राजस्व वसूली को नदी-नालों व कॉरीडोर पर निगाह
गौला और नंधौर के बाद दूसरी जगहों पर भी उपखनिज निकासी की संभावनाएं तलाशी जाएंगी व सर्वे रिपोर्ट तैयार होगी।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : गौला और नंधौर के बाद अब दूसरी जगहों पर भी उपखनिज निकासी की संभावनाएं तलाशी जाएंगी। खान, वन विभाग व वन निगम सर्वे कर रिपोर्ट तैयार करेगा। सरकार की आय बढ़ाने के लिए नदी-नालों के अलावा कॉरीडोर तक के उपखनिज पर निगाह है। अंतिम निर्णय शासन स्तर होगा।
गौला में इस बार उम्मीद से कम उपखनिज निकल रहा है। दस साल में इतना कम उपखनिज कभी नहीं निकला। सिर्फ साढ़े 34 लाख घनमीटर निकासी के आदेश मिले हैं। जिस वजह से सात गेटों को एक माह पहले ही बंद कर दिया गया। जमरानी क्षेत्र में भी खनन बंद हो चुका है। वहीं, खनन से बडे़ पैमाने पर रोजगार मिलने के साथ सरकारी खजाना भी भरता है। कई नदियां ऐसी हैं, जिनमें सालों से मलबा जमा पड़ा है, लेकिन निकासी की अनुमति नहीं मिली। सूखी, बौर, अपर नंधौर, भाखड़ा, निहाल, घुरना आदि क्षेत्र में उपखनिज पड़ा है।
गौला में हाथी कॉरीडोर इलाके का अफसरों की टीम पूर्व में सर्वे कर चुकी है। तीन लाख घनमीटर उपखनिज निकालने को लेकर मुख्यालय की रिपोर्ट का इंतजार है। वहीं, पूर्व में चिह्नित पट्टों पर निकासी को लेकर नए सिरे से मंथन किया जाएगा। वन भूमि होने की वजह से टेंडर में खनन कारोबारियों ने दिलचस्पी कम दिखाई थी। सूत्रों की मानें तो रिवर ट्रेनिंग के नाम पर प्रस्ताव तैयार हो सकता है।
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पट्टों में गौला से ज्यादा उपखनिज
लंबी भागदौड़ के बाद पहले 17 पट्टे चिह्नित हुए थे, लेकिन निकासी का मामला अटक गया। इन पट्टों में करीब 42 लाख घनमीटर उपखनिज पड़ा है। जो कि गौला के इस साल के लक्ष्य से साढ़े छह लाख घनमीटर ज्यादा है।
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