बेतालघाट, कोटाबाग, चम्पावत में बागियों ने भाजपा को सिखाया सबक nainital news
वरिष्ठ नेताओं के बीच अहम के टकराव की वजह से सत्ताधारी दल को महत्वपूर्ण विकास खंडों में ब्लॉक प्रमुख के पद पर बागियों के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा।
नैनीताल, जेएनएन : कुमाऊं मंडल में ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में वरिष्ठ नेताओं के बीच अहम के टकराव की वजह से सत्ताधारी दल को महत्वपूर्ण विकास खंडों में ब्लॉक प्रमुख के पद पर बागियों के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। बागियों की जीत ने एक बार फिर टिकट वितरण को सवालों के घेरे में ला दिया है।
कोटाबाग में प्रेशर में भाजपा
जिले के कोटाबाग में पंचायत की अधिसूचना जारी होने के साथ भी भाजयुमो नेता रवि कन्याल ने ब्लॉक प्रमुख बनने के लिए सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी। रवि के समर्थकों ने ब्लॉक के तमाम गांवों में अपने समर्थकों को न केवल चुनाव लड़ाया बल्कि निर्विरोध जीत का भी रास्ता बनाया। रवि का ब्लॉक प्रमुख बनना पहले से तय था मगर पार्टी ने जीवन भट्ट जैसे सियासत में नए चेहरे को प्रत्याशी घोषित कर दिया। बताया जाता है कि दूसरे राज्य में महत्वपूर्ण पद पर काबिज पार्टी पदाधिकारी के दबाव में रवि का टिकट काटा गया। अब रवि ने जीत दर्ज कर पार्टी के निर्णय को गलत साबित कर दिया।
बेतालघाट में जीती जंग हार में बदली
जिले के बेतालघाट में भाजपा नेता प्रमोद नैनवाल की बहन आनंदी देवी, गरिमा नैनवाल में से एक को पार्टी ब्लॉक प्रमुख पद पर प्रत्याशी बनाने की संभावना थी। गरिमा का क्षेत्र भविष्य में बनने वाली भतरौंजखान नगर पंचायत में शामिल हो सकता है, इसलिए आनंदी को प्रत्याशी बनाया गया। शुरुआत से ही पार्टी आनंदी को ब्लॉक प्रमुख बनाने मेें जुटी थी कि राज्यस्तरीय नेता ने विधानसभा चुनाव में हार का बदला चुकाने की मंशा से आनंदी के बजाय कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुई भावना जोशी को अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया। इस पूरी प्रक्रिया में विधायक को तक विश्वास में नहीं लिया गया। पार्टी नेतृत्व की गलत रणनीति की वजह से आनंदी के खेमे में गए थे, वह लौटे ही नहीं।
विधायक को दिखाई सियासी ताकत
कुमाऊं मंडल में चम्पावत ब्लॉक प्रमुख पद पर सांसद प्रतिनिधि व पूर्व जिला महामंत्री गोविंद सामंत ने अपनी समर्थक रेखा देवी को ब्लॉक प्रमुख बनवाकर चम्पावत के विधायक कैलाश गहतोड़ी को बड़ा सियासी झटका दिया। बताया जाता है कि गोविंद ब्लॉक प्रमुख के दावेदार थे मगर विधायक ने रणनीति के तहत बीडीसी सदस्य पद के चुनाव में हरवा दिया। जिसके बाद गोविंद ने सियासी ताकत दिखाते हुए पार्टी के प्रत्याशी चयन के साथ ही संगठन से निष्कासित करने के फैसले को गलत साबित कर दिया। यहां बता दें कि पार्टी ने ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत सदस्य पद पर लड़े प्रत्याशियों को संगठन से निष्कासित किया, उसकी वजह नेताओं के बीच अहम का टकराव मुख्य था। इसमें बागियों ने जीत दर्ज की है। उधर रामगढ़ में भाजपा से निष्कासित पुष्पा नेगी की जीत ने उन रणनीतिकारों को बैकफुट पर ला दिया, जिनके द्वारा पार्टी को गुमराह कर दूसरे प्रत्याशियों को टिकट की पैरवी की, जो जीतना तो दूर सम्मानजनक स्थिति में भी नहीं आ सके।
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