Move to Jagran APP

तीन तलाक के खिलाफ जंग लड़ने वाली शायरा बानो ने फैसले के एक साल पूरा होने पर क्‍या कहा, पढें

दूल्हा और दुल्हन की रजामंदी के बाद निकाह माना जाता है तो सिर्फ पुरुषों को ही अकेले में तीन तलाक बोलकर नाता तोड़ने का अधिकार कैसे मिल गया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 09:26 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 09:38 AM (IST)
तीन तलाक के खिलाफ जंग लड़ने वाली शायरा बानो ने फैसले के एक साल पूरा होने पर क्‍या कहा, पढें
तीन तलाक के खिलाफ जंग लड़ने वाली शायरा बानो ने फैसले के एक साल पूरा होने पर क्‍या कहा, पढें

काशीपुर, अभय पांडेय : दूल्हा और दुल्हन की रजामंदी के बाद निकाह माना जाता है तो सिर्फ पुरुषों को ही अकेले में तीन तलाक बोलकर नाता तोड़ने का अधिकार कैसे मिल गया। यह कहना है तीन तलक के खिलाफ आवाज उठाकर उठाकर लड़ाई जीतने वाली शायरा बानो का। जिस हिम्मत से उन्होंने तीन तलाक के खिलाफ संघर्ष का ऐलान किया वह देशभर के पीडि़तों की आवाज बनीं। सर्वोच्च न्यायलय से न सिर्फ उनको इस जंग में जीत मिली बल्कि मुस्लिम महिलाओं के लिए फैसला नजीर बना। शायरा बताती हैं कि वाकई एक अगस्त का दिन महिला अधिकार दिवस के रूप में मनाना गलत नहीं होगा। यहीं से रूढ़िवादी आडम्बरों में कैद मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक के खिलाफ कानूनी रास्ता खुला। जागरण से विशेष बातचीत में कुछ इस तरह ही उन्होंने पल साझा किए।

loksabha election banner

एक साल में ही दिखा प्रभावी असर

तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के लिए एक दंश था। जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाकर इससे मुक्ति दिलाई। वहीं सरकार ने ऐसा कानून बनाया जिसका एक साल में ही प्रभावी असर दिखा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुस्लिम महिलाओं के हित में सिर्फ बोला नहीं बल्कि कानून को अमली जामा पहनाकर दिखाया। एक अगस्त का दिन मुस्लिम समाज के लिए ऐतहासिक दिन रहा है। आज पूरे देश में महिलाएं अपनी अधिकारों के प्रति जागरूक हो रही हैं। काूनन बनने से कुप्रथाओं को बढ़ावा देने वालों के मन में डर बना है। आज देशभर की मुस्लिम महिलाएं सुकून की जिंदगी जी रही हैं। तीन तलाक पर कानून बनने के बाद देश में मुस्लिम महिलाओं के साथ तलाक की घटनाएं कम हुई है।

मेरे माता पिता हमेश मेरी ताकत बने

एक महिला होने के नाते कुप्रथाओं के खिलाफ लड़ाई आसान नहीं होती। इस लड़ाई में मेरे माता-पिता मेरी ताकत बने। मेरे पास दो विकल्प थे या तो मैं इसे तकदीर का लिखा मानकर घर बैठ जाती या अपने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाती। मैनें मुश्किल रास्ता इसलिए चुना क्योकि मैं नहीं चाहती थी कि कल यह घटना किसी ओर के साथ हो। अपने हक के लिए लंबी लड़ाई लड़ी बिना रुके, बिना थके लड़ती रही और आज सुकून मिलता है। इस रास्ते में अड़चने भी कम नहीं आई रूढ़ीवादी ताकतों ने आवाज दबाने का प्रयास भी किया लेकिन मैंने हार नहीं माना। कानूनी लड़ाई लड़ने के साथ ही मुस्लिम संगठनों और पर्सनल लॉ बोर्ड के तरफ से केस वापस करने का दवाब भी दिया गया लेकिन मेरी जीत ही उनका जवाब था।

हलाला और बहुविवाह के खिलाफ भी उठे आवाज

तीन तलाल कोई मेरी अकेले की लड़ाई नहीं थी। यह लड़ाई उन सभी मजबूर और असहाय महिलाओं की लड़ाई थी जिसका दंश आज तक मुस्लिम महिलाएं झेल रहीं थी। सरकार के तीन तलाक कानून आने के बाद निश्चय ही बदलाव आना शुरू हो गया है। पिछले एक वर्ष में महिलाओं पर होने वाले अपराध में 80 प्रतिशत से ज्यादा की कमी इसी बात की गवाही दे रहा है। हां हमारी लड़ाई यहीं खत्म नहीं होनी चाहिए। हलाला और बहुविवाह जैसी कुप्रथा के खिलाफ भी अपनी लड़ाई जारी रखनी होगी।

तीन तलाक का दंश झेल रही महिलाओं को मिले पेंशन

पीएम नरेन्द्र मोदी ने अपने कार्यकाल में अल्पसंख्यक वर्ग के हित में कई बड़े फैसले लिए हैं जिसके परिणाम सुखद नजर आ रहे हैं। तीन तलाक के खिलाफ कानून बनने से महिलाओं को अपनी पहचान और अधिकार मिला है जिसके लिए हम सरकार के आभारी हैं। पूर्व में तीन तलाक का दंश झेल रही महिलाओं के लिए सरकार की तरफ से पेंशन का प्रावधान करना चाहिए, जिससे ऐसी महिलाएं आत्मनिर्भर बनने के रास्ते पर आगे बढ़ सकें और स्वरोगार के प्रशिक्षण और कोर्स भी इनके लिए कराया जाए तो बेहतर होगा।

एलएलबी करने के साथ कर रही हूं काउंसलिंग

मैंने समाजशास्त विषय में पहले एमएम किया है। जिसके बाद मेरी शादी हो गई। तीन तलाक केस की वजह से पढ़ाई आगे नहीं जारी रख सकी, लेकिन अब मैंने इसी वर्ष एलएलबी में दाखिला लिया है। साथ ही मैं घर से ऐसी महिलाओं की काउंसलिंग भी करती हूं जो किसी वजह से परेशान हैं या उनकी जिंदगी में कुप्रथाओं की वजह से कोई दिक्कत है। मेरी कोशिश होती है कि असहाय और गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करूं और साथ उनके अधिकारों के प्रति उनको जागरूक करूं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.