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maya bisht dies during vip duty मम्मा को प्रणाम करो बेटा...वह अब कभी नहीं लौटेगी nainital news

वार्ड नंबर दो स्थित व्यापार मंडल अध्यक्ष के आवास पर भीड़ बढऩे लगी। हालांकि परिजनों को घायल एसआ माया बिष्ट की मौत की खबर नहीं दी गई लेकिन उन्हें अनहोनी की आशंका हो गई थी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 27 Oct 2019 12:04 PM (IST)Updated: Sun, 27 Oct 2019 11:30 PM (IST)
maya bisht dies during vip duty मम्मा को प्रणाम करो बेटा...वह अब कभी नहीं लौटेगी nainital news
maya bisht dies during vip duty मम्मा को प्रणाम करो बेटा...वह अब कभी नहीं लौटेगी nainital news

प्रकाश जोशी, लालकुआं। शनिवार सुबह से ही वार्ड नंबर दो स्थित व्यापार मंडल अध्यक्ष के आवास पर भीड़ बढऩे लगी। हालांकि परिजनों को सड़क हादसे में घायल एसआ माया बिष्ट की मौत की खबर नहीं दी गई, लेकिन उन्हें अनहोनी की आशंका हो गई थी। माया की सात वर्षीय बेटी स्नेहा बार-बार मां के घर आने के बारे में पूछकर हर किसी को भावुक कर रही थी। मासूम के सवालों का जवाब दे पाना किसी के लिए संभव नहीं हो पा रहा था। सवा दो बजे जैसे ही माया का पार्थिव शरीर घर पहुंचा, परिजनों में कोहराम मच गया।

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पति सुरेश बिष्ट बेटी स्नेहा को लेकर माया के पास गए। स्नेहा कभी मां को तो कभी करुण क्रंदन कर रहे परिजनों को सवालिया नजरों से देख रही थी। पिता ने मासूम के सिर पर हाथ फेरते हुए रुंधे गले से कहा कि बेटा मम्मा को प्रणाम करो, वह अब बहुत दूर जा रही है, जहां से वह कभी लौट कर नहीं आएगी। इतना सुनते ही स्नेहा की आखें छलक आईं। बच्ची मां से लिपट कर रोने लगी। जब माया के शव पर उसके कपड़े रखे जाने लगे तो सुरेश ने पिछौड़े को सीने से लगाते हुए कहा कि इसे मैं अपने पास रखूंगा। पिता-पुत्री के दर्द देख वहां मौजूद सभी की आंखें छलक आईं।

माया ने हर रिश्ते को शिद्दत से निभाया

लालकुआं कोतवाली में तैनात एसआई माया बिष्ट की गिनती तेजतर्रार, कर्तव्यनिष्ठ और न्याय पसंद अधिकारियों में होती थी। पुलिस अधिकारी पारिवारिक व पति-पत्नी के झगड़े, महिला उत्पीडऩ व अन्य पेचीदा मामलों के निस्तारण का जिम्मा माया को देते थे। माया ने पति-पत्नी व पारिवारिक झगड़े के कई मामलेे कोतवाली स्तर से निपटाकर कई घरों को बरबाद होने से बचाया। यही कारण था कि माया पुलिस महकमे के साथ ही क्षेत्र में काफी लोकप्रिय थी। इसके अलावा बहू, बहन, बेटी, देवरानी समेत तमाम रिश्तों को शिद्दत से निभाया। भाई की हालत ठीक नहीं होने के कारण बुजुर्ग माता-पिता का सहारा भी माया ही थी। दो माह पूर्व ही मायके जाकर जानवरों के लिए घास काटकर इक_ा कर आई थी।

2015 में दारोगा बनी माया

1981 में जन्मी माया 2005 में अल्मोड़ा से पुलिस विभाग में बतौर कांस्टेबल भर्ती हुर्इं। 2008 में लालकुआं के सुरेश बिष्ट से विवाह हुआ। 2012 में उन्होंने पुत्री स्नेहा को जन्म दिया। माया 2015 में दरोगा बनी।

पुलिस कर्मियों की आखें छलकीं

रोजाना दुर्घटनाओं में क्षत-विक्षत शवों को पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाने वाले पुलिस कर्मियों की आंखों से भी शनिवार को व्यवहारकुशल और कर्तव्यनिष्ठ माया की मौत पर आंसू छलक रहे थे। पोस्टमार्टम के बाद जब माया के शव को एंबुलेंस में रखा जाने लगा तो वहां मौजूद महिला सिपाही फफक-फफक कर रोने लगी।

राज्यपाल-सीएम, किसी ने नहीं ली सुध

माया की मौत के बाद परिजनों और लोगों ने राज्यपाल समेत अन्य जनप्रतिनिधियों पर उपेक्षा का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है कि माया राज्यपाल ड्यूटी के दौरान घायल हुई लेकिन राज्यपाल ने माया का हालचाल जानना तो दूर दूरभाष पर परिजनों को ढांढस तक नहीं बंधाया। इसके अलावा मुख्यमंत्री समेत प्रदेश के अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी घायल पुलिस कर्मियों की सुध नही ली।

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