सर्वाधिक इको फ्रेंडली कनेक्टिविटी है रोपवे, आमजन भी कर सकेंगे इसका उपयोग, फर्म संचालक ने दी सफाई
ग्रामीणों के तीखे विरोध के बाद वन विभाग ने रोप वे के दायरे में आ रही वन भूमि के हस्तांतरण प्रक्रिया के तहत पेड़ों की गणना का काम रोक दिया है। अधिकारियों का कहना है कि कोई व्यक्ति नहीं निजी फर्म वन भूमि हस्तांतरण के लिए आवेदन कर सकती है।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : किलबरी पंगोट क्षेत्र में च्युरानी तक निजी फर्म की ओर से प्रस्तावित डेढ़ किमी लंबाई के रोप वे के विरोध को लेकर ग्रामीण फिलह अडिग हैं। ग्रामीणों के तीखे विरोध के बाद वन विभाग ने रोप वे के दायरे में आ रही वन भूमि के हस्तांतरण प्रक्रिया के तहत पेड़ों की गणना का काम रोक दिया है। अधिकारियों का कहना है कि कोई व्यक्ति नहीं निजी फर्म वन भूमि हस्तांतरण के लिए आवेदन कर सकती है और उस पर वन विभाग नियमानुसार कार्रवाई करेगा। अब फर्म संचालक की ओर से मामले में सफाई दी है।
रोपवे का प्रस्ताव रखने वाली संस्था फन विलास इको टूरिज्म प्रा लि के डायरेक्टर मनोज नेगी ने स्पष्ट किया कि वह मूलतः उत्तराखंड के निवासी हैं। पूर्व में उनका परिवार रोजगार की तलाश में दिल्ली पलायन कर गया था। काफी वर्ष वहां रहने के उपरांत पिछले कुछ वर्षों से वह जिला नैनीताल स्थित ग्राम चुरानी में निवास कर रहे हैं। ज्युरानी मोटर मार्ग रोड से लगभग 2.5 किलो मीटर की दूर है , जिसका रास्ता जंगल से होकर गुजरता है। सड़क के लिए ग्राम प्रधान से सलाह ली गई, प्रयास किए गए लेकिन पेड़ों की कटाई के कारण वन विभाग ही इंकार कर रहा था। बाद में स्वयं के धन से पब्लिक रोपवे बनाने का प्रस्ताव वन विभाग को भेजा था।
रोपवे को सड़क की तुलना में इको फ्रेंडली कनेक्टिविटी माना जाता है। इसमें भूमि की आवश्यकता कम होती है और पेड़ों की कटाई भी कम होती है और सड़क की तुलना में प्रदूषण भी कम होता है। सड़क के बजाय कम समय और कम दूरी में गंतव्य तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
इस रोपवे का उपयोग जनता के द्वारा किया जा सकता है। सरकार ने इस परियोजना के लिए धन मुहैया कराने से इंकार कर दिया था। नेगी ने इस परियोजना में स्वयं निवेश करने और इसे जारी रखने का फैसला किया। वन-नियमों और कानूनों के अनुसार प्रस्ताव बनाया गया था। रोपवे व्यक्तिगत उपयोग के लिए कभी नहीं हो सकता है, इसका उपयोग समस्त जनता द्वारा किया जा सकता है। रोपवे पर्यटन की दृष्टि से भी बेहतरीन उपाय है। गांव चारों तरफ से जंगल से घिरा हुआ है, इसीलिए इस रोपवे में स्टेशन बनाने के लिए कम से कम 90 से 100 पेड़ों को काटना प्रस्तावित है। यह रोपवे पंगोट, बग्गर और घुग्घुखाम क्षेत्र में और अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध करने में सहायक होगा। सड़क के लिए ग्राम सभा के सहयोग से प्रस्ताव बनाकर वन विभाग को पुनः भेजा जाएगा।