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रामनगर में महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है सावित्री

नैनीताल जिले के रामनगर में एक महिला ने गांव की अन्‍य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का बीड़ा उठाया है। स्वयं सहायता समूह बनाकर गांवों में जैविक खेती को बढ़ावा दे रही हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 20 Mar 2017 09:25 AM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2017 05:00 AM (IST)
रामनगर में महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है सावित्री
रामनगर में महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही है सावित्री
रामनगर, [त्रिलोक रावत]:  जंगल से सटे गांवों में ग्रामीणों के पास न तो रोजगार के साधन होते हैं, न लघु उद्यम शुरू करने के लिए बेहतर सुविधाएं ही। ये गांव आम आदमी को मिलने वाली भौतिक सुविधाओं से भी कोसों दूर होते हैं। ऐसे गांवों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का बीड़ा उठाया है मनकंठपुर की सावित्री गरजौला ने। वह स्वयं सहायता समूह बनाकर वह न केवल गांवों में जैविक खेती को बढ़ावा दे रही हैं, बल्कि घरेलू उत्पाद तैयार कर महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बना रही हैं।
हाईस्कूल पास सावित्री ने वर्ष 2003 में कृषि विभाग की मदद से गांव में जैविक खेती शुरू करने का मन बनाया। इसके लिए उन्होंने सबसे पहले समूह बनाकर गांव के काश्तकारों को जैविक खेती के लिए पे्ररित किया। इसी प्रेरणा से आज दो सौ से अधिक परिवार जैविक खेती कर रहे हैं। सावित्री बताती हैं कि जिन-जिन गांवों में जैविक खेती हो रही है, वहां वह बासमती धान का बीज उपलब्ध कराती हैं। इसके बाद समूह के माध्यम से ही काश्तकार का बासमती धान कंपनी को बेचा जाता है। इसके अलावा समूह के माध्यम से महिलाओं को जैम, जैली, आचार, मुरब्बा व अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। ग्रामीण गांव में ही रेशम का उत्पादन करते हैं। महिलाएं गांव में कपड़े के बैग भी तैयार कर रही हैं। इन बैगों को समूह के माध्यम से वन विभाग के बैरियर्स पर रख दिया जाता है। वन विभाग जंगल घूमने जाने वाले प्रत्येक पर्यटक को 20 रुपये में यह बैग उपलब्ध कराता है। ताकि पर्यटक जंगल में कूड़ा-करकट  इधर-उधर फेंकने के बजाय इस बैग में ही रखें।
कई जगह लगाई उत्पादों की प्रदर्शनी
समूह अब तक देहरादून, नैनीताल, दिल्ली, रामनगर व हल्द्वानी समेत कई स्थानों पर अपने उत्पादों के अलावा जैविक खेती से तैयार गेहूं, चावल, सरसों, चना, मक्का, मंडुवा व गहत की प्रदर्शनी लगा चुका है। सावित्री बताती हैं कि अब तक ऐसे 125 समूह बनाए जा चुके हैं। वर्ष 2011 से लेकर अब तक समूह जैविक उत्पादों की बिक्री कर अच्छा मुनाफा कमा चुका है। एक संस्था के माध्यम से दस परिवारों को गैस सिलेंडर भी बांटे गए हैं।

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