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Nainital News : चाइना की ई-टिकट मशीनों में आने लगी दिक्कत, आठ चालकों ने वापस लौटाई

रोडवेज ने हाल में 1300 ई-टिकट मशीनों को किराये पर लिया। एक मशीन का प्रतिमाह किराया 450 रुपये हैं। तीन साल के लिए किराये पर ली गई मशीनें मेड इन चाइना है। मशीन के बाहर यह साफ लिखा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 01:23 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 01:23 PM (IST)
Nainital News : चाइना की ई-टिकट मशीनों में आने लगी दिक्कत, आठ चालकों ने वापस लौटाई
उत्तराखंड परिवहन निगम की तरफ से किराये पर मंगाई गई मेड इन चाइना ई-टिकट मशीनों में दिक्कत आने लग गई।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : उत्तराखंड परिवहन निगम की तरफ से किराये पर मंगाई गई मेड इन चाइना ई-टिकट मशीनों में दिक्कत आने लग गई। हल्द्वानी डिपो के आठ परिचालकों ने इन मशीनों को टिकट कक्ष में वापस कर दिया है।

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कोई टिकट काटने के दौरान खुल नहीं रही तो किसी को बंद करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। टिकट काटने के दौरान यह बीच में अटक भी रही है। ऐसे में परिचालकों को बीच रास्ते में परेशानी का सामना करना पड़ा। जिस वजह से उन्होंने मशीनें जमा कर दी।

रोडवेज ने हाल में 1300 ई-टिकट मशीनों को किराये पर लिया। एक मशीन का प्रतिमाह किराया 450 रुपये हैं। तीन साल के लिए किराये पर ली गई मशीनें मेड इन चाइना है। मशीन के बाहर यह साफ लिखा है। जबकि इससे पहले जिन मशीनों से दस साल तक काम लिया गया था। वह स्वदेशी थी। मगर पता नहीं किन कारणों से अफसरों ने स्वदेशी मशीनें लेने की बजाय चाइनीज मशीनें मंगा ली।

दैनिक जागरण ने मेड इन चाइना मशीनों को मंगाने के मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसके बाद 14 मई को परिवहन मंत्री चंदन राम दास ने मामले की जांच के निर्देश भी दिए थे। वहीं, रोडवेज के हल्द्वानी डिपो को कुल 80 मशीनें दी गई थी। लेकिन आठ में दिक्कत आने की वजह से परिचालकों ने इन्हें वापस कर दिया। हालांकि, निगम अफसरों का कहना है कि मशीनें तो ठीक है। लेकिन नए फंक्शन जुडऩे के कारण इनके संचालन में कई परिचालकों को दिक्कत आ रही है। जल्द तकनीकी टीम इसे समझाने के लिए आएगी।

मोबाइल की बैटरी से ज्यादा चलती है: निगम के अफसरों का दावा था कि नई मशीनें काफी हाईटेक है। यह एंड्रारायड सिस्टम पर चलती है। लेकिन बैटरी को लेकर अभी से समस्या आने लगी है। सोमवार को रोडवेज स्टेशन पर मौजूद कुछ परिचालकों ने कहा कि मोबाइल की बैटरी से ज्यादा इसे चार्ज करना पड़ रहा था। जबकि पहले ऐसी दिक्कत नहीं आती थी।


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