प्रो. साहू को उनके शोध के लिए केंद्रीय उर्वरक मंत्रालय का मिलेगा प्रतिष्ठित सम्मान
रसायन विज्ञान विभाग के नैनो रिसर्च सेंटर के संस्थापक प्रो. नंद गोपाल साहू को उनके शोध के लिए केंद्रीय उर्वरक मंत्रालय का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है।
नैनीताल, जेएनएन : स्थापना के बाद चार दशक बाद कुमाऊं विवि को शोध में एक बार फिर राष्ट्रीय पहचान मिली है। पहली बार विवि के रसायन विज्ञान विभाग के नैनो रिसर्च सेंटर के संस्थापक प्रो. नंद गोपाल साहू को उनके शोध के लिए केंद्रीय उर्वरक मंत्रालय का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। उपराष्ट्रपति वैकेया नायडू 24 जनवरी को चेन्नई में आयोजित समारोह में प्रो. साहू को पुरस्कार प्रदान करेंगे। नैनो साइंस एंड नैनो रिसर्च सेंटर के लिए राज्य सभा सदस्य रहे तरुण विजय द्वारा सांसद निधि से 50 लाख रुपये उपलब्ध कराए थे। एक साल पहले अम्तुल स्कूल के समीप रसायन विज्ञान विभाग द्वारा वेस्ट प्लास्टिक रिसाइक्लिंग प्लांट लगाया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. एबी मेलकानी बताते हैं कि प्रो. साहू के निर्देशन में प्लांट में वेस्ट प्लास्टिक से ग्राफीन व आक्साइड ग्राफीन बनाने में सफलता हासिल की। ग्राफीन का उपयोग इलेक्ट्रानिक सामान बनाने में किया जाता है। यहां बता दें कि प्रो. साहू के राष्टï्रीय-अंतरराष्टï्रीय स्तर के 60 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। अमेरिका, सिंगापुर व कोरिया में सेवाएं देने के बाद उनकी नियुक्ति कुमाऊं विवि में हुई थी।
विवि में हर्ष का महौल
पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए रसायन व उर्वरक मंत्रालय के राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए कुमाऊं विवि के प्रो नंदगोपाल साहू के चयन से पूरे विवि में हर्ष का माहौल है। विवि प्रशासनिक भवन में आयोजित समारोह में कुलपति प्रो. डीके नौडि़याल ने प्रो. साहू को सम्मानित किया। उन्होंने इस मौके पर प्रेस वार्ता में कहा कि विवि के अन्य प्राध्यापक भी इससे प्रेरित होंगे और शोध के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर विवि का मान बढ़ाएंगे। कुलपति ने बताया कि प्रो साहू के निर्देशन में रसायन विज्ञान विभाग द्वारा वेस्ट प्लास्टिक को उच्च प्रक्रिया द्वारा गुणवत्तापूर्ण अतिविशिष्ट कार्बन नैनो मेटीरियल ग्राफीन में परिवर्तित किया गया। ग्राफीन का उपयोग पॉलीमर नैनो कंपोजिट, सोलर सेल, ड्रग डिलीवरी, सुपर कैपेसिटर, कंक्रीट मिक्सचर, सड़क निर्माण में किया जाता है।
इस दौरान बातचीत में प्रो साहू ने कहा कि जल्द ही नैनी झील के संवर्धन, संरक्षण के लिए आईआईटी चैन्नई के साथ मिलकर मद्रास जल शुध्दता के पायलट स्केल प्लांट बनाने जा रहे हैं। इस अवसर पर निदेशक शोध प्रो राजीव उपाध्याय, रसायन विभागाध्यक्ष प्रो एबी मेलकानी, विधान चौधरी आदि मौजूद रहे।
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