Rampur Tiraha Kand 2022 : रामपुर तिराहाकांड के पीड़ितों को 28 साल बाद भी नहीं मिला न्याय, क्या हुआ था उस दिन
Rampur Tiraha Kand 2022 अलग उत्तराखंड राज्य बनने के 28 साल बाद भी रामपुर तिराहा कांड के शहीद दुष्कर्म पीड़िताओं और आंदोलनकारियों को आज तक न्याय नहीं मिल सका। चलिए जानते हैं कि दो अक्टूबर 1995 की रात क्या हुआ था।
किशोर जोशी , नैनीताल : Rampur Tiraha Kand 2022 : अलग उत्तराखंड राज्य बनने के 28 साल बाद भी रामपुर तिराहा कांड के शहीद, दुष्कर्म पीड़िताओं और आंदोलनकारियों को आज तक न्याय नहीं मिल सका। तिराहा कांड के आरोपित रसूखदार, पुलिस व प्रशासनिक अफसरों ने सीबीआइ कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से तकनीकी बिंदुओं के आधार पर राहत पाते रहे।
घटना के एकमात्र गवाह तत्कालीन सीओ के गनर की संदिग्ध हालत में मौत हो गई। अब नैनीताल हाई कोर्ट में रामपुर तिराहा कांड मामले में आरोपित तत्कालीन जिलाधिकारी का केस देहरादून जिला कोर्ट से मुजफ्फरनगर ट्रांसफर करने को चुनौती देती याचिका विचाराधीन है।
1995 में उत्तर प्रदेश शासन के गृह विभाग की ओर से शासनादेश के अनुसार पहली व दो अक्टूबर उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में डीएम अनंत कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक राजेंद्र पाल सिंह, एडीएम प्रशासन विनाेद कुमार पंवार, आइजी मेरठ जोन एसएम नसीम, डीआइजी मेरठ रेंज बुहा सिंह, एएसपी महेश कुमार मिश्रा, सिटी मजिस्ट्रेट जयप्रकाश सागर, सीओ डीडी सारस्वत, जगदीश सिंह, गीता प्रसाद नैनवाल सीओ, राधेमोहन द्विवेदी, राजवीर सिंह, मोती सिंह आदि बतौर लोक सेवक नियुक्त थे।
अलग उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलनकारी दिल्ली में लाल किला में दो अक्टूबर को प्रस्तावित रैली में भाग लेने जा रहे थे। इन लोक सेवकों ने आपराधिक षडयंत्र कर पहली व दो अक्टूबर की रात में मुजफ्फरनगर के थाना छापड़ अंतर्गत रुड़की रोड पर रामपुर तिराहा पर आंदोलनकारियों को रोककर उनके दिल्ली जाने पर बाधा डाली। आंदोलनकारियों ने इसका विरोध किया। इस दौरान पुलिस की फायरिंग व लाठीचार्ज में कई आंदोलनकारियों की मौत हो गई तो कई लापता हो गए। महिलाओं के साथ सामुहिक दुष्कर्म हुआ।
यह मामला उत्तराखंड संघर्ष समिति के माध्यम से इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने समस्त मामलों की विवेचना सीबीआइ को सौंप दी। सीबीआइ की विचेचना के आधार पर तत्कालीन डीएम समेत अन्य अफसरों के विरुद्ध संगीन धाराओें में अभियोजन चलाने की मंजूरी प्रदान की। इसके बाद तत्कालीन डीएम ने बिना केंद्र सरकार की मंजूरी के आधार पर मुकदमे की अनुमति काे नैनीताल हाई कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा लेकिन आज तक किसी भी आरोपित को सजा तो दूर गिरफ्तारी तक नहीं हुईं।
इन्होंने दी शहादत
अशोक कुमार निवासी ऊखीमठ जिला चमोली, राजेश नेगी निवासी भानियावाला का मृत शरीर नहीं मिला, ग्रीश कुमार भंडारी निवासी देहरादून, राजेश लखेड़ा निवासी देहरादून, सतेंद्र चौहान निवासी सेलाकुई देहरादून, सूर्य प्रकाश शर्मा निवासी मुनि की रेती ऋषिकेश, रवींद्र रावत निवासी देहरादून। सात महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म व छेड़छाड़ के दो दर्जन मामले।
ये हुए थे घायल
भुवन विक्रम शर्मा निवासी भगवानपुर, प्रताप सिंह गोरिया निवासी रुद्रप्रयाग, दिनेश कुमार सिंह निवासी सहसपुर देहरादून, ओमगोपाल रावत निवासी नरेंद्र नगर टिहरी, दुर्गा प्रसाद निवासी युद्धवीर बिष्ट व शांति प्रसाद भट्ट निवासी अजबपुर दून,विपिन नेगी निवासी देहरादून्, द्वारिका सिंह चौहान, निवासी सहसपुर दून, दिनेश बिष्ट निवासी देहरादून,अरविंद सिंह निवासी देहरादून, शिव सिंह निवासी चमोली, कमल किशोर निवासी जोशीमठ, सोबन सिंह निवासी टिहरी, विपिन नेगी निवासी दून, नरेंद्र सिंह निवासी दून, मनोज ध्यानी निवासी दून।
अध्यक्ष उत्तराखंड अधिवक्ता संघ व याचिकाकर्ता रमन कुमार साह ने कहा कि अलग राज्य के लिए बलिदान देने वाले, छेड़खानी की शिकार महिलाओं के दोषियों को सजा नहीं मिलना वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है। आरोपितों को सजा दिलाने के लिए सरकार की भी मदद की जरूरत है। आरोपितों को सजा दिलाने तक संघर्ष जारी रखेंगे।
विरोध में धरना आज
रामपुर तिराहा हत्याकांड की बरसी पर रविवारा को विभिन्न जन संगठनों की ओर से दो अक्टूबर को पूर्वाह्न 11 बजे से गांधी की प्रतिमा के पास उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ हेलंग प्रकरण, जगदीश हत्याकांड, यूकेएसएससी भर्ती प्रकरण, विधान सभा भर्ती घोटाला और अंकिता भंडारी हत्याकांड की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर धरना दिया जाएगा।