फिर उठा भोजनमाता विवाद, सवर्ण बच्चों के मिड-डे मील न खाने पर प्रधानाचार्य ने काटी सात की टीसी
शीतकालीन अवकाश परीक्षा के बाद बीती 20 अप्रैल से विधिवत माध्यान्ह भोजन बनना शुरू हुआ तो सवर्ण के बच्चों ने एससी भोजन माता के हाथ से बने भोजन को खाने से मना कर दिया। प्रधानाचार्य ने भोजन न करने पर सातवीं व आठवीं के सात बच्चों की टीसी काट दी।
जागरण संवाददाता, चम्पावत : राजकीय इंटर कॉलेज सूखीढांग में एससी भोजनमाता का मामला फिर तूल पकडऩे लगा है। नियुक्त एससी भोजन माता के बनाए माध्यान्ह भोजन न खाने पर प्रधानाचार्य ने सात बच्चों की टीसी काट दी है। इससे अभिभावकों में खलबली मची है। मामले को लेकर गुरुवार को प्रधानाचार्य ने अभिभावकों के साथ बैठक की। अभिभावकों की प्रधानाचार्य नाराजगी दूर नहीं कर पाए। प्रतिदिन 15 से 20 सवर्ण बच्चे भोजन नहीं कर रहे हैं।
जीआइसी सूखीढांग में एससी भोजनमाता की नियुक्ति को लेकर छह माह पूरे राज्य में यह मुद्दा चर्चा का विषय बना रहा। नेताओं ने भी खूब राजनीति की। एक बार यह मामला फिर उछलने लगा है। शीतकालीन अवकाश, परीक्षा के बाद बीती 20 अप्रैल से विधिवत माध्यान्ह भोजन बनना शुरू हुआ तो सवर्ण के बच्चों ने एससी भोजन माता के हाथ से बने भोजन को खाने से मना कर दिया।
तभी से यही स्थिति चली आ रही है। मामले को लेकर प्रधानाचार्य लगातार बच्चों के साथ वार्ता कर उन्हें समझाने का प्रयास करते रहे पर बच्चों ने एक नहीं सुनी। इस पर विद्यालय प्रबंधन ने भी बच्चों को समझाने के लिए अपील की।
प्रधानाचार्य ने भोजन न करने पर सातवीं व आठवीं के सात बच्चों की टीसी काट दी। जिससे अभिभावक आक्रोशित हो गए। इसको लेकर गुरुवार को विद्यालय में बैठक भी आहूत की गई। लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला।
स्कूल सूत्रों का कहना है कि सरकार की यह महत्वपूर्ण योजना है। बच्चे सरकार की अन्य सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। सभी बच्चों के लिए माध्यान्ह भोजन बन रहा है, लेकिन सवर्ण बच्चों द्वारा भोजन न करने से वह बेकार हो रहा है। अगर उन्हें कच्चा राशन दे दिया जाए तो वह लेने को तैयार है। इस भेदभाव को मिटाने के लिए ही इन बच्चों की टीसी काटी गई है।
यह है मामला
विद्यालय में दो भोजनमाता सवर्ण पुष्पा भट्ट और एससी वर्ग की सुनीता देवी खाना बना रही थी। पर अचानक कुछ सवर्ण बच्चों ने एससी वर्ग की भोजनमाता के हाथों का खाने से मना कर दिया था। सवर्ण बच्चों के दलित भोजनमाता का विरोध करने पर स्कूल प्रबंधन ने एससी भोजनमाता सुनीता देवी की नियुक्ति रद करके अवकाश पर भेज दिया था।
मामले ने तूल पकड़ा तो सवर्ण भोजनमाता के हाथों का एससी वर्ग के बच्चों ने खाने से मना कर दिया था। इसके बाद उच्चस्तरीय बैठक और जांच हुई। जिसमें प्रधानाचार्य द्वारा नियमविरुद्ध एससी भोजन माता की नियुक्ति करने की बात सामने आई। बाद में एससी वर्ग की सुनीता देवी को प्राथमिकता देते हुए सर्वसम्मति से प्रशासन और शिक्षा विभाग ने 30 दिसंबर 2021 को दोबारा नियुक्ति दी।
अभिभावकों को चेताने के लिए काटी टीसी
प्रधानाचार्य प्रेम सिंह का कहना है कि स्कूल में 20 अप्रैल से विधिवत माध्यान्य भोजन बनना शुरू हुआ। प्रतिदिन 15 से 20 सवर्ण बच्चे भोजन नहीं कर रहे हैं। बच्चों को समझाने का प्रयास किया जा रहा है। कई बार बच्चों के अभिभावकों को बुलाया गया लेकिन वह स्कूल नहीं आए। जिस पर उन्हें चेताने के लिए बच्चों की टीसी काटी गई।
यह टीसी सिर्फ चेताने के लिए है। जिसके बाद गुरुवार को कुछ अभिभावक आए। उन्हें भेदभाव न करने व बच्चों को भोजन करने के लिए कहा गया। बच्चों के मन भी भेदभाव का जहर भरना गलत है। उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।
इंटरनेट मीडिया पर भी स्कूल की बदनामी
जीआइसी सूखीढांग में माध्यान्ह भोजन को लेकर चल रहे विवाद को लेकर इंटरनेट मीडिया पर स्कूल की जमकर छीछालेदर हो रही है मगर इस बात को न तो अभिभावक समझने को तैयार हैं और न बच्चे व शिक्षक। इंटरनेट मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि स्कूल ने शैक्षणिक कार्य में इतना नाम नहीं कमाया होगा जितना गैर शैक्षणिक कार्य में।
अब तक कहां थे शिक्षाधिकारी
सवर्ण बच्चों द्वारा भोजन न करने का मामला दिन प्रतिदिन तूल पकड़ता जा रहा है और जनपद शिक्षा विभाग के मुखिया सीईओ जितेंद्र सक्सेना लिखित शिकायत कर इंतजार कर रहे हैं।
मामले में जब उनसे पूछा गया तो उनका कहना है कि लिखित शिकायत आएगी तो कार्यवाही की जाएगी। तब तक मैं कुछ नहीं करूंगा। वहीं, प्रधानाचार्य का कहना है कि उन्होंने मामले में उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया है।