Move to Jagran APP

Himalayan Echoes 2019 सचिन पायलट ने कहा, आज सरकार की जगह विपक्ष से पूछे जा रहे सवाल

कुमाऊं लिटरेचर फेस्टिवल एंड आर्ट्स की ओर से आयोजित हिमालयन इकोज के तहत विभिन्‍न सत्रों में चले विचार-विमर्श बेहद सार्थक रहे।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 07:29 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 11:10 AM (IST)
Himalayan Echoes 2019 सचिन पायलट ने कहा, आज सरकार की जगह विपक्ष से पूछे जा रहे सवाल
Himalayan Echoes 2019 सचिन पायलट ने कहा, आज सरकार की जगह विपक्ष से पूछे जा रहे सवाल

नैनीताल, जेएनएन : कुमाऊं लिटरेचर फेस्टिवल एंड आर्ट्स की ओर से आयोजित हिमालयन इकोज के तहत विभिन्‍न सत्रों में चले विचार-विमर्श बेहद सार्थक रहे। इस दौरान ख्‍यातिलब्‍ध रचनाकारों और बुद्धिजीवियों ने समाज, राजनीति से लेकर पर्यावरण तक पर अपने विचार रखे। यहां कश्‍मीर का मसला भी प्रमुखता से उठा तो प्रकृति के प्रति आम लोगों को उनकी जिम्‍मेदारी का भी बोध कराया गया। दूसरे दिन राजस्‍थाने के उपमुख्‍यमंत्री सचिन पायलट, अभिनेत्री मनीषा कोइराला, पद्मश्री प्रो शेखर पाठक, प्रो पुष्पेश पंत, सेंसर बोर्ड की सदस्य वाणी त्रिपाठी आदि ने लेखन व जीवन के अनुभव इस साहित्यिक समागम में साझा किए।

loksabha election banner

बेहतर समाज के लिए पढ़ना बेहद जरूरी : सचिन पायलट

हिमालयन इकोज के मंच पर राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ अधिवक्ता सैफ महमूद ने राजनीति, लोकतंत्र, सरकार समेत तमाम ज्वलंत सवाल पूछे। डिप्टी सीएम पायलट ने कहा कि हमें मौजूदा नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ी पर फोकस करना चाहिए। राजनीति, साहित्य में बदलाव को समझना व स्वीकार करना चाहिए। राजनीतिज्ञों से अपेक्षाएं बहुत हैं मगर उन्हें संवाद, धरातल की वास्तविकता को समझना चाहिए। चुटकी ली कि नेता चांद से नहीं बल्कि गली मोहल्लों से ही आते हैं। उन्होंने कहा कि 21 सदी में बदलाव को नहीं समझ पा रहे हैं। हमें नया जिम्मेदार, जागरूक, समाज बनाना चाहिए। क्षेत्रीयता हमारी पहचान है। नया भारत मातृभूमि से प्रेम अधिक करता है, मगर पढऩा बहुत महत्वपूर्ण है। आज लोगों के पास समय नहीं है। अपने दु:ख के बजाय दूसरों के सुख से दु:खी हैं। बोले राजनीति आजकल टकराव की हो गई है, भाषण व संसदीय बहस में गिरावट आई है। संवादहीनता बढ़ रही है। शोरशराबा अधिक व कंटेंट कम है। नीति, कार्यक्रमों व विचारधारा का विरोध स्वीकार है मगर भाषा, धर्म का विरोध उचित नहीं है। सत्ता के बजाय विपक्ष से सवाल पूछे जा रहे हैं जबकि जनता विपक्ष को सजा दे चुकी है। बोले अंंधेरा जल्द छंटेंगा और सियासत, जीवन, इतिहास में बदलाव अवश्यंभावी है। जोर देकर कहा कि भारत में लोकतंत्र की जड़ें कोई हिला नहीं सकता। चुटकी ली कि यदि उन्होंने कभी लेखन किया तो बहुम बम फटेंगे।

विकास के नाम पर किया जा रहा विनाश : शेखर पाठक

रविवार को प्रसादा भवन के लोन में आयोजित फेस्टिवल में पहाड़ संस्था के प्रो शेखर पाठक की उत्तराखंड में वन आंदोलन, चिपको आंदोलन पर आधारित किताब हरी भरी उम्मीद, किताब पर चर्चा हुई। बाल साहित्यकार दीपा अग्रवाल ने प्रो पाठक के साथ राज्य में वनांदोलन पर सवाल पूछे। प्रो पाठक ने कहा कि उत्तराखंड में 64 फीसद वन क्षेत्र है। जब सत्ता ने जंगलों पर अधिकार कर लिया तो लोगों ने जंगल सत्याग्रह कर दिया। चिपको आंदोलन और रैणी गांव का जिक्र करते हुए कहा कि 1977 में जनता पार्टी की सरकार द्वारा मांगें नहीं मानने के बाद यह आंदोलन और तेज हुआ और फलस्वरूप वन अधिनियम-1980 बना। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर चर्चा करते हुए कहा कि खेती, पानी के संरक्षण के लिए जंगल की हिफाजत करनी होगी। केदारनाथ में गुफा बनाने की अलोचना करते हुए कहा कि गुफाएं प्रकृति बनाती हैं। विकास के नाम पर पहाड़ों में 28 मीटर तक सड़कें चौड़ी बनाई जा रही हैं, इससे पहाड़ खोखले हो रहे हैं। उन्होंने मौजूदा दौर की तुलना 1975 के आपातकाल से करते हुए कहा कि हम दहशत में जी रहे हैं। फूड क्रिटिक मरियम रेशी ने प्रो पुष्पेश पंत के साथ कुमाऊं की हल्दी पर चर्चा की। इसके बाद प्रो पंत ने अभिनेत्री मनीषा कोइराला के साथ फिल्मी कॅरियर के साथ ही कैंसर बीमारी के दौरान व मौजूदा जिंदगी पर सवाल पूछे।

सकारात्मक सोच से चुनौतियों का सामना करें : मनीषा कोइराला

अभिनेत्री मनीषा कोइराला कैंसर बीमारी के दौरान के अनुभव बताते हुए भावुक हो गईं। बोलीं जब पता चल कि कैंसर है तो मौत से सामना करते हुए उनके सामने जीवन के सपनों को पूरा करने, कॅरियर, का सवाल भी था। इस दौर में खुद को बेहद एकाकी महसूस किया तो परिवार ने अत्यधिक सपोर्ट किया। बोली महिला के लिए घर, परिवार, फिल्म इंडस्ट्री, समाज सबह जगह संघर्ष है। मातृत्व को उन्होंने सबसे बड़ा उपहार बताते हुए पेसेंट सपोर्ट ग्रुप बनाने की वकालत की। उन्होंने सकारात्मक सोच से चुनौतियों का सामना करने, समय का सदुपयोग करने, मेहनत करने का संदेश दिया। उन्होंने कैंसर बीमारी के प्रति जागरूकता के लिए सरकार, सिविल सोसाइटी व समाज को मिलकर काम करना होगा। फिर सेंसर बोर्ड की सदस्य व लेखिका वाणी त्रिपाठी ने प्रो पुष्पेश पंत से उनकी किताब राग पहाड़ी पर चर्चा की। जिसमें प्रो पंत ने नैनीताल में पढ़ाई के दौरान की वास्तविक घटना को भी कहानी के रूप में पिरोया है।

कार्यक्रम में रहे मौजूद लोग

आयोजक जान्हवी प्रसाद ने डिप्टी सीएम समेत तमाम प्रतिष्ठित लेखक, रचनाकारों का स्वागत किया। इस अवसर पर पूर्व कमिश्नर एएस नयाल, पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद, कांता प्रसाद, नेहा प्रसाद, प्रवीण शर्मा, प्रदीप पाण्डे, प्रो उमा भट्ट, शीला रजवार,  भुवन त्रिपाठी, सुखमय मजुमदार, अंकिता सिंघल, कीवा सिंह, अमिताभ बघेल, प्रो रघुवीर चंद, प्रो अनिल जोशी, डॉ ज्योति जोशी, दीपक बलानी, विशाल खन्ना, गीतांजलि तिवाना, लता साह, गीता साह समेत अन्य थे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.