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राजीव गांधी आवास में गड़बड़ी : आठ घंटे तक निदेशालय की टीम ने खंगाली फाइल

भीमताल नगर पंचायत में राजीव गांधी आवास योजना के तहत मकानों के निर्माण में गड़बड़ी के मामले में शहरी विकास निदेशालय की टीम ने कई अहम दस्तावेज अपने हाथ में लिए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 21 Dec 2018 10:34 AM (IST)Updated: Fri, 21 Dec 2018 10:34 AM (IST)
राजीव गांधी आवास में गड़बड़ी : आठ घंटे तक निदेशालय की टीम ने खंगाली फाइल
राजीव गांधी आवास में गड़बड़ी : आठ घंटे तक निदेशालय की टीम ने खंगाली फाइल

हल्द्वानी, जेएनएन : भीमताल नगर पंचायत में राजीव गांधी आवास योजना के तहत मकानों के निर्माण में गड़बड़ी के मामले में शहरी विकास निदेशालय की टीम ने कई अहम दस्तावेज अपने हाथ में लिए हैं। भीमताल पहुंची टीम ने बुधवार को बैंक ट्रांजेक्शन, योजना से जुड़े अभिलेख व अन्य रिकार्ड खंगाले। गुरुवार को भी जांच हुई।

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शहरी क्षेत्रों के अंतर्गत झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीबों का अपने घर का सपना पूरा करने के लिए जून 2011 में केंद्र सरकार ने राजीव गांधी आवास योजना की शुरुआत की थी। भीमताल नगर पंचायत को भी योजना के लिए चयनित किया गया था। वर्ष 2014 में भीमताल नगर पंचायत में 107 आवास बनाने की दिशा में काम शुरू हुआ। आवास की गुणवत्ता व कुछ अपात्रों (जिनके पास पहले से पक्के आवास थे) को योजना का लाभ देने की शिकायत के बाद योजना अटक गई। शहरी विकास के परियोजना अधिकारी राजीव पांडे के नेतृत्व में तीन लोगों की टीम ने भीमताल पहुंचकर बैंक, नगर पंचायत कार्यालय से लेनदेन से संबंधित दस्तावेज जुटाए। इसे लेकर टीम देहरादून रवाना हो गई।

एक बैंक से हुआ है भुगतान

परियोजना अधिकारी राजीव पांडे के मुताबिक, राजीव आवास योजना का भुगतान एक बैंक के जरिए हुआ है। इसलिए टीम ने बैंक से भी कई अहम दस्तावेज जुटाए हैं, जिन्हें टीम अपने साथ ले गई है।

आधे-अधूरे हैं आवास

गरीबों को आवास मुहैया कराने की योजना के विवाद में फंस जाने के बाद कई जरूरतमंदों के घरों का सपना भी चार साल से पूरा नहीं हो पाया है। सूत्रों के मुताबिक करीब 60 मकान आधे-अधूरे अटके हुए हैं।

एक आवास के लिए 4.50 लाख की मदद

योजना के तहत एक आवास के लिए 4.50 लाख रुपये दो किश्तों में दिए जाने हैं। पहली किश्त का भुगतान हो चुका है। योजना विवाद में घिरने से दूसरी किश्त जारी नहीं हो पाई है। हालांकि केंद्र सरकार से 2.40 करोड़ की दूसरी किश्त केंद्र सरकार से निदेशालय को प्राप्त हो गई है।

छह माह पहले थी हुई थी जांच

अधिशासी अधिकारी भवाली की अध्यक्षता में गठित चार सदस्यीय कमेटी ने आठ माह पहले मामले की जांच की थी। सूत्रों की मानें तो टीम अपनी आख्या छह माह पूर्व निदेशालय को सौंप चुकी है। जांच रिपोर्ट में योजना के क्रियान्वयन में खामी मिली थी। इसके बाद ही अनियमितता की उच्चस्तरीय जांच कराने का फैसला लिया गया।

वित्त अधिकारी को सौंपेंगे अभिलेख

राजीव पांडे ने बताया कि शहरी विकास निदेशक के निर्देशन में जांच टीम तथ्य जुटाने भीमताल आई थी। रिपोर्ट शहरी विकास के वित्त अधिकारी आनंद सिंह को सौंपी जाएगी। दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद निदेशालय के वित्त अधिकारी की अध्यक्षता वाली टेक्निकल टीम जांच करने पहुंचेगी।

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