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रोडवेज के 6800 कर्मचारियों को जुलाई से नहीं मिला वेनत, परिवार चलाना हुआ मुश्किल

रोडवेज के कर्मचारियों से लेकर अफसरों तक के सामने अपने व परिवार के भरण पोषण तक का संकट खड़ा हो गया है। हालात ये हैं कि जुलाई माह से उत्तराखंड परिवहन निगम के 6800 कार्मिकों को वेतन नहीं मिला है। इससे उनके आर्थिक हालात काफी बदतर हो चुके हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 07:56 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 07:56 AM (IST)
रोडवेज के 6800 कर्मचारियों को जुलाई से नहीं मिला वेनत, परिवार चलाना हुआ मुश्किल
रोडवेज के 6800 कर्मचारियों को जुलाई से नहीं मिला वेनत, परिवार चलाना हुआ मुश्किल

हल्द्वानी, जेएनएन : रोडवेज के कर्मचारियों से लेकर अफसरों तक के सामने अपने व परिवार के भरण पोषण तक का संकट खड़ा हो गया है। हालात ये हैं कि जुलाई माह से उत्तराखंड परिवहन निगम के 6800 कार्मिकों को वेतन नहीं मिला है। इससे उनके आर्थिक हालात काफी बदतर हो चुके हैं। यहां तक कि अब इन कर्मचारियों को दुकानदारों ने राशन देना भी बंद कर दिया है।

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लॉकडाउन की वजह से मार्च में परिवहन निगम की सभी सेवाओं को बंद कर दिया गया था। अनलाक के बाद धीरे-धीरे यात्रियों को बैठाने की क्षमता निर्धारित कर बसों का संचालन शुरू किया गया। इससे भी परिवहन निगम को घाटा उठाना पड़ा। पर्वों के नजदीक आने व यात्रियों को बैठाने की बाध्यता समाप्त करने के बाद निगम की व्यवस्था धीरे-धीरे पटरी में आती दिख रही हैं। वहीं परिवहन निगम की डगमगाती आर्थिक व्यवस्था का असर कार्मिकों पर भी पड़ रहा है। पिछले पांच महीने से अफसर से लेकर कर्मचारी तक बिना वेतन के काम कर रहे हैं।

इतने लंबे समय से बिना धन के काम करने से कर्मचारियों के साथ परिवार वाले भी आर्थिक संकटों के दौर से गुजर रहे हैं। यहां तक कि उनको रोजमर्रा के लिए जरूरी दूध-राशन तक दुकानदारों ने देना बंद कर दिया है। वेतन नहीं आने से वह कर्ज भी नहीं चुका पा रहे हैं। रोडवेज के कर्मचारी नेता कमल पपनै ने बताया कि रोडवेज कर्मचारियों के आर्थिक हालात काफी बदतर हैं। दुकानदारों के राशन देने से भी मना करने पर कर्मचारियों व परिवार के आगे भरणपोषण का संकट खड़ा हो गया है। सरकार भी निगम कर्मचारियों की ओर ध्यान नहीं दे रही है। प्रबंधन से कई बार वेतन देने की मांग उठायी गयी, लेकिन पांच माह से सुनवाई तक नहीं हुई है।


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