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तराई में बारिश से गर्मी से मिली राहत, कृषि विशेषज्ञों ने खेती के लिए बताया लाभकारी

तीन दिनों तक अल्टीमेटम के बाद दो दिन बारिश रूक-रूक कर हुई। कहीं तेज और कहीं मध्यम वर्षा हुई। आज भी मध्यम वर्षा की संभावना है। प्री मानसून आने में अभी वक्त है। शनिवार की सुबह 3.7 एमएम वर्षा हुई। जबकि पर्वतीय क्षेत्र में घंटों बारिश ह़ुई है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 09:38 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 09:38 PM (IST)
तराई में बारिश से गर्मी से मिली राहत, कृषि विशेषज्ञों ने खेती के लिए बताया लाभकारी
रविवार को तराई में 35 एमएम वर्षा की संभावना है।

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : मौसम विभाग के पूर्वानुमान सटीक बैठा। शनिवार सुबह हवा और काले बादलों के बीच बारिश ने लोगों को गर्मी से राहत दिलाई है। तीन दिनों तक अल्टीमेटम के बाद दो दिन बारिश रूक-रूक कर हुई। कहीं तेज और कहीं मध्यम वर्षा हुई। आज भी मध्यम वर्षा की संभावना है। प्री मानसून आने में अभी वक्त है।

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लगातार गर्मी और ऊमस से तराई में लोग बेहाल हैं। तापमान 38 डिग्री तक पहुंच चुका था, लेकिन पिछले चार दिनों से मौसम ने करवट लिया है। सुबह से ही हल्की बारिश और दिन भर ठंडी हवाओं ने गर्मी छू मंतर दकर दिया है। मौसम विज्ञानियों ने नौ जून को अनुमान लगाया था कि 10 से 12 जून तक मध्यम वर्षा का अनुमान लगाया था। हवा के चलते कहीं-कहीं वर्षा तेज हुई। शनिवार की सुबह 3.7 एमएम वर्षा हुई। जबकि पर्वतीय क्षेत्र में घंटों बारिश ह़ुई है।

मुख्य कृषि अधिकारी डा. अभय सक्सेना ने बताया कि बारिश से किसी फसल के लिए नुकसान नहीं है, बल्कि धान के लिए बेहतर रहेगा। वहीं जिला उद्यान अधिकारी एचसी तिवारी ने बताया कि बारिश लगातार नहीं हुई है। सब्जियों, फल लीची, आम सभी के लिए ठीक है। कोई नुकसान नहीं होगा। बारिश के बाद मौसम खुल गया है। पंत विवि के मौसम विज्ञानी डा. आरके सिंह ने बताया कि दक्षिण पूर्वी दिशा से हवा की गति 2.6 किमी प्रति घंटे की रही। जिसके चलते रविवार को तराई में 35 एमएम वर्षा की संभावना है। शनिवार को अधिकतम तापमान 27.0 डिग्री सेल्सियस एवं न्यूनतम तापमान 21.09 डिग्री सेल्सियस रहा। रविवार को सूर्योदय सुबह 05:13 बजे एवं सूर्यास्त अपराह्न 07:11 बजे होगा। बारिश में पहाड़ पर काफी परेशानी हुई है। पर तराई में किसानों के लिए यह खुशहाली लेकर आया है। इस समय फल-सब्जियों के लिए यह काफी लाभदायक है। इसके अलावा धान के लिए यह संजीवनी साबित होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे जलस्रोत व अंडर ग्राउंड वाटर रीचार्ज होगा।

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