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यहां रामलीला में दिखते हैं कर्इ रंग, हिंदू-मुस्लिम एक साथ करते हैं मंचन

हल्द्वानी में हर साल की तरह इस बार भी रामलीला में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के कलाकार सामजिक सद्भाभाव का संदेश देंगे।

By Edited By: Published: Sat, 29 Sep 2018 07:25 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 01:00 PM (IST)
यहां रामलीला में दिखते हैं कर्इ रंग, हिंदू-मुस्लिम एक साथ करते हैं मंचन
यहां रामलीला में दिखते हैं कर्इ रंग, हिंदू-मुस्लिम एक साथ करते हैं मंचन

हल्द्वानी, [जेएनएन]: हल्द्वानी में रामलीला की तैयारियां जोरों पर हैं, सभी कलाकार पूरी शिद्दत के साथ रामलीला को बेहद खास बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। यहां आयोजित होने वाली  रामलीला सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देती है। यहां हिंदू मुस्लिम भार्इचारे की मिसाल पेश करते हुए एक साथ रामलीला का मंचन करते हैं। 

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हर बार की तरह इस बार भी रामलीला मैदान में होने वाली शहर की सबसे प्राचीन और काठगोदाम शीशमहल की रामलीला सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देगी। शीशमहल की रामलीला में जहां शाहनवाज सूपर्णखा का किरदार निभाएंगे। वहीं रामलीला मैदान की लीला में दशहरे के दिन हसीन मियां आतिशबाजी का नजारा पेश करेंगे। 

आठ साल से रामलीला में निभा रहे महिला पात्रों का किरदार 

आवास विकास कॉलोनी निवासी शाहनवाज फिलहाल दिल्ली में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह पिछले आठ साल से रामलीला में महिला पात्रों का किरदार निभा रहे हैं। राजा दशरथ की रानी कैकयी के अलावा उन्होंने रानी सुलोचना का भी किरदार निभाया है, लेकिन दर्शकों ने सबसे ज्यादा पसंद उन्हें सूपर्णखा के किरदार में किया है। 

परिवार का मिला पूरा साथ 

शाहनवाज बताते हैं कि उन्होंने विवेकानंद स्कूल में पहली बार सरस्वती वंदना प्रस्तुत की थी, इसके बाद अभिनय के प्रति उनका हौसला बढ़ा। स्कूल की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने रामलीला में अभिनय शुरू किया। उनके पिता सरताज अहमद रोडवेज में कार्यरत थे। अपने अभिनय को आगे बढ़ाने के लिए शाहनवाज को परिवार का भी पूरा साथ मिला। 

इसबार भी दिखेंगे महिला पात्र के किरदार में 

इस बार भी शाहनवाज महिला पात्र के किरदार में नजर आएंगे। हालांकि, उनकी प्राथमिकता सूपर्णखा बनने की होगी। अन्य किरदारों के लिए भी वे तैयार हैं। माजिद भाई के स्पेशल इफेक्ट शीशमहल में पिछले कई सालों से रामलीला का निर्देशन कर रहे नीरज फुलारा बताते हैं कि रामलीला मंचन में माजिद भाई का भी सहयोग रहता है। लाइट के जरिये स्पेशल इफेक्ट में पिछले कर्इ सालों से माजिद भाई अपनी बड़ी भूमिका निभाते आ रहे हैं। 

दशहरे पर आतिशबाजी का नजारा दिखाएंगे हसीन मियां 

रामलीला मैदान में होने वाली शहर की सबसे प्राचीन रामलीला में भी सामाजिक एकता की मिसाल है। रामलीला से लंबे समय से जुड़े राम मंदिर के महंत विवेक शर्मा बताते हैं कि कई सालों तक पीलीभीत निवासी पुत्तन मियां रामलीला में आतिशबाजी करने आते रहे हैं, जबकि कल्लू मियां पुतले बनाने का काम किया करते थे। उनके बाद अब हिंदू कलाकार शम्भू बाबा पुतले बनाने का काम कर रहे हैं। रामलीला मैदान में मंचन के लिए गठित संचालन समिति के सदस्य विनीत अग्रवाल ने बताया कि इस बार भी दशहरे पर हसीन मियां आतिशबाजी का नजारा पेश करेंगे। साथ ही राम बारात शोभायात्रा में भी विगत वर्षों की भांति मुस्लिम समुदाय से जुड़े बैंड कलाकार शामिल होंगे।

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