ञानियों ने वर्ष 2004 में पोषक तत्वों से लबरेज मंडुवा की नई प्रजाति विकसित करने को जो शोध शुरू किया था, उसके सुखद परिणाम अब दिखने लगे हैं। पारंपरिक से हटकर नई प्रजाति के मंडुवे का बीज भूरे के बजाय सफेद रंग का है। विज्ञानियों ने इसे 'वीएल मडवा-382' नाम दिया है। इसमें प्रोटीन की मात्रा सामान्य प्रजाति से ज्यादा पाई गई है। वहीं कैल्शियम की मात्रा प्रति सौ ग्राम 340 मिलीग्राम तथा प्रोटीन 8.8 प्रतिशत तक है।
नई मक्का प्रजाति में अमीनो अम्ल का खजाना
इसके अलावा विज्ञानियों ने हाइब्रिड मक्का विकसित किया है। उसे क्यूपीएम-59 यानि क्वॉलिटी प्रोटीनमेज नाम दिया है। विज्ञानियों के अनुसार इसमें टैप्रोफेन व लाइसीन नामक अमीनो अम्ल की मात्रा सामान्य मक्के से अधिक पाई गई है।
नई प्रजाति के दाने अब सफेद ही निकलेंगे
निदेशक वीपीकेएएस अल्मोड़ा डॉ लक्ष्मीकांत ने बताया कि हमारा शोध काफी लंबा चला। वर्ष 2004 में हमने मंडुवे का संकरण किया। जो म्यूटेंट लिया वह सफेद रंग का था। नई प्रजाति के दाने अब सफेद ही निकलेंगे। जबकि परंपरागत मंडुवा गहरे भूरे रंग का होता है। मडवे की रोटियां ही नहीं अब नमकीन व बिस्किट वगैरह सभी सफेद रंग के होंगे। आकर्षक लगेंगे। मक्के की संकर प्रजाति भी पहले से ज्यादा पौष्टिक तैयार की गई है। दोनों के बीज किसानों को उपलब्ध होंगे। किसान इनका बीज खुद भी तैयार कर सकेगा।