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Revisiting Gandhi: पदयात्रा से बागेश्वर को गांधी जी की नजर से देखने की कोशिश

बागेश्वर के कौसान में तीन दिवसीय पदयात्रा निकाली गई। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत गांधीजी द्वारा तय किए गए मार्ग पर यात्रा व गोष्ठियों का आयोजन किया गया। साथ ही यात्रा कुली बेगार आंदोलन के सौ वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित की गई।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sun, 27 Mar 2022 07:38 PM (IST)Updated: Sun, 27 Mar 2022 07:38 PM (IST)
Revisiting Gandhi: पदयात्रा से बागेश्वर को गांधी जी की नजर से देखने की कोशिश
यात्रा आजादी के अमृत महोत्सव तथा कुली बेगार आंदोलन के सौ वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित की गई।

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : आजादी के अमृत महोत्सव के तहत जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान बागेश्वर के तत्वाधान में अनाशक्ति आश्रम कौसानी से स्वराज भवन बागेश्वर तक 35 किमी तक की पैदल यात्रा आयोजित की गई। इस यात्रा के दौरान कौसानी से स्वराज भवन बागेश्वर तक गांधीजी द्वारा तय किए गए मार्ग पर यात्रा व गोष्ठियों का आयोजन किया गया। यह यात्रा आजादी के अमृत महोत्सव तथा कुली बेगार आंदोलन के सौ वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित की गई। 

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यात्रा का उद्देश्य

इस यात्रा का उद्देश्य स्वतंत्रता आंदोलन में जनपद बागेश्वर के योगदान को जानने व तलाशने के लिए किया गया। ताकि युवा पीढ़ी को उससे अवगत कराया जा सके। 

कौसानी में गांधी

1921 में बागेश्वर के कुली बेगार आंदोलन से प्रभावित होकर राष्ट्रपति महात्मा गांधी ने बागेश्वर आने की इच्छा जाहिर की। साल 1929 में गांधीजी अपनी कुमाऊँ यात्रा के तहत कौसानी पहुंचे। कौसानी की नैसर्गिक सौंदर्य से अभिभूत गांधीजी यहां चौदह दिन ठहर गए। यहीं उन्होंने अनाशक्ति योग की टीका लिखने की शुरुआत की। इसीलिए यह अनाशक्ति आश्रम कहलाया।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता लक्ष्मी आश्रम की बहन नीमा वैष्णव व गांधीवादी नेता गोपाल दत्त भट्ट ने गांधीजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनके योगदान को याद किया। इस मौके पर जनपद के वृक्षमित्र किशन सिंह मलड़ा ने गांधीजी की याद में यहां बरगद का पौधा रोपा। 

गरुड़ में गांधीजी

कौसानी से यात्रा 15 किमी पैदल चलकर गरुड़ पहुंची।गरुड़ के गांधी चबूतरे पर यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। यहां मुख्य वक्ता गांधीवादी नेता गोपाल दत्त भट्ट ने कहा कि साल 1929 में इसी स्थान पर बैठकर गांधीजी ने कत्यूर की जनता को संबोधित किया। इसलिए यह गांधी चबूतरा कहलाया। गांधीजी की प्रेरणा से तब कत्यूर के कई लोग आजादी के आंदोलन में कूद गए। इस मौके पर स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को सम्मानित किया गया।

इसके बाद यात्रा गागरीगोल पहुंची और यहां 101 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह चौहान ने गांधीजी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। यहां मुख्य वक्ता गांधीवादी नेता भुवन पाठक व महाविद्यालय गरुड़ के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ हेम चंद्र दुबे ने कत्यूर के स्वतंत्रता संग्राम में गांधीजी समेत क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद किया। यहां भी क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को सम्मानित करते हुए उनके योगदान को याद किया गया।

इसके बाद यात्रा रवाईखाल होते हुए 20 किमी पैदल चलकर स्वराज भवन बागेश्वर पहुंची। यहां भी स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को सम्मानित किया गया। डायट बागेश्वर में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पदमश्री शेखर पाठक थे। उन्होंने बागेश्वर की यात्रा में विभिन्न पड़ावों पर गांधीजी के योगदान से लोगों को अवगत कराया। इस दौरान डायट के प्राचार्य डॉ शैलेंद्र धपोला, यात्रा समन्वयक रवि कुमार जोशी, डॉ राजीव जोशी, डॉ दया सागर, डॉ कैलाश प्रकाश चंदोला, डॉ प्रेम सिंह मावड़ी, डॉ कुंदन सिंह रावत, डॉ संदीप कुमार जोशी, नंदन सिंह अल्मिया, डीएस पछाई, बासुरी वादक मोहन जोशी, डीएलएड प्रशिक्षु आदि यात्रा के साथ मौजूद थे।


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