चूहों ने वृद्धा के चेहरे को कुतर-कुतर खा डाला, दर्दनाक मौत की ये खबर पढ़कर हिल जाएंगे आप
हेडिंग पढ़कर खबर का मर्म तो समझ आ ही गया होगा। ही हां मनुष्यता एक बार फिर शर्मशार हुई है। चूहों और छछूंदरों ने एक बुजुर्ग महिला का चेहरा कुतर-कुतर कर उसकी जान ले ली।
काशीपुर, जेएनएन : हेडिंग पढ़कर खबर का मर्म तो समझ आ ही गया होगा। ही हां मनुष्यता एक बार फिर शर्मशार हुई है। चूहों और छछूंदरों ने एक बुजुर्ग महिला का चेहरा कुतर-कुतर कर उसकी जान ले ली। जाहिर तौर पर ऐसी दर्दनाक मौत बेबस बुजुर्ग महिला के हिस्से में सिस्टम की लापरवाही और मानवीय संवेदनाओं के खत्म होने का ही परिणाम है। आसरे की तलाश में दर बदर भटकने वाली महिला की सुध किसी ने न ली। यह पूरी व्यवस्था के मुह पर तमाचा है।
मामला है ऊधमसिंनिगर जिले के काशीपुर का। 20 सितंबर को 108 एंबुलेंस कर्मचारियों ने रेलवे स्टेशन के पास बीमार पड़ी 65 वर्षीय लावारिस बुर्जु महिला को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया था। स्वस्थ होने पर 27 सितंबर को अस्पताल प्रशासन ने उसकी छुट्टी कर दी। लेकिन कहीं कोई आसरा न होने के कारण उसने अस्पताल परिसर को ही अपना आशियाना बना लिया। कभी वह ब्लड बैंक के पास तो कभी होम्योपैथी कक्ष के पास टिनशेड के नीचे सो जाती। इस बीच उसकी तबीयत फिर खराब हो गई तो अस्पताल कर्मियों ने उसे अस्पताल में भर्ती कर दिया, लेकिन वह वहां से चली गई। मंगलवार की देर रात 108 एंबुलेंस कर्मियों ने देखा कि होम्योपैथी कक्ष के पास एक बुजुर्ग महिला का शव पड़ा है और उसके चेहरे के बाएं हिस्से को नोचा गया है। सूचना पर इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉ. प्रवींद्र तिवारी, फॉर्मासिस्ट आरपी आर्य और वार्ड ब्वॉय रईस अहमद मौके पर पहुंचे और बुधवार की तड़के करीब दो बजे पुलिस को मेमो भेजा।
एसआइ रूबी मोर्य ने मौके पर जाकर शव को कब्जे में लेकर पीएम हाउस के लिए भेज दिया। चिकित्सक के अनुसार सेप्टीसिमिया के कारण वृद्धा के मल्टी आर्गन फेल्योर हो गए थे। फेफड़ों, लीवर व पेट आदि में पल्स भर गया। वृद्धा के चेहरे को चूहे और छछूंदर ने नोंचा था। जिसकी वजह से मौत हो गई। इस बावत कोतवाल चन्द्र मोहन सिंह रावत का कहना है कि मृतका का कोई वारिस न होने के कारण 72 घंटे बाद पुलिस उसका अंतिम संस्कार कर देगी।
सीएमओ की भी सुनिए
मुख्य चिकित्सालय अधीक्षक, एलडी भट्ट राजकीय चिकित्सालय, काशीपुर डॉ. बीके टम्टा ने बताया कि वृद्धा करीब एक माह से अस्पताल परिसर में ही रह रही थी। इलाज के बाद वह ठीक हो गई थी। लेकिन अचानक उसकी मौत होने की खबर नहीं था।
सामाजिक संस्थाओं ने भी नहीं दिया सहारा
लावारिस वृद्धा की मौत ने मानव सेवा का दावा करने वाली संस्थाओं की पोल खोल कर रख दी। करीब एक माह से अस्पताल परिसर में घूम रही वृद्धा की न तो किसी सामाजिक संस्था ने सुध ली न ही स्थानीय पुलिस प्रशासन ने। परिणाम यह हुआ की ठीक होने की आस लगाए वृद्धा ने आखिरकार दम तोड़ दिया। अस्पताल प्रशासन ने बीमार लावारिस वृद्धा के अस्पताल परिसर में घूमने की सूचना देने के बाद भी पुलिस प्रशासन ने इस बावत कोई कदम नहीं उठाया। अगर उस समय मित्र पुलिस अस्पताल प्रशासन के पत्र पर कार्रवाई कर देती तो वृद्धा की जान बच जाती और उसकी ऐसी दर्दनाक मौत नहीं होती। वृद्धा के चेहरे को चूहे और छछूंदर द्वारा नोचे जाने की बात सुन हर कोई स्तब्ध है।
ओल्ड एज होम भेजने को लिखा था पत्र
अस्पताल में भर्ती वृद्धा को सितंबर माह में सरकारी अस्पताल से जब छुट्टी दे दी गई। वृद्धा ने जब अस्पताल परिसर को ठिकाना बना लिया तो 27 सितंबर 2019 को एलडी भट्ट राजकीय चिकित्सालय के मुख्य चिकित्साल अधीक्षक डॉ. बीके टम्टा ने प्रभारी निरीक्षक काशीपुर कोतवाली को पत्र लिखकर अवगत कराया कि सरकारी अस्पताल के ओपीडी परिसर के बाहर एक बुजुर्ग महिला विगत एक सप्ताह से बैठी हुई है। जो चिखती चिल्लाती रहती है। अत:आपसे अनुरोध है कि उक्त महिला को वृद्धाआश्रम, महिला आश्रम में भेजने का कष्ट करें। चिकित्साधीक्षक ने इसकी प्रति उपजिलाधिकारी काशीपुर, पुुलिस क्षेत्राधिकारी, काशीपुर और मुख्य चिकित्साधिकारी ऊधमसिंह नगर को भी भेजी। इस पत्र पर न तो कोतवाल काशीपुर ने कोई कार्रवाई करने की जहमत उठाई न ही उपजिलाधिकारी और पुलिस क्षेत्राधिकारी ने। जिसका परिणाम यह हुआ कि इलाज के अभाव के चलते वृद्धा की दर्दनाक मौत हो गई।
किसी संस्था ने नहीं कराया उपचार
वृद्धा को अस्पताल परिसर स्थित ब्लड बैंक में शिविर लगाने वाले क्लब के सदस्यों का ध्यान भी लाचार वृद्धा पर नहीं गया। न ही किसी अधिकारी ने इन क्लब को वृद्धा के इलाज की जिम्मेदारी उठाने का जिम्मा सौंपा। इस घटना से हर कोई स्तब्ध है। कोतवाल ने बताया मृतका के वारिश का पता लगाया जा रहा है, अगर कोई वारिस नहीं आया तो 72 घंटे बाद पुलिस वृद्धा के शव का अंतिम संस्कार कर देगी।