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जीबी पंत कोसी कटारमल के वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमण से लड़ने वाले यौगिक खोजे

वैश्विक महासंकट कोरोना से पार पाने को छिड़ी जंग के बीच सुकून भरी खबर आई है। विज्ञानियों व शोधार्थियों ने दो खास यौगिक खोज निकाले हैं जो कोरोना वायरस को बढ़ावा देने वाले 3-सीएलसी प्रो (थ्री-काइमोट्रिपसिन लाइक प्रोटिएज) एंजाइम से लड़ने में सक्षम हैं!

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 01:16 PM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 01:16 PM (IST)
जीबी पंत कोसी कटारमल के वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमण से लड़ने वाले यौगिक खोजे
कोसी कटारमल के वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमण से लड़ने वाले यौगिक खोजे

अल्मोड़ा, जेएनएन : वैश्विक महासंकट कोरोनावायरस से पार पाने को छिड़ी जंग के बीच सुकून भरी खबर आई है। विज्ञानियों व शोधार्थियों ने दो खास यौगिक खोज निकाले हैं, जो कोरोना वायरस को बढ़ावा देने वाले 3-सीएलसी प्रो (थ्री-काइमोट्रिपसिन लाइक प्रोटिएज) एंजाइम से न केवल लड़ने में सक्षम हैं, बल्कि संक्रमण पर लगाम लगा उसे निष्क्रिय करने में मददगार बन सकते हैं।

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विज्ञानियों की मानें तो कोविड-19 के जनक 'सार्स कोवी-2' के खात्मे में ये यौगिक कारगर साबित हो सकते हैं। ये वही यौगिक हैं, जो पूर्व में लाइलाज एचआइवी-वन के संक्रमण से लड़ने में कारगर साबित हो चुके हैं। दरअसल, लाॅकडाउन के बाद से ही जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल के विज्ञानी व शोधार्थी कोरोना वायरस से जंग जीतने की मुहिम में जुट गए थे। इस दरमियान शोध प्रक्रिया में 1528 एचआइवी-वन यौगिकों के समूह को कंप्यूटर विधि से जांचा परखा गया। फिर 356 ऐसे यौगिक चुने गए जिनमें कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने की संभावना थी।

नोडल अधिकारी राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन प्रो. किरीट कुमार ने बताया कि कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी यौगिकों की पहचान के बाद वनस्पति जगत में भी इनकी उपलब्धता का पता लगाने को नए अनुसंधान के द्वार खुले हैं। इन यौगिकों की उपलब्धता वाली वनस्पतियों से भी इस बीमारी का उपचार संभव है। हालांकि इस शोध से निकले दो यौगिकों को पुन: क्लीनिकल ट्रायल व पेटेंट फाइल करने की संभावना है।

तीसरे चरण में उम्मीद की किरण

तीसरे चरण में विज्ञानियों ने ऐसे 84 यौगिक चुने जो विषाणु रोधक थे और पाचन, अवशोषण, उत्सर्जन आदि प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करते। इनमें भी औषधीय गुणों वाले 40 यौगिकों को मालिक्युलर डाकिंग विधि से परखा गया। ये कोरोना वायरस के 3-सीएलसी प्रो (थ्री-काइमोट्रिपसिन लाइक प्रोटिएज) एंजाइम के खिलाफ सक्रिय पाए गए। दरअसल कोरोना वायरस में पाए जाने वाले थ्री-सीएलसी प्रो एंजाइम ही उसे बढ़ावा दे सक्रिय करता है। शोध में खुलासा हुआ कि संक्रमण बढ़ाने के लिए यही एंजाइम उत्तरदायी होते हैं। ऐसे में थ्री -सीएलसी प्रो एंजाइम को निष्क्रीय कर ही कोविड-19 पर काबू पाया जा सकता है।

...और आखिर में मिल गई राह

विभिन्न चरणों से गुजरने के बाद विज्ञानियों व शोधार्थियों ने फिर 22 यौगिकों को औषधीय मात्रा (आइसी -50) के आधार पर चुना। फिर इन्हीं में से समान रासायनिक संरचना वाले 12 यौगिक चुने। जो कोरोना वायरस को रोकने में प्रभावी नजर आए। आखिर में मालिक्युलर डायनेमिक्स एंड सिमुलेशन विधि के जरिये दो यौगिक लिए गए जो कोरोना वायरस के खिलाफ प्रभावी रूप से सक्रिय मिले। बल्कि वायरस के खात्मे में भी सहायक साबित हो सकते हैं। लंदन की प्रतिष्ठित पत्रिका साइंस रिपोर्ट ने उच्चगुणवत्ता वाले शोध को प्रमुखता से प्रकाशित किया। जीबी पंत संस्थान के विज्ञानियों व शोधार्थियों की सराहना भी की है।

विज्ञानी खासे उत्साहित

कोरोना से बचाव को किए गए शोध व इससे मिली राह से विज्ञानी एवं शोधार्थी खासे उत्साहित हैं। वह चाहते हैं कि भारतीय दवा कंपनी शोध रिपोर्ट के आधार पर कोविड-19 से जंग जीतने के लिए जनहित में दवा बनाए। शोध में डा. महेशानंद, डा. प्रियंका मैती, तुषार जोशी, डा. वीना पांडे, डा. सुभाष चंद्रा, डा. एमए रामाकृष्णन व डा. जेसी कुनियाल शामिल रहे। संस्थान के निदेशक डा. आरएस रावल ने इसे बड़ी उपलब्धि बता विज्ञानियों व शोधार्थियों का हौसला बढ़ाया है।


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