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हिमपात और कड़ाके की ठंड के बाद चीन सीमा को जोड़ने वाली सड़क का काम रुका

मुनस्यारी तहसील में चीन सीमा तक बन रही सड़क का काम मौसम की मार के चलते रोकना पड़ा है। उच्च हिमालय में शून्य डिग्री तक तापमान पहुंचने से अस्थायी मजदूर घाटियों की ओर वापस लौट गए हैं। सड़क का कार्य अब मार्च प्रथम सप्ताह से ही शुरू हो पाएगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 27 Nov 2020 09:09 PM (IST)Updated: Fri, 27 Nov 2020 09:09 PM (IST)
हिमपात और कड़ाके की ठंड के बाद चीन सीमा को जोड़ने वाली सड़क का काम रुका
हिमपात और कड़ाके की ठंड के बाद चीन सीमा को जोड़ने वाली सड़क का काम रुका

मुनस्यारी, जेएनएन : मुनस्यारी तहसील में चीन सीमा तक बन रही सड़क का काम मौसम की मार के चलते रोकना पड़ा है। उच्च हिमालय में शून्य डिग्री तक तापमान पहुंचने से अस्थायी मजदूर घाटियों की ओर वापस लौट गए हैं। सड़क का कार्य अब मार्च प्रथम सप्ताह से ही शुरू हो पाएगा। उत्तराखंड की सीमांत तहसील धारचूला की व्यास घाटी से चीन सीमा तक सड़क तैयार हो चुकी है। मुनस्यारी तहसील के धापा से मिलम तक सड़क बनाई जा रही है। 2021 तक इस सड़क को पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है। फिलहाल उच्च हिमालय में भारी हिमपात के चलते सड़क निर्माण का कार्य रोकना पड़ा है।

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दुंग से ऊपर के क्षेत्र में लगातार हिमपात होने से कई फिट बर्फ जमा हो गई है। क्षेत्र में पानी भी जमने लगा है। तेज हवा और हाड़ कंपाती ठंड में मजदूरों के लिए काम करना संभव नहीं है। इसे देखते हुए सीमा सड़क संगठन के अस्थायी मजदूर निचले इलाकों की और वापस लौट आए हैं। मजदूर अब मार्च प्रथम सप्ताह में वापस लौटेंगे। इसी के बाद सड़क का काम शुरू होगा। 64 किमी. लंबी इस सड़क में करीब 45 किमी. सड़क तैयार हो चुकी है। मिलम से नीचे की और धापा से ऊपर की ओर काटी जा रही इस सड़क में अब बीच के हिस्से में काम होना बाकी है। इस हिस्से में चट्टानें बहुत अधिक हैं, जिसके चलते कार्य में समय लग रहा है।

सुरक्षा बल नहीं लौटेेंगे नीचे

चीन से तनातनी के चलते इस वर्ष उच्च हिमालय में तैनात सुरक्षा बल घाटियों में नहीं लौटेंगे। बीते वर्ष तक नवंबर अंत से सुरक्षा बल भी घाटी वाले क्षेत्रों में लौट आते थे, लेकिन इस वर्ष सुरक्षा बल शीतकाल में उच्च हिमालय में ही बने रहेेंगे। सीमा सड़क संगठन के स्थायी कर्मचारी भी फिलहाल उच्च हिमालय में ही बने हुए हैं। क्षेत्र के तमाम ग्रामीण दीप पर्व के बाद ही निचले इलाकों में वापस लौट आए हैं।


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