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आंदोलनों से उभरे राम को अब भाया कमल, हाथ से बिखरे कैड़ा को भाजपा ने भी गले लगाने में नहीं की देरी

सीएम रहते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत हों या फिर तीरथ सिंह रावत और अब पुष्कर सिंह धामी सभी ने राम सिंह कैड़ा को बराबर महत्व दिया। कैड़ा उनके आयोजनों में शामिल हुए। उनके ज्वाइन करने को लेकर सीएम धामी का भी मुख्य योगदान है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 09 Oct 2021 05:44 PM (IST)Updated: Sat, 09 Oct 2021 05:44 PM (IST)
आंदोलनों से उभरे राम को अब भाया कमल, हाथ से बिखरे कैड़ा को भाजपा ने भी गले लगाने में नहीं की देरी
चुनाव से ठीक पहले भाजपा हाईकमान ने कैड़ा को कमल थमा दिया है। यही उनकी इच्छा भी थी।

गणेश जोशी, हल्द्वानी : छात्र जीवन से ही राजनीतिक महत्वाकांक्षा पाले राम सिंह कैड़ा का जीवन हमेशा आंदोलनों में बीता। कभी राज्य आंदोलन तो कभी छात्रसंघ में रहते हुए आंदोलन। बाद में कांग्रेस संगठन में अलग-अलग पदों पर रहते हुए भी क्षेत्र की समस्याओं के लिए आंदोलन। इन्हीं गतिविधियों के चलते निर्दल से अब भाजपा के हुए राम सिंह की पहचान बनी रही। उनका आंदोलन करने का तरीका भी सामान्य नहीं, बल्कि 10 दिन के धरना-प्रदर्शन में 10 तरीके। इसमें अर्धनग्न से लेकर जूता साफ करने तक का अनूठा तरीका हर किसी का ध्यान आकर्षित करा देता था। यानी कि मुद्दों को उठाना हो या खुद को हाईलाइट करना, वह कोई कसर नहीं छोड़ते। कांग्रेस से बिखरने के बाद निर्दलीय विधायक भी बन गए। इन्हीं सब कारणों के चलते चुनाव से ठीक पहले भाजपा हाईकमान ने कैड़ा को कमल थमा दिया है। यही उनकी इच्छा भी थी।

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भाजपा सरकार बनते ही बन गए एसोसिएट मेंबर

कांग्रेस से बाकी होकर निर्दलीय चुनाव लडऩे वाले राम सिंह कैड़ा विधायक बनते हुए भाजपा के एसोसिएट मेंबर हो गए थे। वह सरकार से जुड़े हर कार्यक्रमों में शामिल होने लगे। शुरुआत से ही भाजपा सरकार के पक्ष में ही माहौल बनाते नजर आए।

सीएम त्रिवेंद्र से लेकर धामी के करीब बने रहे

सीएम रहते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत हों या फिर तीरथ सिंह रावत और अब पुष्कर सिंह धामी, सभी ने राम सिंह कैड़ा को बराबर महत्व दिया। कैड़ा उनके आयोजनों में शामिल हुए। उनके लिए हमेशा माहौल बनाते भी नजर आए। उनके ज्वाइन करने को लेकर सीएम धामी का भी मुख्य योगदान है। चर्चा थी कि केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट भी उनकी पैरवी करते रहे।

स्थानीय नेताओं में बेचैनी, मनाना होगा चुनौती

भीमताल विधानसभा क्षेत्र से कई स्थानीय नेता दावेदारी में जुटे हैं। कई नेता ऐसे हैं, जो हमेशा दूसरे दल व निर्दलीय रहते हुए विधायक का विरोध करते रहे। अब इन नेताओं में बेचैनी है। हालांकि कैड़ा को पार्टी में शामिल कराने में राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर के नेता शामिल हैं। इसलिए सीधे विरोध की गुंजाइश तो कम रहेगी, लेकिन इस तरह की नाराजगी पार्टी व स्वयं कैड़ा के लिए बड़ी चुनौती होगी। जबकि पार्टी ने चुनाव को लेकर माहौल बनाने के लिए यह सब किया है।

एमबीपीजी से अध्यक्ष बनने वाले पहले विधायक

कुमाऊं के सबसे बड़े एमबीपीजी कॉलेज में 1978 से चुनाव शुरू हुए। तब से हर वर्ष अध्यक्ष बनते रहे, लेकिन इसमें से केवल एक ही अध्यक्ष राम सिंह कैड़ा विधायक बन सके। वह छात्रसंघ में सचिव के अलावा कुमाऊं विवि छात्र महासंघ के अध्यक्ष भी रहे। इस बीच वह राज्य आंदोलन में भी सक्रिय रहे। फतेहगढ़ जेल से लेकर हल्द्वानी व नैनीताल जेल में भी रहे।


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