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राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण मामले में पुनर्विचार याचिका दायर

जागरण संवाददाता, नैनीताल : राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में दस फीसद क्षैतिज आरक्षण को असंव

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Mar 2018 06:58 PM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 06:58 PM (IST)
राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण मामले में पुनर्विचार याचिका दायर
राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण मामले में पुनर्विचार याचिका दायर

जागरण संवाददाता, नैनीताल : राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में दस फीसद क्षैतिज आरक्षण को असंवैधानिक ठहराने के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी गई है। अधिवक्ता रमन साह की ओर से यह याचिका दायर की गई है। जिस पर सुनवाई अगले सप्ताह सोमवार या मंगलवार को हो सकती है।

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दरअसल, राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण मामले में दो न्यायाधीशों द्वारा अलग-अलग राय दी गई। जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने जहां आरक्षण को असंवैधानिक ठहराया तो जस्टिस यूसी ध्यानी की पीठ ने विधि सम्मत करार दिया था। इसके बाद फैसले के लिए मुख्य न्यायाधीश द्वारा मामला तीसरी बेंच को रेफर किया गया। पिछले दिनों न्यायाधीश न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने मामले में फैसला देते हुए जस्टिस धूलिया की तरह आरक्षण को असंवैधानिक ठहराया था। हो हल्ला मचा तो सरकार के मंत्री धन सिंह रावत द्वारा भी फैसले को चुनौती देने का बयान जारी किया गया। गुरुवार को आरक्षण की कानूनी लड़ाई लड़ रहे अधिवक्ता रमन साह की ओर से फैसले को चुनौती देते हुए पुनर्विचार याचिका दायर की गई है। इस याचिका में राज्य आंदोलनकारियों को राहत और पुनर्वास का हकदार बताते हुए कहा है कि सरकार द्वारा घायल और जेल गए आंदोलनकारियों को सिर्फ एक बार छूट प्रदान की गई थी।

राज्य आंदोलनकारियों को सरकार प्रायोजित दमन का शिकार करार देते हुए कहा कि मुजफ्फरनगर कांड के पीडि़तों को आज तक न्याय नहीं मिला। बहरहाल अब एक बार फिर राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण के लिए एक बार फिर न्यायिक लड़ाई शुरू हो गयी है।


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