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पीएमओ को देना होगा मंत्रियों के भ्रष्‍टाचार का ब्यौरा, केंद्रीय सूचना आयोग ने दिया निर्णय

केंद्र सरकार के मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की सूचना प्राप्त करने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय सूचना आयोग ने आदेश पारित किया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 04 Jul 2019 09:25 AM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2019 09:25 AM (IST)
पीएमओ को देना होगा मंत्रियों के भ्रष्‍टाचार का ब्यौरा, केंद्रीय सूचना आयोग ने दिया निर्णय
पीएमओ को देना होगा मंत्रियों के भ्रष्‍टाचार का ब्यौरा, केंद्रीय सूचना आयोग ने दिया निर्णय

नैनीताल, जेएनएन : केंद्र सरकार के मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की सूचना प्राप्त करने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय सूचना आयोग ने चर्चित आइएफएस संजीव चतुर्वेदी की ओर से मांगी गई सूचना पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया है। हालांकि आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय की कालाधन से संबंधित जानकारी सार्वजनिक करने से जांच में बाधा पडऩे की दलील पर सहमति जताई है। कालेधन की मुद्रा के विषय में सीआइसी का निर्णय मौन है। 

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उत्तराखंड के हल्द्वानी में तैनात चर्चित आइएफएस संजीव चतुर्वेदी ने अगस्त 2017 में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत पीएमओ से जून 2014 से अगस्त 2017 के बीच केंद्रीय मंत्रियों के भ्रष्टïाचार से संबंधित शिकायतों की जानकारी मांगी थी। साथ ही उन मामलों पर हुई जांच रिपोर्ट की प्रति तथा प्रधानमंत्री द्वारा जांच रिपोर्ट पर की गई कार्रवाई की जानकारी भी चाही थी। संजीव ने यह भी पूछा था कि विदेशों से कितना कालाधन लाया गया और इसकी कितनी धनराशि देश के लोगों में बांटी गई। कालाधन लाने के लिए क्या-क्या प्रयास किए गए। अक्टूबर 2017 में पीएमओ द्वारा मंत्रियों के भ्रष्टाचार से संबंधित सूचना को अस्पष्ट बताकर खारिज कर दिया तथा कालेधन से संबंधित सूचना को आरटीआइ की परिभाषा के दायरे से बाहर बताया।

संजीव ने की पीएमओ के निर्णय के खिलाफ अपील

संजीव ने पीएमओ के जवाब के खिलाफ केंद्रीय सूचना आयोग में अपील दायर की तो केंद्रीय सूचना आयोग ने पीएमओ की दोनों दलीलों को खारिज कर दिया। आयोग ने कहा कि यह सूचनाएं पूर्णत: स्पष्टï हैं और आरटीआइ के दायरे में आती हैं। आयोग ने 15 दिन के भीतर सूचना देने का आदेश पारित किया। आयोग के निर्णय के जवाब में पीएमओ ने सूचित किया कि मंत्रियों के भ्रष्टïाचार से संबंधित शिकायतों का उचित कार्रवाई कर उन्हें संघारित किया जाता है, लेकिन यह अभिलेख इतने अधिक हैं कि इनकी सूचना देने से संसाधनों की आवश्यकता से अधिक अपव्यय होगा, अत: सूचना का अधिकार अधिनियम-2003 की धारा-सात(9) के अंतर्गत इन्हें नहीं दिया जा सकता। कालेधन को विदेश से लाने के प्रयासों के बारे में बताया कि इसके लिए एसआइटी का गठन किया गया है। यदि इसकी जानकारी दी गई तो जांच में बाधा पड़ेगी।

नैनीताल से वीडियोकांफ्रेंसिंग से हुई सुनवाई

पीएमओ के इस फैसले के खिलाफ संजीव ने आरटीआइ की धारा-18 के तहत सूचना आयोग में शिकायत दर्ज कराई, जिसकी सुनवाई 23 अप्रैल व 17 जून को नैनीताल से वीडियोकांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई। सुनवाई के बाद केंद्रीय सूचना आयुक्त सुधीर भार्गव ने इस मामले में निर्णय पारित करते हुए कहा कि पीएमओ द्वारा मंत्रियों के भ्रष्टाचार से संबंधित सूचना ना देने के संबंध में दिया गया जवाब सही नहीं है। आयुक्त के इस फैसले के बाद केंद्रीय मंत्रियों के भ्रष्टाचार से संंबंधित सूचना देने का रास्ता साफ हो गया है। सीआइसी ने कालाधन मामले में पीएमओ की जांच में बाधा पडऩे की दलील पर सहमति जताते हुए कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिए। 


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