स्पीड गवर्नर रिन्यू करने के नाम पर वसूली बंद, पैसा मांगने पर करें शिकायत, होगी कार्रवाई
स्पीड गवर्नर के नाम पर डीलर अब वाहन स्वामी को ठग नहीं पाएंगे। रिन्यू करने के एवज में उनसे वसूली की जा रही थी। दैनिक जागरण ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया।
हल्द्वानी, जेएनएन : स्पीड गवर्नर के नाम पर डीलर अब वाहन स्वामी को ठग नहीं पाएंगे। रिन्यू करने के एवज में उनसे वसूली की जा रही थी। दैनिक जागरण ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया। जिसके बाद अफसर हरकत में आए। आरटीओ ने साफ कहा कि बेवजह का शुल्क लेना गलत है। अगर जबरन किसी वाहन स्वामी से पैसे लिए जाते हैं तो वह कार्यालय में आकर शिकायत कर सकता है। इस पर कार्रवाई जरूर होगी।
पिछले साल मई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर व्यावसायिक वाहनों की तेज रफ्तार पर काबू करने को स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य किया गया था। उस दौरान यह सिस्टम लगाने के एवज में सात से आठ हजार रुपये वाहन स्वामियों को देने पड़े। जबकि दिल्ली में स्पीड गवर्नर हल्द्वानी से आधी कीमत में आसानी से मिल रहा है। शुरू में टैक्सी यूनियन ने इसका विरोध भी किया। क्योंकि स्पीड कंट्रोल होने से चढ़ाई में दिक्कत आ रही थी। हालांकि कोर्ट के आदेश व बगैर इसके फिटनेस पास नहीं होने की वजह से उन्हें नियम का पालन करना पड़ा।
वहीं, एक साल बाद अब वाहन स्वामी फिटनेस कराने आरटीओ ऑफिस पहुंच रहे हैं तो उनसे रिन्यूवल लेटर मांगा जा रहा है। जबकि डीलर इस प्रमाणपत्र को देने के नाम पर मनमाने ढंग से 1000-1200 रुपये तक ऐंठ रहे हैं। वाहन स्वामियों ने मामले को उठाया भी, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। वहीं, जागरण में खबर छपने के बाद परिवहन विभाग के अफसरों ने साफ कहा कि स्पीड गवर्नर खराब होने पर बात अलग हैं, पर सिर्फ रिन्यूवल के नाम पर पैसा लेना गलत है। लिहाजा वाहन स्वामी बेवजह का शुल्क न जमा करें।
शिकायत करें, एक्शन लिया जाएगा
राजीव मेहरा, आरटीओ ने बताया कि रिन्यूवल के नाम पर पैसा लेना गलत है। गाड़ी में सिस्टम ठीक काम करने पर प्रमाणपत्र देना ही होगा। नियम विपरीत पैसा लेना गलत है। पीडि़त वाहन स्वामी शिकायत करें। हर हाल में एक्शन लिया जाएगा।
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