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मेडिकल कॉलेज में ऐसे की जा रही थी रैगिंग, जानकर हैरान हो जाएंगे

सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में रैगिंग का मामला इन दिनों सुर्खियों में है। एंटी रैगिंग कमेटी ने जूनियर डॉक्टरों की काउंसलिंग की।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 12:51 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 12:51 PM (IST)
मेडिकल कॉलेज में ऐसे की जा रही थी रैगिंग, जानकर हैरान हो जाएंगे
मेडिकल कॉलेज में ऐसे की जा रही थी रैगिंग, जानकर हैरान हो जाएंगे

जासं, हल्द्वानी : सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज में रैगिंग का मामला इन दिनों सुर्खियों में है। इस दौरान रैगिंग करने के एक से बढ़कर एक तरीके सामने आ रहे हैं, जिसे आप जानकर हैरान हो जांएगे। रैगिंग करने वाले सीनियर पकड़ में आए इसलिए वे खिड़की की ओट से जूनियरों को मुर्गा बनने के आदेश देते थे। यह बात सामने आई है रैगिंग मामले की जाच कर रही एंटी रैगिंग कमेटी के सामने। सिटी मजिस्ट्रेट और एसपी सिटी ने बुधवार को एमबीबीएस प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के छात्र-छात्राओं की काउंसिलिंग की। उन्होंने छात्र-छात्राओं को दिए नंबर और कहा, करने वालों को नंबर गोपनीय रखा जाएगा।

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सिटी मजिस्ट्रेट पंकज उपाध्याय और एसपी सिटी अमित श्रीवास्तव ने मंगलवार को रैगिंग के मामले की जाच शुरू की थी। जाच के दौरान पूछताछ में कुछ छात्रों ने बताया था कि वरिष्ठ खिड़की के बाहर से मुर्गा बनने का आदेश देते हैं। बुधवार को दोनों अधिकारियों ने एमबीबीएस प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के छात्र--छात्राओं से कहा कि उत्पीड़न होने पर तत्काल जानकारी दें। जानकारी देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा। दोनों अधिकारियों ने अपने मोबाइल नंबर देने के साथ ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का भी नंबर दिया। कहा कि यूजीसी में शिकायत करने वाला पीड़ित चाहे तो फोन कर आपबीती बता सकता है और उसका नाम गोपनीय रखा जाएगा। सिटी मजिस्ट्रेट ने बताया कि अभी मामले की जाच चल रही है, दो-तीन दिन बाद एक बार फिर एक-एक छात्र-छात्रा को बुलाकर बात की जाएगी। इस दौरान प्राचार्य डॉ. सीपी भैसोड़ा, डॉ. एके सिंह, डॉ. आरजी नौटियाल, डॉ. अजय आर्या, डॉ. विनीता रावत, आलोक उप्रेती आदि थे। कमेटी ने दिए ये निर्देश

= एंटी रैगिंग स्क्वायड गोपनीय तरीके से मामले की पड़ताल करे।

= प्रत्येक 15 दिन में ड्राप बाक्स भी एमबीबीएस के सभी सौ छात्र एक पत्र डालेंगे।

= शिकायत हो या न हो मगर पत्र डालना अनिवार्य होगा।

= सौ छात्र-छात्राओं की 25-25 की टीम बनेगी। प्रत्येक टीम पर मेडिकल कालेज प्रबंधन का एक कर्मी रहेगा तैनात।

= छात्र-छात्राओं से संवाद करने के साथ ही उनके परिजनों से भी करेगा बात और देगा रिपोर्ट।


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