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दहाड़ती रही बाघिन पीछे नहीं हटी आशा और गोमती हथिनी, इस तरह सफल हुआ रेस्क्यू आपरेशन

काॅर्बेट पार्क नेशनल पार्क के बिजरानी जोन में बाघिन को आखिरकार रेस्क्यू कर लिया गया। हथिनी आशा व गोमती और पशु चिकित्सक के सटीक निशाने की मदद से रेस्क्यू आपॅरेशन सफल हुआ। रेस्क्यू करने में काॅर्बेट के दो स्नीफर डॉग की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 02:00 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 02:00 PM (IST)
दहाड़ती रही बाघिन पीछे नहीं हटी आशा और गोमती हथिनी, इस तरह सफल हुआ रेस्क्यू आपरेशन
दहाड़ती रही बाघिन पीछे नहीं हटी आशा और गोमती हथिनी, इस तरह सफल हुआ रेस्क्यू ऑरेशन

रामनगर, त्रिलोक रावत : काॅर्बेट पार्क नेशनल पार्क के बिजरानी जोन में बाघिन को आखिरकार रेस्क्यू कर लिया गया। हथिनी आशा व गोमती और पशु चिकित्सक के सटीक निशाने की मदद से रेस्क्यू आपॅरेशन सफल हुआ। रेस्क्यू करने में काॅर्बेट के दो स्नीफर डॉग की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। जिस वजह से बाघिन पकड़ने का अभियान आठवें दिन पूरा हो गया। अभियान में काॅर्बेट के पशु चिकित्सक अकेले मोर्चा संभाले रहे।

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हरिद्वार के राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघिन को ले जाने का अभियान 15 दिसंबर से शुरू हुआ। काॅर्बेट के पशु चिकित्सक दुष्यंत शर्मा पर अकेले बाघिन को खोज निकालने व उसे रेस्क्यू कर रेडियो कॉलर पहनाने की जिम्मेदारी थी। बुधवार को चिकित्सक शर्मा ने स्नीफर डॉग की मदद से बाघिन की खोजबीन शुरू की। आशा व गोमती हथिनी पर सवार रेस्क्यू टीम डॉग स्क्वाड के सहारे बाघिन के पदचिन्ह सूंघकर एक छोटी सी पहाड़ी की ओर ले गए। अनुभवी होने की वजह से हथिनी आशा व गोमती सामने छोटी पहाड़ी पर झाड़ी में आराम कर रही बाघिन के दहाडऩे पर रेस्क्यू टीम को लेकर पीछे नहीं हटी।

बाघिन रेस्क्यू टीम को हटाने के लिए लगातार दहाड़ती रही। पशु चिकित्सक ने बिना देरी किए करीब 25 मीटर की दूरी से ट्रेंकुलाइज गन से बेहोशी का इंजेक्शन मारा। इससे बाघिन बेहोश हो गई। करीब सवा घंटे तक बाघिन के बेहोश रहने तक उसे पिंजरे में डालकर रेडियो कॉलर पहनाया गया। सवा घंटे बाद उसे इंजेक्शन लगाकर होश में लाया गया। इसके बाद बाघिन को रात में ही विभागीय वाहनों से हरिद्वार के मोतीचूर पहुंचा दी गई। डा. शर्मा ने बताया कि हिंसक वन्य जीवों के रेस्क्यू अभियान में धैर्य व संयम बरतने की जरूरत होती है। यही वजह थी कि रेस्क्यू सफल रहा।

इसलिए हाथी व कुत्तों की ली मदद

काॅर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में बाघिन को रेस्क्यू करने के लिए गोमती व आशा हथिनी के अलावा दो स्निफर डॉग ट्रोस व एलिन की मदद ली गई। पालतू हथिनी व स्निफर डॉग अनुभवी हैं। उन्हें सीटीआर में गश्त के लिए रखा गया है। सीटीआर के पशु चिकित्सक दुष्यंत शर्मा ने बताया कि बाघिन को ढूंढने व उसे रेस्क्यू करने के लिए घने जंगल में वाहन ले जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। जंगल मे बाघिन को पैदल ढूंढने में उसके हमले का खतरा रहता है। इसलिए हाथियों पर बैठकर बाघिन को ढूंढने व रेस्क्यू करने में आसानी रहती है। इसके अलावा स्निफर डॉग भी बाघिन को ढूंढने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चूंकि बाघ सुबह अंधेरे व शाम को ही मूवमेंट करते हैं। दिनभर वह आराम करते हैं। ऐसे में बाघ को ढूंढना काफी मुश्किल होता है। स्निफर डॉग बाघ के पगमार्क सूंघकर रेस्क्यू टीम को बाघिन वाली जगह तक ले जाते हैं।


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