दिखाया आईना : लोक निर्माण विभाग व जनप्रतिनिधि नहीं दे रहे ध्यान तो डॉक्टरों ने भरे 'सड़क' के जख्म
गांव से शहर तक की सड़कों का बुरा हाल है पर जनप्रतिनिधियों और अफसरों को कोई मतलब नहीं। लोनिवि बजट की तंगी बता अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट चुका है तो नेताओं ने भी पीठ फेर ली है।
हल्द्वानी, जेएनएन : गांव से शहर तक की सड़कों का बुरा हाल है, पर जनप्रतिनिधियों और अफसरों को कोई मतलब नहीं। लोक निर्माण विभाग बजट की तंगी बता अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट चुका है तो नेताओं ने भी जनता के इस दर्द से पीठ फेर ली है। रविवार सुबह जब चिकित्सकों की टीम सड़कों के जख्मों पर मरहम लगाने पहुंची तो लोग भी जुट गए। जिसके बाद करीब 22 गड्ढों को रेत-बजरी डालकर अस्थायी तौर पर भरा गया।
गड्ढों की समस्या लगातार नासूर बन रही है। लोनिवि से लेकर जनप्रतिनिधियों तक के चक्कर लगाने के बावजूद इस समस्या से निजात नहीं मिल पा रही है। एसटीएच के पीछे से आइटीआइ-धानमिल को निकलने वाली सड़क का महीनों से बुरा हाल है। वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. महेश शर्मा ने बताया कि हाल में एक महिला उनके सामने इन गड्ढों की वजह से घायल हो गई। जिसके बाद फेसबुक पर गड्ढे भरने की मुहिम चलाई गई। रविवार सुबह विवेकानंद अस्पताल का स्टाफ और स्थानीय लोग भी मौके पर पहुंचे। जिसके बाद सुबह दस से डेढ़ बजे तक साढ़े तीन घंटे लोगों ने खुद फावड़े-बेलचों की मदद से इन गड्ढों को अस्थायी तौर पर भर दिया। गड्ढे भरने के लिए मैटीरियल की व्यवस्था कमल सुयाल द्वारा की गई।
मरम्मत में ये लोग रहे शामिल
न्यूरोसर्जन डॉ. महेश शर्मा, डॉ. ब्रजेश बिष्ट, डॉ. विनोद पांडे, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता महेश शर्मा, संजय शर्मा, ललित कांडपाल, भुवन तिवारी, हेम उपाध्याय, सुरेश पडलिया, दलीप महर, राजू जोशी, विनोद मेहता, संजय गोस्वामी, हरीश भट्ट, विकल्प पंत, भुवन गुणवंत, विजय सिंह, बालम बिष्ट के अलावा माही सोसायटी, स्टंप ऑन ग्रुप के मेंबर शामिल रहे।
साहब! अब तो जिम्मेदारी निभा देना
चिकित्सकों की टीम ने अस्थायी तौर पर गड्ढों को पाटकर कुछ निजात दिलाई है। अब अफसरों व नेताओं को अपनी जिम्मेदारी का अहसास कर स्थायी समाधान निकालना होगा। ताकि गड्ढों में गिरकर कोई चोटिल न हो।
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