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वर्दी और रमजान का फर्ज एक साथ अदा कर रहे हैं ये पुलिसवाले, जानिए इनके बारे में

रमजान के पाक महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह की इबादत में मशगूल हैं। कामकाजी लोग पूरी शिद्दत के साथ नौकरी व रमजान दोनों का फर्ज निभा रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 21 May 2019 06:05 PM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 11:51 AM (IST)
वर्दी और रमजान का फर्ज एक साथ अदा कर रहे हैं ये पुलिसवाले, जानिए इनके बारे में
वर्दी और रमजान का फर्ज एक साथ अदा कर रहे हैं ये पुलिसवाले, जानिए इनके बारे में

हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट : रमजान के पाक महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह की इबादत में मशगूल हैं। कामकाजी लोग पूरी शिद्दत के साथ नौकरी व रमजान दोनों का फर्ज निभा रहे हैं। तमाम ऐसे महकमे हैं जहां तैनात लोग दिनभर भूख-प्यास सहन कर रोजा रखते हैं। बात अगर पुलिस वालों की करेंं तो इनकी जिम्मेदारी कुछ अलग है। क्योंकि इन्‍हें ऑफिस की ड्यूटी के साथ दिनभर सड़कों पर दौडऩा पड़ता है। चिलचिलाती गर्मी में पानी की तलब चौराहे पर जाम में फंसे वाहनों को निकलवाते वक्त जरूर लगती है, पर ये सब्र के साथ हंसते-हंसते दोनों जिम्मेदारी निभाते हैं। अपराधियों को पकडऩा हो या बाहर दबिश देने के लिए निकलना। इन कठिन परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद वे रोजे से मुंह नहीं मोड़ते। दरअसल, यह इबादत का ही असर है कि रमजान के महीने में ड्यूटी करते हुए कभी दिक्कत महसूस नहीं करते। भले रात में पूरा आराम मिले या न मिले।

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कभी नहीं छोड़ा रोजा 
पुलिस महकमे की नौकरी करते हुए कई लोगों को सात से बीस साल तक हो चुके हैं। रोजा रखने के दौरान लंबी दौड़भाग भी करनी पड़ी। इसके बावजूद पुलिसकर्मियों ने एक भी रोजा नहीं छोड़ा।

थाने का जिम्मा व रोजा एक साथ
काठगोदाम थानाध्यक्ष कमाल हसन इससे पहले मुखानी एसओ का जिम्मा संभाल चुके हैं। 18 साल की उम्र में भर्ती होने वाले कमाल अभी तक बीस साल की पुलिस सेवा कर चुके हैं। तमाम केसों में उलझने के बावजूद उन्होंने रोजा हमेशा रखा। 

दिनभर बाइक में दौड़ते इरफान 
सिटी पैट्रोल यूनिट में बतौर सिपाही कार्यरत मो. इरफान आठ साल से पुलिस की नौकरी में हैं। दिनभर स्टंटबाजों को पकड़ कार्रवाई करते हैं, पर रमजान में कभी थकान महसूस नहीं हुई।

थाने से लेकर सड़क तक दौड़ते रईस 
साल 2011 में पुलिस महकमे में भर्ती होने वाले रईस अहमद थाने, घटनास्थल से लेकर मुजरिमों को लेकर कोर्ट तक के चक्कर काटते हैं। दौड़-भाग के बावजूद पूरी तरह फिट नजर आते हैं। 

हर जगह नजर आते हैं परवेज 
बनभूलपुरा थाने में तैनात परवेज अली ड्यूटी को लेकर हमेशा गंभीर रहते हैं। 13 साल से पुलिस की नौकरी कर लोगों की सेवा कर रहे परवेज किसी भी सूचना पर तुरंत मौके पर पहुंचने वाले पुलिसकर्मियों में से एक हैं।

लिखा-पढ़त में अव्वल जावेद
काठगोदाम थाने में बतौर मुंशी तैनात मो. जावेद खान 17 साल से विभाग में सेवा दे रहे हैं। हर साल पूरे रोजे रखते हैं। मुकदमा लिखने या लिखा-पढ़त के अन्य विभागीय कामों में कोई चूक नहीं होती।

रात को कभी आराम नहीं मिलता 
रोजेदार सुबह साढ़े चार बजे से पहले उठकर रोजे की तैयारी करते हैं। सहरी के वक्त से पहले पूरी तैयारी करना जरूरी है। देर शाम इफ्तार का वक्त होता है। अन्य विभागों में नौकरी करने वाले रोजेदार रात को तरावी सुनने के बाद आराम कर लेते हैं, लेकिन पुलिस की नौकरी में रात-आधी रात कब उठकर निकलना पड़े, कुछ पता नहीं।

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