रेनू पीडि़त महिलाओं का पुलिस और कोर्ट-कचहरी की चौखट तक निभाती है महिलाओं का साथ
शिक्षा हमारा बड़ा हथियार है और अधिकार भी। वर्तमान पढ़े-लिखे समाज में महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लडऩा व खुद की रक्षा करना अच्छे से जानती हैं।
हल्द्वानी, भानु जोशी : शिक्षा हमारा बड़ा हथियार है और अधिकार भी। वर्तमान पढ़े-लिखे समाज में महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लडऩा व खुद की रक्षा करना अच्छे से जानती हैं। लेकिन, जो महिलाएं अशिक्षा या अधिकारों की समझ न होने के कारण ऐसा नहीं कर पाती उनकी मदद के लिए खुद महिलाएं ही आगे आती हैं। ऐसा ही हल्द्वानी के बिठोरिया निवासी डॉ. रेनू शरण पिछले दो दशक से कर रही हैं। स्कूली शिक्षा के दौरान एनसीसी में रहकर सीखी देशभक्ति के हुनर ने उन्हें तराशा। समाज में किसी न किसी तरह से उत्पीडऩ झेल रहे करीब सौ लोगों को न्याय दिला चुकी हैं। वह पीडि़त महिलाओं का पुलिस, कोर्ट-कचहरी की चौखट तक साथ निभाती हैं।
शिक्षा से ही आएगी जागरूकता
मूल रूप से बरेली निवासी एक परिवार आर्थिक तंगी के कारण अपने बेटे की शादी नहीं करा पा रहा था। डॉ. रेनू ने आर्य समाज मंदिर में विवाह कराया। इसके अलावा उन्होंने उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक महिला उत्पीडऩ के खिलाफ लड़ाई में महिलाओं का साथ दिया। दिल्ली विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में पीएचडी डॉ. रेनू कहतीं हैं कि शिक्षित होना और अपने अधिकारों के प्रति समझ होना बेहद जरूरी है। वह उत्पीडऩ की शिकार महिलाओं को शिक्षा के अधिकार के लिए जागरूक करती हैं। उनके पति डॉ. दयाल शरण शर्मा फारेंसिक लैब के संयुक्त निदेशक हैं।
आधी रात में बढ़ाया मदद का हाथ
डॉ. रेनु बताती हैं कि एक बार उनके पड़ोस में रहने वाली एक विधवा महिला ने रात एक बजे उनके घर का गेट खटखटाया। महिला ने बताया कि उसे हर रोज एक व्यक्ति परेशान करता है। डॉ. रेनु ने तत्काल कोतवाल को फोन कर इसकी जानकारी दी और आरोपी युवक को पुलिस के हवाले किया।
मारपीट करने वालों को पहुंचाया जेल
हल्द्वानी में रहने वाली एक भोजनमाता को पड़ोस के कुछ लोग अक्सर परेशान करते। विरोध करने पर उसके साथ मारपीट पर उतारू हो जाते थे। हद तो तब हो गई जब महिला को बुरी तरह पीट दिया गया। डॉ. रेनु ने पुलिस की मदद से सभी आरोपियों को जेल भिजवाया। महिला को हर संभव मदद भी दी।