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रामनगर में विकसित हुआ है जीवन को ऑक्सीजन देने वाला पार्क, सुबह-शाम यहां मिलेगी शुद्ध प्राणवायु

काेरोनाकाल में ऑक्सीजन को लेकर मारामारी मची हुई है। इस दौर में जीवन की पहली जरूरत प्राणवायु है। ऐसे में स्वच्छ पर्यावरण जीवन की अनिवार्य शर्त हो गई है। अगर आप पूरी तरह स्वस्थ्य हैं और नियमित सुबह - शाम टहलने के आदी हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 11:04 AM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 11:04 AM (IST)
रामनगर में विकसित हुआ है जीवन को ऑक्सीजन देने वाला पार्क, सुबह-शाम यहां मिलेगी शुद्ध प्राणवायु
रामनगर में विकसित हुआ है जीवन को ऑक्सीजन देने वाला पार्क, सुबह-शाम यहां मिलेगी शुद्ध प्राणवायु

रामनगर, जागरण संवाददाता : काेरोनाकाल में ऑक्सीजन को लेकर मारामारी मची हुई है। इस दौर में जीवन की पहली जरूरत प्राणवायु है। ऐसे में स्वच्छ पर्यावरण जीवन की अनिवार्य शर्त हो गई है। अगर आप पूरी तरह स्वस्थ्य हैं और नियमित सुबह - शाम टहलने के आदी हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। रामनगर के कोसी बैराज से थोड़ी दूर पर स्थित जैवविविधता पार्क विकसित किया गया है। नियमित आप वहां टहलने जाएं तो भरपूर ऑक्सीन मिलेगा। कल्पतरु वृक्ष मित्र समिति ने कोसी जैव विविधता उपवन के जरिये शहर के इर्द गिर्द प्राणवायु ऑक्सीजन के लिए बैंक बनाने का काम किया है।

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कोसी जैव विविधता पार्क में फाइकस प्रजाति के अनेक पौधे टीम कल्पतरु द्वारा लगाए गए हैं। जिनमें बरगद पीपल, पिलखन, गूलर, बेड़ू, कुनिया और खाबड़ के पौधे प्रमुख हैं। जो अन्य वृक्षो की अपेक्षा अधिक ऑक्सीजन देते हैं। इसके अलावा अनेक औषधीय महत्व के अनेकानेक पौधें भी कोसी बायोडाइवर्सिटी पार्क में रोपित किये गए हैं। जैसे नीम, रुद्राक्ष, हल्दू, पारिजात, बेलपत्र, मौलश्री, आम, जामुन, बकैन और टिमरू आदि। दो साल पहले किया स्थापित कोसी जैव विविधता उपवन रामनगर वन प्रभाग के कोसी रेंज की भूमि पर दो साल पहले स्थापित किया गया। आज यहां कुल साठ से ज्यादा प्रजातियों के कुल दो हजार पौधे धीरे धीरे बड़े होकर अपनी क्षमतानुसार ऑक्सीजन देने के लिए लहलहा रहे हैं।

शहर के आसपास भी दर्जनों प्राण वायु

प्राकृतिक बैंक कल्पतरु वृक्षमित्र समिति ने कोसी जैव विविधता उपवन के अलावा शहर के आसपास आधा दर्जन स्थानों में पौधरोपण करके भविष्य के लिए ऑक्सीजन बैंक बनाने का काम किया है। जिसमें शहर के बिल्कुल पास रामनगर फाइकस गार्डन सबसे खास है। जहां फाइकस प्रजाति के बरगद, पीपल, गूलर इत्यादि के वृक्षों की बहुतायत है।

चालीस लोगों का समूह कल्पतरु में

कल्पतरु वृक्ष समिति में व्यवसायी, सरकारी सेवारत व रिटायर अधिकारी, शिक्षक व अन्य प्रकार के कुल जमा चालीस लोग हैं।जो अपने खर्च व जनता के सहयोग से अपनी गतिविधियों को चलाते हैं चार साल पहले गर्जिया में स्थापित किया पार्क समिति ने चार साल पहले गर्जिया मंदिर के पास कुंवर दामोदर राठौर जैव विविधता पार्क स्थापित किया। इसके अलावा विभिन्न सरकारी व अन्य परिसरों में समिति के लोगों द्वारा लगाए गए पौधे बड़े होकर निरंतर ऑक्सीजन प्रवाहित करने के साथ ही हरियाली बढ़ा रहे हैं।

आपसी सहयोग से होता है खर्च

कोसी बायोडायवर सिटी पार्क हो या फाइकस गार्डन या फिर शहर कर चारो ओर हरियाली के लिए पौधों का रोपण हो इन सब मे समिति के लोग ही आपसी खर्च से ही कार्य करते है। किसी प्रकार की सरकारी मदद नही ली जाती। समिति के अद्यक्ष अतुल मेहरोत्रा, सचिव मितेश्वर आनन्द बताते है कि समिति ने छह सालो में आठ हजार से अधिक फाइकस प्रजाति के पौधे लगाए है जो धीरे धीरे वृक्ष का आकार लेने लगे है यह सभी पौधों को प्राणवायु ही कहा जा सकता है।

जन सहभागिता सबसे ऊपर

कल्पतरु से जुड़े पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष गणेश रावत बताते हैं कि कल्पतरु प्राकृतिक आक्सीजन बैंक स्थापित कर रहा है। जिसे जनता का बराबर सहयोग मिलने लगा है। गैर राजनीतिक होने के कारण सभी धर्म, सम्प्रदाय के साथ साथ अब स्कूली बच्चे भी पौधा रोपण कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने लगे है।

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