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रास नहीं आई नौकरी, प्रताप ने घर में शुरू की मशरूम की खेती, कमा रहे हैं हजारों

पहाड़ में मशरूम की खेती करना टेड़ी खीर है, लेकिन कठायतबाड़ा के कास्तकार प्रताप सिंह गढ़ि‍या ने मौसम को भी मात दे डाली है। वे बटन मशरूम की खेती बंद कमरे में कर रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 07:20 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 07:49 PM (IST)
रास नहीं आई नौकरी, प्रताप ने घर में शुरू की मशरूम की खेती, कमा रहे हैं हजारों
रास नहीं आई नौकरी, प्रताप ने घर में शुरू की मशरूम की खेती, कमा रहे हैं हजारों

बागेश्वर, घनश्याम जोशी : पहाड़ में मशरूम की खेती करना टेड़ी खीर है, लेकिन कठायतबाड़ा के कास्तकार प्रताप सिंह गढ़ि‍या ने  मौसम को भी मात दे डाली है। वे बटन मशरूम की खेती बंद कमरे में कर रहे हैं। उद्यान विभाग उन्हें इसमें पूरी मदद कर रहा है।  बाजार में मशरूम 250 से लेकर 300 रुपये प्रतिकिलो तक बिक रहा है। कास्तकार अन्य किसानों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। मालूम हो मशरूम बेहद पोष्टिक और स्वादिष्ट होता है। जिसकी बाजार में मांग भी है। मशरूम उत्पादन के लिए कम से कम 22 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है और 20 से 25 दिनों के भीतर अच्छी फसल लिए जा सकती है।

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मन में कुछ करने की तमन्ना हो तो राह आसान हो जाती है। दिल्ली में एक प्राइवेट नौकरी कर रहे प्रताप महीने में मिलने वाली सैलरी से परेशान थे, और  12 घंटों तक काम करने के बाद भोजन, रहना आदि में उनकी मेहनत निकल जाती थी। उन्होंने स्वरोजगार का मन बनाया और घर लौट आए। 12 बाय 12 के कैमरे में मशरूम की खेती शुरू की। उनकी मेहनत रंग लाई और वे महीने में करीब 15 किलो तक बटन मशरूम तैयार करने लगे हैं। करीब 15 से 20 हजार रुपये प्रतिमाह कमाने भी लगे हैं। जिससे उनकी आय बढ़ी और घर पर ही रोजगार भी मिल गया।

ऐसे किया तापमान नियंत्रत

मशरूम की खेती के लिए करीब 24 से 36 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है। वर्तमान में करीब दस डिग्री सेल्सियस तापमान नगर का है। प्रताप ने हाइलोजन लगाकर तापमान में वृद्धि की है और मशरूम की खेती उनके घर के भीतर लहलहा रही है।

ज्योलीकोट में प्रशिक्षण

42 साल के प्रताप ने जौलीकोट में मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया। वहां से मशरूम का बीज, कंपोस्ट आदि उद्यान विभाग ने 50 प्रतिशत सब्सिडी पर मुहैया कराया। करीब 21 दिनों में दस से लेकर 15 किलो तक मशरूम का वे उत्पादन कर लेते हैं।

प्रगतिशील किसानों को मदद

जिला उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह ने कहा कि विभाग प्रगतिशील किसानों को मदद कर रहा है। मशरूम की खेती करने पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। प्रशिक्षण आदि भी दिए जाते हैं। प्रताप अन्य युवाओं को भी प्रेरित कर रहे हैं। गरुड़, कपकोट और नगर में कई युवाओं को उन्होंने मशरूम उत्पादन से जोड़ा है।

पहाड़ के किसान होंगे प्रेरित

डा. हरीश जोशी, कृषि विज्ञान केंद्र काफलीगैर ने बताया कि कठायतबाड़ा के कास्तकार ने जाड़ों में भी मशरूम का उत्पादन कर यह जता दिया है कि पहाड़ी जिलों में भी मशरूम की खेती हो सकती है। करीब 21 दिनों में अच्छी फसल ली जा सकती है। बाजार में मांग है और दाम भी अच्छे मिलते हैं। किसानों की आय में इजाफा हो रहा है।

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