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बारिश में कमी ने बढ़ाई किसानों की चिंता

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी प्रदेश में मानसून की दस्तक को एक माह का समय होने वाला है, लेकिन कु

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 01:02 AM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 01:02 AM (IST)
बारिश में कमी ने बढ़ाई किसानों की चिंता
बारिश में कमी ने बढ़ाई किसानों की चिंता

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी

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प्रदेश में मानसून की दस्तक को एक माह का समय होने वाला है, लेकिन कुमाऊं के पर्वतीय इलाकों में बारिश की कमी किसानों के लिए परेशानी का कारण बन रही। अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत में एक जून से लेकर अब तक मानसून के दौरान होने वाली सामान्य बारिश में कमी दर्ज की गई, जबकि पिथौरागढ़ में सामान्य के करीब बारिश हुई हैं। वहीं मैदानी जिलों में भी अभी तक मानसून की पर्याप्त बारिश नहीं हुई।

मानसून आने के बाद अल्मोड़ा में सामान्य तौर पर अब तक 298.5 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन अभी तक केवल 122.5 एमएम बारिश ही हो पाई हैं। इसी तरह ऊधमसिंहनगर जिले में बारिश में 44 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। पर्वतीय इलाकों व मैदानी क्षेत्रों में इन दिनों खरीफ की फसलों की बुवाई की जा रही है। जिसमें धान सबसे ज्यादा प्रमुख फसल है। तराई-भाबर के सिंचित क्षेत्रों में तो सिंचाई नहरों से पानी की कमी पूरी की जा रही है, लेकिन पर्वतीय इलाकों में धान की सिंचाई पूरी तरह मानसून की बारिश पर ही निर्भर है।

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देरी से आया मानसून

27 जून को प्रदेश में दक्षिण-पश्चिम मानसून ने दस्तक दी थी, जबकि आमतौर पर मानसून 15 जून को प्रदेश में प्रवेश करता है। इस बार मानसून में देरी के साथ ही बारिश में कमी से धान की रोपाई भी देरी से हुई। किसानों की उम्मीद थी कि मानसून में पर्याप्त बारिश मिलने से धान की अच्छी पैदावार होगी, लेकिन जुलाई में बारिश में आई कमी ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

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मानसून के बाद कहां कितनी बारिश

जिला=वास्तविक=सामान्य=बारिश में कमी

अल्मोड़ा=12.5= 298.5= 59

बागेश्वर=525.8=298.5=76

चम्पावत=419=484.5=14

नैनीताल=392.7=502.9=22

पिथौरागढ़=581.9=601.1=3

यूएसनगर=214.4=382=44

नोट: बारिश के आंकड़े एक जून से 18 जुलाई 2018 तक। बारिश एमएम एवं बारिश में कमी प्रतिशत में।

=========वर्जन=====

प्रदेश के कुछ इलाकों में मानसून के बावजूद कम बारिश हुई है, लेकिन 21 जुलाई के बाद प्रदेशभर में बारिश की गतिविधियों में तेजी आने की संभावना है। विक्रम सिंह, निदेशक, राज्य मौसम विज्ञान केंद्र


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